सरकारी अधिकारी से लेकर PHD होल्डर, लाइब्रेरियन से लेकर तकनीशियन तक PFI में शामिल थे।

2 October 2022

azaadbharat.org

PFI पर प्रतिबंध लगने के बाद उसके गिरफ्तार हुए शीर्ष नेताओं के बैकग्राउंड के बारे में जानकारी निकल कर सामने आ रही हैं। देश विरोधी गतिविधियों के आरोपित इस समूह के शीर्ष पर पूर्व सरकारी कर्मचारी और प्राइवेट कंपनियों को चलाने वाले लोग शामिल थे। PFI में कई ऐसे लोग भी शामिल थे जो प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) के सदस्य हुआ करते थे। वहीं सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मों पर PFI के एकाउंट बंद हो गए हैं।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक PFI का चेयरमैन ओएमए सलाम केरल सरकार के बिजली विभाग में कर्मचारी था जो साल 2020 में सस्पेंड हो गया था। इसका उपाध्यक्ष ई एम अब्दुल रहिमान रिटायर्ड लाइब्रेरियन है जो कोचीन यूनिवर्सिटी के विज्ञान और प्रद्योगिकी विभाग में कार्यरत था। सलाम रिहैब इंडिया फॉउंडेशन से भी जुड़ा था जिसे PFI के साथ ही बैन किया गया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का राष्ट्रीय महासचिव वी पी नज़रुद्दीन जमात ए इस्लामी हिन्द का क्लर्क रह चुका है। PFI का राष्ट्रीय एक्सक्यूटिव काउंसिल मेंबर पी कोया, क़तर की एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता था। कोया केरल में कोझिकोड के एक सरकारी स्कूल में प्रवक्ता के भी पद पर काम कर चुका है।

इन सभी के अतिरिक्त कर्नाटक से गिरफ्तार एक अन्य राष्ट्रीय काउंसिल का एक्सक्यूटिव मेंबर अनीस अहमद एक नामी परिवार से संबंध रखता है। उसका परिवार बेंगलुरु में है जो एक बड़ी कम्पनी चलाता है जिसमें टैली ERP और अन्य सॉफ्टवेयर संबंधी काम होते हैं। अनीश एरिक्शन नाम की कम्पनी में बेंगलुरु में ही ग्लोबल टेक्निकल मैनेजर के पद पर भी काम कर चुका है। सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय अनीस ही TV चैनलों पर PFI का विभिन्न मुद्दों पर पक्ष रखता था।

PFI का पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष मिनारुल शेख अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से MA और इतिहास में पीएचडी है। वो कोचिंग क्लास चलाया करता था। राजस्थान में PFI का प्रदेश अध्यक्ष आसिफ पहले प्रतिबंधित संगठन CFI (कैम्पस फ्रंट ऑफ़ इंडिया) से जुड़ा था। बाद में आसिफ ग्रेजुएशन के दौरान ही PFI का प्रदेश अध्यक्ष बन गया। केरल का प्रदेश अध्यक्ष ई अबूबकर साल 1982 में सिमी से जुड़ा था। वह प्रतिबंधित रिहैब इंडिया फाउंडेशन का भी फाउंडर मेंबर है।

PFI का ट्विटर हैंडल और वेबसाइट बंद*

मोदी सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) को बैन किए जाने के बाद 29 सितम्बर 2022 (गुरुवार) को उसका ट्विटर एकाउंट भी बंद कर दिया गया है। ट्विटर ने यह कदम भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा इसी माह 27 सितम्बर को जारी अधिसूचना के बाद उठाया। अब PFI का ट्विटर हैंडल @PFIOofficial खोलने पर ‘कानूनी माँग पर एकाउंट को भारत में रोक दिया गया है’ की जानकारी सामने आती है। इसी के साथ PFI की वेबसाइट, फेसबुक अकाउंट और यूट्यूब प्रोफाइल को भी ब्लॉक कर दिया गया है।

हालाँकि PFI द्वारा राज्य स्तर पर बनाए गए हैंडल और उसके साथ बैन हुए उनके सहयोगी संस्थानों के कई खाते सोशल मीडिया पर अभी भी सक्रिय हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने PFI के सहयोगी संस्थानों की भी वेबसाइट और उसके सोशल हैंडलों को बंद करने के निर्देश दिए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया है कि PFI के सहयोगी संस्थानों के एकाउंट बंद करने की प्रक्रिया चल रही है जिसके निर्देश विभिन्न कंपनियों को पहले ही भेजे जा चुके हैं।

PFI क्यों बेन किया ? जानिए:-

PFI पर 1300 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं। PFI के संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से रहे हैं।

केरल के जंगलों में PFI कैडरों ने मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप बना रखी थी। हिंदू-विरोधी मानसिकता के साथ PFI ट्रेनिंग देता है।

खतरनाक हथियार और गोला-बारूद रखने के मामले में PFI के 41 कैडरों को कोर्ट ने सजा भी सुनाई है।

भारत के कई राज्यों और विदेशों से PFI को फंडिंग होती है।

राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर PFI पर प्रतिबंध लगाया गया।

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