18 August 2022
श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।
’हे भरतवंशी अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ।साधुजनों (भक्तों) की रक्षा करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भली भाँति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।’
श्रीमद् भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ।
जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
भारत समेत विश्व के कई देशों में कृष्ण भक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि आपको बता दें कि एक ऐसा भी मुस्लिम बहुल देश है,जहां जन्माष्टमी के दिन देश में अधिकारिक छुट्टी होती है। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जन्माष्टमी के दिन नेशनल हॉलीडे होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पुराने ढाका शहर के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनायी जाती है।
ढाका में इस उत्सव की शुरुआत साल 1902 में हुई थी, लेकिन 1948 में ढाका पाकिस्तान का हिस्सा बनने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि जब बांग्लादेश पाकिस्तान से आजाद हुआ तो साल 1989 से एक बार फिर यह उत्सव मनाया जाने लगा।
कैरेबियाई देशों में भी रहती है धूम । भारत के बाद जन्माष्टमी का सबसे बड़ा उत्सव कैरेबियाई राष्ट्रों में होता है। कैरेबियाई देश गुयाना, त्रिनानद एंड टोबागो, जमैका और सुरीनाम में जन्माष्टमी का बड़े पैमाने पर जश्न होता है।
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में ही 400 से अधिक भगवान कृष्ण के मंदिर हैं। वहीं भगवान कृष्ण को 108 अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
ऑस्ट्रेलिया में भी धूम-धाम से जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है ।
निर्गुण, निराकार, माया को वश करने वाले, जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए, वह पावन दिन ‘जन्माष्टमी है ।
भगवान श्री कृष्ण का साधु पुरुषों का उद्धार तथा दुष्कृत करनेवालों का विनाश करने के लिए अवतार होता है । तमाम परेशानियों के बीच रहकर भी श्रीकृष्ण जैसी मधुरता और चित्त की समता को बनाये रखने का संदेश जन्माष्टमी देती है ।
श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तब पूर्ण माना जायेगा जब हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारेगें ।
आज संकल्प करें कि ‘गीता के संदेश आत्मज्ञान के अमृत को हम जीवन मे लायेंगे और विश्व में भी इस का प्रचार करेंगे ।
जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का फल मिलता है और 100 जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है ।
जन्माष्टमी की रात्रि को भगवान नाम के जप करने से मंत्र सिद्धि मिलती है।
जप,तप,उपवास और भगवान के नाम का जप ,कीर्तन करके ऐसे पावन पर्व का लाभ सभी को लेना चाहिए। जय श्रीकृष्ण
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