आखिर हिन्दू धर्म का अपमान क्यों और कब तक ?

9 July 2022

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हिन्दू घृणा से ग्रसित फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई (Leena Manimekalai) की हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। माँ काली को सिगरेट पीते दिखाने के बाद मचे बवाल पर माफी माँगने की बजाय लीना ने भगवान शिव और माता पार्वती के धूम्रपान करने वाली तस्वीरों को पोस्ट किया है। इस पर टीवी जगत के भगवान राम (एक्टर अरुण गोविल) ने इसे हिन्दू धर्म का घोर अपमान करार दिया है।

अरुण गोविल ने लीना मणिमेकलई की हिन्दू आस्था पर कुठाराघात करने की पोस्ट की आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, “माँ काली का अपमान हिन्दू धर्म का घोर अपमान है। करोड़ों हिन्दुओं की आस्था पर सीधा प्रहार है। फिल्मों और विज्ञापनों में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान प्रचलन बन गया है। बार-बार हिन्दू धर्म का अपमान आखिर क्यों और कब तक? ऐसे जघन्य अपराध तत्काल बंद होने चाहिए।”

इसी क्रम में अभिनेता अनुपम खेर ने भी माँ काली के अपमान को लेकर बयान दिया। उन्होंने शिमला का एक किस्सा शेयर किया, “शिमला में माँ काली का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, कालीबाड़ी। बचपन में कई बार जाता था। बूँदी के प्रसाद और मीठे चरणामृत के लिए। मंदिर के बाहर एक साधु/फक़ीर टाइप बार बार दोहराता था…’जय माँ कलकत्ते वाली…तेरा श्राप ना जाए खाली..’ आजकल उस साधु और मंदिर की बहुत याद आ रही है!”

भगवान शिव और माता पार्वती की धूम्रपान करती तस्वीरों को पोस्ट करने को लेकर फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने लीना मणिमेकलई को मानसिक बीमार करार दिया है। उन्होंने कहा, “अब ये साबित हो गया है कि तुम्हें मेंटल अस्पताल में भर्ती होने से पहले तत्काल इलाज की जरूरत है। कृपया जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें।”

गौरतलब है कि लीना ने बीते 2 जुलाई को ‘काली’ का पोस्टर ट्विटर पर रिलीज किया था। इसमें ‘काली’ बनी एक्ट्रेस को सिगरेट पीते दिखाया गया था। साथ ही एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में LGBT का झंडा था। इस पर विवाद होने के बाद लीना ने माफी माँगने से इनकार कर दिया था।

वही इस मामले में माफी माँगने की बजाय फिल्ममेकर ने एक नया ट्वीट किया जिसमें शिव-पार्वती बने कलाकारों को धूम्रपान करते दिखाया गया है।

हिन्दू जागरूक हो रहा है…

लीना मणिमेकलाई को जो नहीं भी जानते थे वह भी इनसे परिचित हो गए। लेकिन इन्हें पता चल गया है कि अब यह भारत पहले वाला नहीं है, बदल चुका है।

इनकी डॉक्यूमेंट्री काली का आज टोरंटो विश्वविद्यालय में प्रदर्शन नहीं हो सका।

भारतीय उच्चायोग ने कनाडा सरकार से अपना विरोध दर्ज कराया और सारी तैयारी धरी की धरी रह गई।

आगे का नहीं मालूम लेकिन भारत का विरोध इतना तगड़ा है कि आसानी से वहां भी प्रदर्शन कराना संभव नहीं होगा। भारत में तो खैर अब शायद ही कोई इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का साहस करे।

जो करेगा उसे हिंदू समाज के कोप का शिकार होना पड़ेगा। या तो फिल्म चलने नहीं दी जाएगी या कहीं चली भी तो दर्शक नहीं मिलेंगे।

लीना माणिमेकलई की समस्या का अंत यही नहीं होने वाला। अलग-अलग राज्यों में उनके विरुद्ध केस दर्ज हो गए हैं और उन्हें उनका सामना इसलिए करना पड़ेगा क्योंकि आज भी उनके पास भारतीय पासपोर्ट ही है।

दूसरे, ऐसे स्वयं को लिबरल ,वामपंथी, प्रगतिशील बताने वाले फिल्म फिल्म निर्माताओं के सामने भी यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि आगे कैसी फिल्में बनाई जाए।

सबको अंदाजा हो गया है कि हमने पहले की तरह हिंदू धर्म , संस्कृति, देवी-देवताओं ,महापुरुषों, धार्मिक प्रतीकों , धार्मिक विधाओं आदि को अपमानित या लांछित किया या फिर उसका उपहास उड़ाया तो हमारे लिए कठिनाइयां बढ़ जाएंगी।

एक फिल्म निर्माता के रूप में हमारा अस्तित्व संकट में आ जाएगा। इसलिए आगे से ऐसे निर्माता भी इस तरह की फिल्में बनाने से बचेंगे।

एक समय था जब हिंदू समाज अपने देवी-देवताओं, महापुरुषों पर त्योहारों, रीति-रिवाजों, परंपराओं, धार्मिक प्रतीक चिन्हों आदि के अपमान का उपहास उड़ाए जाने पर संवेदनशील नहीं था।

अब वह स्थिति बदली है तो इसका असर होना निश्चित है। आने वाले समय में धीरे धीरे ऐसी फिल्में आएंगी जो सच को सच दिखाएंगी और उसके लिए उन्हें रिसर्च करना पड़ेगा।

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