जानिए अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस कब से और किसलिए मनाया जाता है?

19 नवम्बर 2021

azaadbharat.org

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) की तरह हर साल 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day) मनाया जाता है। हालांकि, जिस उत्साह और सपोर्ट के साथ महिला दिवस मनाया जाता है, उस तरह का एक्‍साइटमेंट व क्रेज पुरुष दिवस के लिए देखने को नहीं मिलता। यह दिन मुख्य रूप से पुरुषों को भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए मनाया जाता है। आपको बता दें कि 80 देशों में 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है और इसे युनेस्को का भी सहयोग प्राप्त है।

ऐसे हुई पुरुष दिवस की शुरुआत:

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का इतिहास:

1923 में कई पुरुषों द्वारा 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाए जाने की मांग की गई थी। इसके चलते पुरुषों ने आंदोलन भी किया था। उस वक्त पुरुषों ने 23 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की मांग की थी। इसके बाद 1968 में अमेरिकन जर्नलिस्ट जॉन पी. हैरिस ने एक आर्टिकल लिखते हुए कहा था कि सोवियत प्रणाली में संतुलन की कमी है। उन्होंने लिखा था कि सोवियत प्रणाली महिलाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाती है लेकिन पुरुषों के लिए वो किसी प्रकार का दिन नहीं मनाती। फिर 19 नवंबर 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों द्वारा पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया। डॉ. जीरोम तिलकसिंह ने जीवन में पुरुषों के योगदान को एक नाम देने का बीड़ा उठाया था। उनके पिता के बर्थडे के दिन विश्व पुरुष दिवस मनाया जाता है। धीरे धीरे दुनियाभर में इसे 19 नवंबर को मनाया जाने लगा।

भारत ने साल 2007 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया। इसके बाद से ही भारत में हर साल 19 नंवबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का महत्व :
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मुख्य रूप से पुरुष और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने, लिंग संबंधों में सुधार, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और पुरुष रोल मॉडल्स को उजागर किए जाने के लिए मनाया जाता है।

InternationalMensDay की वेबसाइट के मुताबिक, दुनिया में महिलाओं से 3 गुना ज्यादा पुरुष सुसाइड करते हैं। 3 में से एक पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार है। महिलाओं से 4 से 5 साल पहले पुरुष की मौत होती है। महिलाओं से दोगुना पुरुष दिल की बीमारी के शिकार होते हैं। पुरुष दिवस पुरुषों की पहचान के सकारात्मक पहलुओं पर काम करता है।

पुरुष दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य :

– पुरुष रोल मॉडल को बढ़ावा देना।
– समाज, समुदाय, परिवार, विवाह, बच्चों की देखभाल और पर्यावरण के लिए पुरुषों के सकारात्मक योगदान का जश्न मनाना।
– पुरुषों के स्वास्थ्य और भलाई पर ध्यान केंद्रित करना; सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक तौर पर।
– पुरुषों के खिलाफ भेदभाव को उजागर करना।
– लिंग संबंधों में सुधार और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
– एक सुरक्षित, बेहतर दुनिया बनाना।

आज पुरुषों की दुर्दशा:

19 नवम्बर को विश्व पुरूष दिवस मनाया जाता है उनके अधिकारों की रक्षा के लिए पर जिस तरह आज देश मे झूठे दहेज व रेप केस की बाढ़ आ गई है उसको रोकना होगा नही तो निर्दोष पुरुष बलि चढ़ते रहेंगे।

महिलाओं कि सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दूरुपयोग हो रहा है।

न्यायाधीश निवेदिता शर्मा ने बताया कि पुरूषों के खिलाफ रेप के झूठे मामलों से बचाने के लिए ऐसे कानून बनाये जाये जो उन्हें बचा सके।

निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है । इसको रोकने के लिए कानून में संशोधन करना अत्यंत जरूरी है ।

बदला लेने के लिए अथवा पैसे एठने के लिए कुछ मनचली लड़कियां या गिरोह कार्य कर रहे है जो निर्दोष पुरुषों पर झूठे दहेज या रेप के आरोप लगा देते है इसके कारण निर्दोष पुरुषों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है, उसको जेल जाना पड़ता है, समय व पैसे की बर्बादी होती है और इज्जत चली जाती है वो अलग और उसके साथ उसकी माँ-बहन, पत्नी-बेटी भी जुड़ी होती है तो उनपर भी अत्याचार होता है क्योंकि घर मे उनका पालन पोषण करने वाला पुरुष होता है उसको झूठे केस में जेल भेज देंगे तो उन पर क्या बीतेगी?

सरकार को अब महिला आयोग की तरह पुरूष आयोग भी बनाना चाहिए, जो महिलाएं झूठे केस करती है उनको भी सजा का प्रावधान होना चाहिए नही तो एक के बाद एक निर्दोष पुरुष बलि चढ़ते ही रहेंगे।

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