Ayurveda Supplements Toxicity: आयुर्वेद और सप्लीमेंट के नाम पर बिकता “ज़हर”
आज के समय में फिटनेस, बॉडी-बिल्डिंग, और ऊर्जा-वृद्धि की होड़ एक तरह के सामाजिक दबाव में बदल चुकी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तथाकथित “फिटनेस एक्सपर्ट” और “सप्लीमेंट प्रमोटर्स” युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों को ऊर्जा, मांसपेशी, और सहनशक्ति बढ़ाने के नाम पर अनगिनत उत्पाद बेच रहे हैं।
“यह प्रोटीन, वो प्रोटीन, यह विटामिन, वह मिनरल”, “अतुल शक्ति दाता, फलां भस्म, ढिमका रस”—यह सब ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है मानो इन उत्पादों के बिना स्वास्थ्य संभव ही नहीं। परिणामस्वरूप लोग बिना किसी चिकित्सकीय जांच और शरीर की पाचन क्षमता को समझे, भारी मात्रा में रसायन, धातुएँ, और सप्लीमेंट्स का सेवन कर रहे हैं।
Ayurveda Supplements Toxicity और शरीर की पाचन क्षमता
सच्चाई यह है कि आज के समय में आम व्यक्ति की पाचन क्षमता इतनी कमज़ोर है कि वह सामान्य भोजन तक नहीं पचा पाता। ऐसे कमजोर पाचन तंत्र को उच्च मात्रा के प्रोटीन, एमिनो एसिड, भस्म और मिनरल्स देना शरीर पर अत्यधिक भार डालता है।
कई लोग 100 ग्राम से अधिक प्रोटीन लेने की होड़ में रहते हैं, जबकि उनका पाचन तंत्र उसका 40% भी अवशोषित नहीं कर पाता। अनावश्यक मात्रा में लिया गया यह प्रोटीन शरीर के लिए “कचरा” बन जाता है, जिसे किडनी और लीवर को फ़िल्टर करना पड़ता है।
Ayurveda Supplements Toxicity और किडनी पर दबाव
प्रोटीन पाउडर, प्री-वर्कआउट ड्रिंक्स, और एमिनो एसिड सप्लीमेंट्स के अनियंत्रित उपयोग से किडनी फेलियर, हार्ट डिज़ीज़, गठिया और फैटी लीवर के केस तेजी से बढ़ रहे हैं।
अधिक प्रोटीन का मेटाबोलिज़्म बड़े स्तर पर नाइट्रोजन यौगिक और अपशिष्ट तत्व उत्पन्न करता है, जिन्हें फिल्टर करने का भार किडनी पर पड़ता है।
- किडनी पर लगातार दबाव
- ब्लड फिल्टरिंग की गति बढ़ना
- किडनी कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होना
खाली पेट प्रोटीन शेक का सेवन एसिडिटी, नेफ्रोटॉक्सिसिटी और डिहाइड्रेशन बढ़ा सकता है।
Ayurveda Supplements Toxicity और विटामिन-कैल्शियम
आज लोग सामान्य स्वास्थ्य के नाम पर विटामिन, मल्टी-मिनरल और कैल्शियम की गोलियाँ बिना चिकित्सकीय सलाह के ले रहे हैं।
- किडनी में कैल्सीफिकेशन
- स्टोन बनने की संभावना
- लीवर एंजाइम प्रभावित होना
दवाई “पूरक” होती है, भोजन का विकल्प नहीं।
Ayurveda Supplements Toxicity: आयुर्वेदिक भस्म का जोखिम
बाज़ार में 11-भस्म, 21-भस्म, 13-रस वाले अनगिनत “शक्ति योग” बेचे जा रहे हैं, जिनमें स्वर्ण, रजत, लौह, अभ्रक, पारा जैसी धातुएँ शामिल हैं। इनका सेवन माइक्रोग्राम स्तर पर होना चाहिए, जबकि इन्हें ग्रामों में बेचा जा रहा है।
इनका अनियंत्रित उपयोग किडनी, लीवर, मस्तिष्क, और तंत्रिका तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव डालता है।
Ayurveda Supplements Toxicity का खतरनाक भ्रम
यह धारणा कि “आयुर्वेदिक दवाएँ नुकसान नहीं करती” विज्ञान और तर्क दोनों के विपरीत है। हर जड़ी-बूटी, धातु और भस्म की उचित मात्रा, उचित व्यक्ति और उचित समय आवश्यक है।
गलत मात्रा में दी गई जड़ी-बूटी दवा नहीं, जहर बन जाती है।
Ayurveda Supplements Toxicity और प्राकृतिक आहार की शक्ति
यदि पाचन तंत्र, लीवर और किडनी स्वस्थ हों, तो सामान्य भोजन भी शरीर को अद्भुत शक्ति दे सकता है।
- अन्न, दाल
- फल, सब्जियाँ
- दूध, घी
स्वास्थ्य बॉडी-बिल्डिंग पाउडर से नहीं, संतुलित पाचन और पोषण से आता है।
Ayurveda Supplements Toxicity और सुरक्षित जड़ी-बूटियाँ
पुनर्नवा, गोक्षुरा, वरुण, कासनी—किडनी और लीवर की सुरक्षा के लिए जानी जाती हैं।
- मूत्रवर्धक
- सूजनरोधी
- कोशिका-पुनर्निर्माण
- नेफ्रॉन-प्रोटेक्टिव
इनका नियंत्रित प्रयोग चिकित्सकीय मार्गदर्शन में होना चाहिए।
Ayurveda Supplements Toxicity और उपचार
सुबह खाली पेट:
- 20 ml पुनर्नवा रस
- 10 ml भूमि आंवला
- 10 ml गोखरू रस
शाम: भोजन से एक घंटा पहले वही मात्रा
यह संयोजन किडनी डिटॉक्स, इंफ्लेमेशन कंट्रोल, नेफ्रॉन्स पुनर्निर्माण और लीवर-फंक्शन सुधार में सहायक है।
अवधि, मात्रा और रोग की गंभीरता के अनुसार चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।
Ayurveda Supplements Toxicity: निष्कर्ष
सप्लीमेंट्स, भस्म और “शक्ति-योग” का अनियंत्रित उपयोग आज एक सामाजिक और स्वास्थ्य-संकट बन चुका है।
स्वास्थ्य का मूल आधार—भोजन, पाचन, नींद, और दिनचर्या है। रसायनों, धातुओं और सप्लीमेंट्स के अतिरिक्त प्रयोग से शक्ति नहीं, बीमारी मिलती है।
आयुर्वेद का वास्तविक उद्देश्य जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाना है, न कि शरीर को रासायनिक प्रयोगशाला में बदलना।
विस्तृत जानकारी और आयुर्वेदिक जीवनशैली के लिए Azaad Bharat पढ़ें।
External Source: WHO Guidelines on Herbal Medicine
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