गायत्री देवी और गायत्री मंत्र का रहस्य – वैदिक ज्ञान
गायत्री देवी को वेदमाता कहा गया है — वे चारों वेदों की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। ऋग्वेद में इन्हें “सावित्री” कहा गया है, अर्थात् वह दिव्य चेतना जो सविता सूर्य के समान सबको प्रकाश देती है। Azaad Bharat के अनुसार Gayatri Mantra केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि ब्रह्मांड का मूल स्पंदन है।
“गायत्री छन्दः प्रख्यातं, सावित्रो देवता स्मृतः। ब्रह्मा ऋषिः स्यात् त्रिपाद्या, सर्ववेदेषु विश्रुता॥” (ऋग्वेद संहिता)
Gayatri Mantra का स्वरूप
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥
यह Gayatri Mantra ब्रह्मांड का आधार है। इसमें 24 अक्षर हैं, और प्रत्येक अक्षर में एक देवता का निवास माना गया है। इन 24 देवताओं को ब्रह्मांडीय चेतना के 24 द्वार कहा गया है।
Gayatri Mantra के 24 देवता – वैदिक रहस्य
ऋषियों ने ध्यान और तप द्वारा जाना कि Gayatri Mantra के 24 अक्षर 24 दिव्य शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये देवता केवल प्रतीक नहीं, बल्कि चेतना के रूप हैं।
1️⃣ गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्॥ — प्रारंभ और बुद्धि के अधिपति।
2️⃣ नरसिंह गायत्री मंत्र
ॐ उग्रनरसिंहाय विद्महे, वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्॥ — धर्म की रक्षा और भय से मुक्ति की शक्ति।
3️⃣ विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ — पालन और संतुलन की ऊर्जा।
4️⃣ शिव गायत्री मंत्र
ॐ पंचवक्त्राय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ — विनाश और पुनर्निर्माण के देवता।
5️⃣ कृष्ण गायत्री मंत्र
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥ — प्रेम और भक्ति की दिव्य भावना।
6️⃣ राधा गायत्री मंत्र
ॐ वृ्षभानुजायै विद्महे, कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्॥ — भक्त और ईश्वर के मिलन की शक्ति।
7️⃣ लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियां धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥ — धन, सौंदर्य और पुण्य की ऊर्जा।
8️⃣ अग्नि गायत्री मंत्र
ॐ महाज्वालाय विद्महे, अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्॥ — शुद्धि और तप की शक्ति।
9️⃣ इन्द्र गायत्री मंत्र
ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे, वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्॥ — आत्मविश्वास और शक्ति का प्रतीक।
10️⃣ सरस्वती गायत्री मंत्र
ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवीः प्रचोदयात्॥ — ज्ञान और वाणी की देवी।
11️⃣ दुर्गा गायत्री मंत्र
ॐ गिरिजायै विद्महे, शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥ — भय, अज्ञान और दुष्ट प्रवृत्तियों से रक्षा।
12️⃣ हनुमान गायत्री मंत्र
ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुतिः प्रचोदयात्॥ — निष्ठा, वीरता और निर्भयता का प्रतीक।
13️⃣ पृथ्वी गायत्री मंत्र
ॐ पृथ्व्यै देवयै विद्महे, सहस्र मूर्त्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वीः प्रचोदयात्॥ — स्थिरता और धैर्य की देवी।
14️⃣ सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्॥ — ज्ञान और जीवन का स्रोत।
15️⃣ राम गायत्री मंत्र
ॐ दशरथाय विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो रामः प्रचोदयात्॥ — मर्यादा और धर्म के आदर्श।
16️⃣ सीता गायत्री मंत्र
ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे, भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्॥ — पवित्रता और त्याग का प्रतीक।
17️⃣ चन्द्र गायत्री मंत्र
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृततत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्॥ — शीतलता और मन की शांति।
18️⃣ यम गायत्री मंत्र
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि। तन्नो यमः प्रचोदयात्॥ — न्याय और कर्मफल के देवता।
19️⃣ ब्रह्मा गायत्री मंत्र
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, हंसारूढाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्॥ — सृष्टि और वेदज्ञान के अधिपति।
20️⃣ वरुण गायत्री मंत्र
ॐ जलविचाय विद्महे, नीलपुष्कराय धीमहि। तन्नो वरुणः प्रचोदयात्॥ — जल और सत्य के रक्षक।
21️⃣ नारायण गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो नारायणः प्रचोदयात्॥ — ब्रह्मांड के परम आधार।
22️⃣ हयग्रीव गायत्री मंत्र
ॐ वाणिश्वराय विद्महे, हयशीर्षाय धीमहि। तन्नो हयग्रीवः प्रचोदयात्॥ — ज्ञान और वेदों के रक्षक।
23️⃣ हंस गायत्री मंत्र
ॐ परमहम्साय विद्महे, महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंसः प्रचोदयात्॥ — आत्मा की मुक्ति का प्रतीक।
24️⃣ तुलसी गायत्री मंत्र
ॐ तुलस्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्॥ — भक्ति और पवित्रता की देवी।
Gayatri Mantra साधना का रहस्य
“गायत्री सर्वदोषनाशिनी, मोक्षप्रदा च।” — जो व्यक्ति प्रतिदिन Gayatri Mantra का जप करता है, वह समस्त दोषों से मुक्त होकर आत्मज्ञान प्राप्त करता है।
निष्कर्ष
Gayatri Mantra केवल एक प्रार्थना नहीं — यह ब्रह्मांडीय चेतना का स्वरूप है। इसके 24 देवता वे ऊर्जा स्रोत हैं, जो मनुष्य को अविद्या से विद्या तक ले जाते हैं।
वेद कहते हैं — “गायत्री मंत्रः ब्रह्म स्वरूपं।” जो इसका जप करता है, वह ज्ञान, शक्ति और शांति का अधिकारी बनता है।
