मंत्र, चक्र और योग से आत्मा से परमात्मा की यात्रा

 

मंत्र, चक्र और योग – आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा

भारतीय संस्कृति में Mantra Chakra and Yoga केवल साधना के साधन नहीं, बल्कि चेतना को जाग्रत करने वाले दिव्य माध्यम हैं। ऋषियों ने अपने गहन ध्यान और अनुभूति से यह खोज की कि सम्पूर्ण सृष्टि एक विशेष ध्वनि-ऊर्जा पर आधारित है। मंत्र उस ब्रह्मनाद की अभिव्यक्ति हैं — जब कोई व्यक्ति श्रद्धा, भावना और एकाग्रता से मंत्र का जप करता है, तो वह उसी दिव्य तरंग से जुड़ जाता है जिससे सृष्टि की उत्पत्ति हुई है।

️ शरीर के चक्र – ऊर्जा के सात द्वार

मानव शरीर में सात मुख्य ऊर्जा केंद्र हैं, जिन्हें चक्र कहा गया है। ये केवल शरीर के अंग नहीं, बल्कि आत्मिक विकास के सात सोपान हैं —

1. मूलाधार चक्र (Root Chakra)

इसका बीज मंत्र “लं” है। यह स्थिरता, सुरक्षा और अस्तित्व की भावना से जुड़ा है। जब यह चक्र संतुलित होता है, व्यक्ति निडर, स्थिर और आत्मविश्वासी बनता है।

2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra)

इसका बीज मंत्र “वं” है। यह रचनात्मकता, आनंद और प्रवाह का केंद्र है। संतुलन की स्थिति में व्यक्ति में सृजनशीलता और प्रसन्नता बढ़ती है।

3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra)

इसका बीज मंत्र “रं” है। यह शक्ति, आत्मविश्वास और परिवर्तन का केंद्र है। यहाँ की ऊर्जा व्यक्ति को कर्मयोगी बनाती है।

4. अनाहत चक्र (Heart Chakra)

इसका बीज मंत्र “यं” है। यह प्रेम, करुणा और क्षमा की भावना को जगाता है। जब यह चक्र खुलता है, व्यक्ति का हृदय अहंकार से मुक्त होकर प्रेम से भर जाता है।

5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra)

इसका बीज मंत्र “हं” है। यह सत्य बोलने और आत्म-अभिव्यक्ति की शक्ति देता है। जब यह चक्र जाग्रत होता है, व्यक्ति का वचन सत्य और प्रभावशाली हो जाता है।

6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra)

इसका बीज मंत्र “ॐ” है। यह ज्ञान, अंतर्ज्ञान और विवेक का केंद्र है। यह व्यक्ति को सत्य का साक्षात्कार कराता है।

7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra)

यह मौन चक्र है, इसका कोई बीज मंत्र नहीं — क्योंकि यहाँ साधक शब्द से परे मौन ब्रह्म में विलीन हो जाता है।

देवताओं के मंत्र और उनकी ऊर्जा

भारतीय साधना में प्रत्येक देवता एक विशेष ऊर्जा या चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके मंत्रों का जप उस ऊर्जा को जाग्रत करने का माध्यम है।

  • ॐ गं गणपतये नमः — आरंभ और विघ्न-विनाश की शक्ति।
  • ॐ नमः शिवाय — आत्मशुद्धि और कल्याण का प्रतीक।
  • ॐ दुं दुर्गायै नमः — साहस और रक्षा का आह्वान।
  • ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः — समृद्धि और सौंदर्य का स्रोत।
  • ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः — ज्ञान और कला का दिव्य स्रोत।
  • ॐ हनुमते नमः — भक्ति और निर्भयता का प्रतीक।
  • ॐ श्री कृष्णाय नमः — प्रेम और करुणा की धारा।
  • ॐ श्री रामाय नमः — धर्म और मर्यादा की भावना।
  • ॐ क्रीं कालिकायै नमः — भय और अज्ञान का नाशक।
  • ॐ नमो नारायणाय — शांति और ब्रह्म संतुलन का प्रतीक।

इन सभी मंत्रों का उद्देश्य किसी बाहरी शक्ति को पुकारना नहीं, बल्कि अपने भीतर के उन्हीं गुणों को जाग्रत करना है।

☀️ सूर्य नमस्कार – शरीर, प्राण और आत्मा का संगम

सूर्य नमस्कार योग का ऐसा साधन है जिसमें आसन, मंत्र और ध्यान तीनों का संगम है। बारह आसनों में बारह मंत्र जुड़े होते हैं जो सूर्य के बारह स्वरूपों को नमन करते हैं —

ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः,
ॐ खगाय नमः, ॐ पूष्णे नमः, ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, ॐ मरीचये नमः,
ॐ आदित्याय नमः, ॐ सावित्रे नमः, ॐ अर्काय नमः, ॐ भास्कराय नमः।

प्रत्येक मंत्र शरीर में सूर्य जैसी चेतना को जगाता है, जिससे आलस्य दूर होता है, मन प्रसन्न रहता है और प्राणों में नई ऊर्जा का संचार होता है।

महामंत्र – “ॐ” और “सोऽहम्”

“ॐ” वह मूल ध्वनि है जिससे सम्पूर्ण ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ। यह तीन अक्षरों – अ, उ, म – से मिलकर बना है, जो सृष्टि, पालन और संहार का प्रतीक हैं। “ॐ” का जप मन और शरीर को संतुलन में लाता है।

“सोऽहम्” का अर्थ है — “मैं वही हूँ”। श्वास के साथ जपने योग्य यह मंत्र साधक को स्मरण कराता है कि वह परमात्मा का अंश है।

साधना का सार – The Essence of Mantra Chakra and Yoga

जब साधक Mantra Chakra and Yoga को जीवन का हिस्सा बना लेता है, तो उसकी चेतना जागने लगती है। उसका मन निर्मल होता है, शरीर ऊर्जावान बनता है और आत्मा परमात्मा की ओर उन्मुख होती है।

मंत्र केवल शब्द नहीं हैं — वे ब्रह्मांडीय कंपन हैं। योग केवल आसन नहीं है — यह आत्मा से परमात्मा की यात्रा है। जब दोनों का संगम होता है, साधक अनुभव करता है —

“सोऽहम् — मैं वही हूँ, जो सृष्टि है; सृष्टि वही है, जो मैं हूँ।”

यही भारत की सनातन परंपरा का सार है — जहाँ मंत्र में शक्ति है, शक्ति में भक्ति है, और भक्ति में मुक्ति है।

अधिक जानकारी के लिए AzaadBharat.org पर पढ़ें।