भारत में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण (sustainable development) की आवश्यकता

Sustainable Development in India: भारत में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण

विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना आज भारत की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। अगर हम विकास करते समय पर्यावरण को अनदेखा करते रहे, तो भविष्य में गंभीर प्राकृतिक आपदाएँ और जैव विविधता की हानि होगी।

Sustainable Development in India: पर्यावरणीय संकट

भारत में विकास की प्रक्रिया में अक्सर पर्यावरणीय पहलुओं की अनदेखी होती है। शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जंगलों और पहाड़ों की कटाई तथा जल स्रोतों का दोहन आम हो गया है।

मुख्य पर्यावरणीय समस्याएँ

  • वायु प्रदूषण: दिल्ली और अन्य महानगरों में गंभीर समस्या।
  • जल प्रदूषण: गंगा, यमुना और नदियों में औद्योगिक अपशिष्ट।
  • कचरा प्रबंधन: शहरी क्षेत्रों में खुले में पड़ा कचरा।

Sustainable Development in India: आवश्यक कदम

भारत को सतत और संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

  • सतत विकास नीति और पर्यावरणीय मूल्यांकन।
  • सौर, पवन और जल विद्युत जैसे हरित ऊर्जा स्रोत।
  • जंगल और जैव विविधता का संरक्षण।
  • जल स्रोतों की स्वच्छता और सुरक्षा।
  • प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और तैयारी।
  • जन जागरूकता और कचरा प्रबंधन।

निष्कर्ष

सच्चा Sustainable Development in India वही है जो धरती, जंगलों, पहाड़ों और नदियों के साथ संतुलन बनाए रखे। भारत को चाहिए कि वह प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे। तभी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और समृद्ध भविष्य संभव होगा।

संदर्भ

  1. Times of India
  2. Earth.org – Environmental Issues in India