नवरात्रि (Navaratri) अष्टमी, नवमी और सिंहावलोकन का महत्व

Navaratri की अष्टमी, नवमी और सिम्होलंघन : वेद-पुराणों के अनुसार महत्व

✨ भूमिका

Navaratri हिन्दू धर्म का केवल पर्व नहीं बल्कि वैदिक शक्ति-साधना का महान उत्सव है। प्रत्येक तिथि देवी के विशेष रूप और शक्ति को प्रकट करती है। विशेषकर अष्टमी और नवमी तिथियों का उल्लेख वेद, उपनिषद, पुराण और महाकाव्यों में मिलता है। इसके अलावा, सिंहावलोकन (सिम्होलंघन) की परंपरा विजय, साहस और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।

महाअष्टमी (दुर्गाष्टमी) का महत्व

वेद और उपनिषद संदर्भ

  • अथर्ववेद (काण्ड 11, सूक्त 5) – शक्ति को “दुर्गा” कहा गया है, जो भक्तों को संकट से पार लगाती हैं।
  • तैत्तिरीय आरण्यक – दुर्गा को “ज्योतिर्मयी शक्ति” कहा गया है; अष्टमी पर साधना विशेष फलदायी है।

पुराणिक संदर्भ

  • मार्कण्डेय पुराण (दुर्गा सप्तशती, अध्याय 8-10) – महिषासुर का वध माँ दुर्गा ने अष्टमी के दिन किया।
  • देवी भागवत पुराण (7/38/12) – अष्टमी पर पूजा से महापातक भी नष्ट हो जाते हैं।
  • कालिका पुराण – अष्टमी तिथि पर बलिदान, हवन और स्तोत्र का विशेष उल्लेख।

पूजा महत्व

अष्टमी को की गई दुर्गा सप्तशती पाठ, हवन और कन्या पूजन से साधक भौतिक और आध्यात्मिक सिद्धियाँ प्राप्त करता है।

महानवमी का महत्व

रामायण संदर्भ

वाल्मीकि रामायण (युद्धकाण्ड, सर्ग 100-103) – श्रीराम ने नवमी तिथि पर समुद्र तट पर चंडी पूजा और नवकन्या पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस विधि से वे रावण पर विजय प्राप्त कर सके।

पुराणिक संदर्भ

  • स्कन्द पुराण (कौमारीखण्ड, अध्याय 23) – नवमी पर सिद्धिदात्री देवी की पूजा का विधान।
  • देवी भागवत पुराण (9/30/42) – नवमी की पूजा से सिद्धि और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं।

️ आध्यात्मिक अर्थ

नवमी साधना का चरम बिंदु है। यह दिन “विजयारंभ” का प्रतीक है, जब साधक अपनी अज्ञानता और तमोगुण पर विजय प्राप्त करता है।

सिंहावलोकन / सिम्होलंघन परंपरा

रामायण में नवमी या दशमी के दिन श्रीराम ने देवी चंडी का पूजन कर लंका की ओर प्रस्थान किया और पीछे मुड़कर देखा। इसे सिंहावलोकन कहा जाता है। महाभारत में अर्जुन ने देवी दुर्गा की आराधना कर विजय का वरदान प्राप्त किया। महाराष्ट्र और कर्नाटक में शमी वृक्ष का आदान-प्रदान सामाजिक परंपरा का प्रतीक है।

धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

  • पौराणिक दृष्टि: अष्टमी – महिषासुर वध और शक्ति विजय। नवमी – चंडी पूजन और विजयारंभ। सिंहावलोकन – जीवन की सीमाओं का उल्लंघन।
  • वैज्ञानिक दृष्टि: Navaratri के उपवास और सात्त्विक आहार शरीर और मन को शुद्ध करते हैं।
  • ‍ सामाजिक दृष्टि: शमीपत्र का आदान-प्रदान, कन्या पूजन और सामूहिक साधना समाज में एकता और शक्ति का संदेश देते हैं।

निष्कर्ष

महाअष्टमी, महानवमी और सिंहावलोकन केवल पर्व नहीं हैं। ये वैदिक शक्ति साधना, पुराणिक विजय और सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक हैं। अष्टमी शक्ति का महत्व सिखाती है। नवमी विजय की ओर प्रेरित करती है। सिंहावलोकन हमें अतीत को पीछे छोड़ आगे बढ़ने का संदेश देता है।