Nagapanchami Festival: नाग पूजा का पर्व और उसकी सांस्कृतिक परंपरा
भारत की धार्मिक परंपराओं में Nagapanchami एक अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन लोग सर्पों की पूजा करते हैं और नागों को दूध अर्पित करते हैं। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
नागों की पूजा का इतिहास
पुराणों के अनुसार, नाग जाति का वर्णन कई स्थानों पर आता है। सर्प आराधना की यह परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। महाभारत में भी नागवंश का विशेष उल्लेख है।
वैदिक युग में नागों की मान्यता
ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी नागों का वर्णन मिलता है। वे न केवल जल तत्व के प्रतीक हैं, बल्कि जीवन ऊर्जा का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। इसीलिए नागों का पर्व केवल पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन की चेतना भी दर्शाता है।
लोक कथाओं में नागपंचमी का उल्लेख
राजस्थानी और मराठी लोककथाओं में Nagapanchami के कई पौराणिक प्रसंग मिलते हैं। इन कहानियों में नागों की रक्षा करना पुण्यकारी बताया गया है।
नाग पंचमी और प्राकृतिक संतुलन
नागों की पूजा केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सांपों की रक्षा से चूहों की आबादी नियंत्रित होती है, जिससे फसलों की रक्षा होती है।
आज के युग में नाग पूजा का महत्व
आज भी गांवों और छोटे शहरों में नाग पूजा का यह पर्व बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व हमें हमारी जड़ों और प्रकृति से जोड़ता है।
निष्कर्ष
Nagapanchami सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यावरण और चेतना का संगम है। इस दिन की महिमा का सम्मान करना हमारी परंपरा को जीवित रखना है।
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