18 July 2025
Pancha Pran: पंच प्राण जीवन ऊर्जा के पाँच स्तंभ
पंच प्राण क्या हैं?
Pancha Pran या पंच प्राण हमारे शरीर में जीवन ऊर्जा के पाँच मुख्य स्तंभ होते हैं। ये ऊर्जा धाराएँ श्वास, पाचन, रक्तसंचार और मानसिक क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। योग और आयुर्वेद में इन पंच प्राणों का संतुलन स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक माना गया है।
पंच प्राण के प्रकार और कार्य
प्राण (Prana)
यह कंठ से हृदय तक होता है और सांस लेने व वाणी के लिए जिम्मेदार है।
अपान (Apan)
नाभि से मूलाधार तक यह मल-मूत्र और मासिक धर्म की प्रक्रिया नियंत्रित करता है।
समान (Samana)
यह पाचन और पोषण वितरण में सहायता करता है।
उदान (Udan)
यह वाणी, स्मृति और चेतना को नियंत्रित करता है।
व्यान (Vyan)
पूरे शरीर में रक्तसंचार और समन्वय का कार्य करता है।
पंच प्राण संतुलन के लिए प्राणायाम
- नाड़ी शोधन प्राण और अपान को संतुलित करता है।
- भस्त्रिका समान और व्यान को सक्रिय करता है।
- कपालभाति अपान को शुद्ध करता है।
- उज्जयी प्राण और उदान को जाग्रत करता है।
- भ्रामरी मन को शांत कर उदान संतुलित करता है।
ध्यान में पंच प्राण का महत्व
ध्यान करते समय पंच प्राणों का संतुलन जरूरी होता है। प्राणायाम के बाद ध्यान से मानसिक स्थिरता और आत्मिक जागरूकता बढ़ती है, जिससे जीवन ऊर्जा बेहतर तरीके से प्रवाहित होती है।