25 June 2025
“यह दुनिया अब रणभूमि है, जहाँ हर मोहरा अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रहा है — लेकिन असली कीमत मनुष्यता चुका रही है।”
वैश्विक परिदृश्य: जब कूटनीति की जगह बंदूकें बोलें
आज की दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ वैश्विक राजनीति किसी शतरंज के खेल से कम नहीं लगती। लेकिन यहाँ चालें केवल बौद्धिक नहीं, विनाशकारी होती जा रही हैं। जहां एक ओर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर नीतियाँ बन रही हैं, वहीं दूसरी ओर कट्टर विचारधाराएं, ध्रुवीकृत गुट, और आधुनिक हथियारों की दौड़ इस बिसात को और जटिल बना रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध: आधुनिक उपनिवेशवाद की वापसी?
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध इस समय का सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष है। 2022 में शुरू हुआ यह युद्ध धीरे-धीरे वैश्विक टकराव की ओर बढ़ता गया, जिसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ और नाटो की भूमिका निर्णायक रही। यह सिर्फ क्षेत्रीय संघर्ष नहीं, बल्कि सोवियत संघ के भूत और पश्चिमी दुनिया के भविष्य का द्वंद्व बन चुका है।
यूक्रेन को अब तक 100 अरब डॉलर से अधिक की सैन्य और आर्थिक सहायता दी जा चुकी है (स्रोत: SIPRI 2024)। वहीं रूस ने हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया है, जो ध्वनि की गति से 10 गुना तेज़ चलती हैं और जिनमें परमाणु क्षमता भी हो सकती है।
इस्राएल-ईरान टकराव: आत्मरक्षा या रणनीतिक दबदबा?
इस्राएल और ईरान के बीच वर्षों से तनाव बना हुआ है, जो अब खतरनाक मोड़ ले चुका है। ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं और इस्राएल की ‘पहले हमला करो’ नीति एक विस्फोटक समीकरण बना रही हैं। 2024 में इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने रिपोर्ट दी कि ईरान का यूरेनियम संवर्धन स्तर 84% तक पहुंच गया है, जो परमाणु बम निर्माण के लिए आवश्यक 90% के बहुत करीब है।
इस्राएल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमले की तैयारी, और ईरान द्वारा अपने प्रॉक्सी मिलिशिया जैसे हिज़बुल्लाह और हौथियों को सक्रिय करना, क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।
युद्ध के नए आयाम: युद्ध अब सिर्फ बंदूक से नहीं लड़ा जाता
21वीं सदी का युद्ध अब पारंपरिक सीमाओं से परे जा चुका है। अब लड़ाई केवल सैनिकों या टैंकों से नहीं, बल्कि सर्वरों, सॉफ्टवेयर और सैटेलाइट से हो रही है।
साइबर युद्ध अब राष्ट्रों की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुकी है। 2023 में अमेरिका, भारत और यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर साइबर हमले हुए। Microsoft की रिपोर्ट के अनुसार, अब हर मिनट औसतन 1,100 से ज्यादा साइबर हमले होते हैं। इन हमलों का उद्देश्य केवल डेटा चुराना नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था और सैन्य संचालन को ठप करना है।
वहीं परमाणु हथियारों की होड़ अब भी थमी नहीं है। वर्तमान में दुनिया में लगभग 12,500 परमाणु हथियार मौजूद हैं, जिनमें से 90% केवल अमेरिका और रूस के पास हैं (स्रोत: Federation of American Scientists 2024)। उत्तर कोरिया बार-बार बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर जापान और दक्षिण कोरिया को धमका रहा है, और चीन ताइवान पर हमले की खुली चेतावनी दे चुका है।
विश्व में बनते-बिगड़ते गुट
दुनिया स्पष्ट रूप से दो ध्रुवों में बंट चुकी है। एक ओर अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकतांत्रिक देश हैं, जो नाटो और G7 जैसे समूहों में संगठित हैं। दूसरी ओर रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों का गुट है, जो BRICS और शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों पर सक्रिय हैं। यह ध्रुवीकरण शीतयुद्ध की याद दिलाता है, लेकिन इस बार हथियार और रणनीतियाँ कहीं अधिक खतरनाक हैं।
विचारधारात्मक युद्ध: अब युद्ध मन और मस्तिष्क का भी है
सोशल मीडिया, फेक न्यूज़, ट्रोल आर्मी और प्रचार तंत्र आधुनिक युद्ध का नया आयाम बन चुके हैं। चीन का “Great Firewall”, रूस का प्रोपेगैंडा नेटवर्क और पश्चिमी देशों का सूचना युद्ध — सब मिलकर जनता की राय, चुनावों और वैश्विक नैरेटिव को प्रभावित कर रहे हैं। यह मनोवैज्ञानिक युद्ध है, जिसमें बम नहीं, विचार चलाए जाते हैं।
क्या ये तीसरे विश्वयुद्ध की भूमिका है?
इतिहास को देखें तो प्रथम विश्व युद्ध एक छोटी सी घटना से शुरू हुआ — एक राजकुमार की हत्या से। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत भी एक क्षेत्रीय हमले से हुई थी। आज वैश्विक परिस्थितियाँ अत्यंत संवेदनशील हैं — जहां गलती से भी कोई हमला किसी परमाणु बटन को सक्रिय कर सकता है।
अमेरिकी थिंक टैंक RAND Corporation की रिपोर्ट के अनुसार, “वर्तमान वैश्विक तनाव स्थिति 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से भी ज़्यादा अस्थिर है।” यह गंभीर चेतावनी है।
कुछ तथ्य जो सोचने पर मजबूर करते हैं
2023 में विश्वभर में सैन्य खर्च \$2.4 ट्रिलियन डॉलर पार कर गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है (स्रोत: SIPRI)
भारत तीसरा सबसे बड़ा रक्षा व्यय करने वाला देश बन चुका है।
एक परमाणु विस्फोट में औसतन 1.4 लाख लोग एक पल में मारे जा सकते हैं, जैसा कि हिरोशिमा में हुआ था।
चीन और अमेरिका ने सैटेलाइट-विनाशक हथियारों का परीक्षण किया है जो अंतरिक्ष को भी युद्ध क्षेत्र बना सकते हैं।
निष्कर्ष: क्या अभी भी समय है?
दुनिया आज उस मोड़ पर खड़ी है, जहाँ युद्ध की संभावनाएं बस एक चिंगारी की दूरी पर हैं। लेकिन इस बिसात पर चालें इंसानों को जीतने की नहीं, बचाने की होनी चाहिए। तकनीकी विकास और वैश्विक संचार के इस युग में शांति केवल एक सपना नहीं, बल्कि विकल्प हो सकती है — बशर्ते हम उसे चुनें।
Albert Einstein ने कहा था, “अगर तीसरा विश्वयुद्ध हुआ, तो चौथा युद्ध पत्थर और डंडों से लड़ा जाएगा।” यह चेतावनी नहीं, भविष्य की परछाईं है।
संदर्भ (References)
1. SIPRI Military Expenditure Database (2024): [https://sipri.org](https://sipri.org)
2. IAEA Iran Nuclear Report (2024): [https://iaea.org](https://iaea.org)
3. Microsoft Digital Defense Report (2023): [https://microsoft.com](https://microsoft.com)
4. Federation of American Scientists: [https://fas.org](https://fas.org)
5. RAND Corporation Strategic Reports (2024)
6. UN Security Council Briefings on Russia, Ukraine, Iran (2023–24)
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