प्राचीन भारतीय समय प्रणाली : दिन के 8 प्रहर और उनका महत्व

11 May 2025

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प्राचीन भारतीय समय प्रणाली : दिन के 8 प्रहर और उनका महत्व

प्राचीन भारत की समय गणना प्रणाली अत्यंत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक थी। दिन और रात को आठ समान भागों में बाँटा गया जिन्हें प्रहर कहा जाता था। प्रत्येक प्रहर लगभग 3 घंटे का होता है। इस लेख में हम जानेंगे हर प्रहर का नाम, समय, महत्त्व और उसके प्राचीन उपयोग।

प्रहर क्या होता है?

प्रहर एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है समय का निश्चित भाग। दिन-रात्रि में कुल 8 प्रहर होते हैं – 4 दिन के और 4 रात के।

समय विभाजन:

  • 1 प्रहर = 3 घंटे
  • 4 प्रहर = दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त)
  • 4 प्रहर = रात्रि (सूर्यास्त से सूर्योदय)

दिन के चार प्रहर

1. प्रथम प्रहर (प्रातः प्रहर)

समय: सूर्योदय से 9 बजे तक
महत्त्व: ध्यान, जप, योग, स्नान और स्वाध्याय का समय। वायुमंडल सबसे शुद्ध होता है।

2. द्वितीय प्रहर (पूर्वाह्न प्रहर)

समय: 9 बजे से 12 बजे तक
महत्त्व: शिक्षा, न्यायिक कार्य, सभा आदि इस काल में होते थे।

3. तृतीय प्रहर (मध्यान्ह प्रहर)

समय: 12 बजे से 3 बजे तक
महत्त्व: भोजन और विश्राम का उपयुक्त समय। पाचन शक्ति चरम पर होती है।

4. चतुर्थ प्रहर (अपराह्न प्रहर)

समय: 3 बजे से 6 बजे तक
महत्त्व: संध्या वंदन, पाठ, चर्चा और विश्राम का समय।

रात्रि के चार प्रहर

5. पंचम प्रहर (सायं प्रहर)

समय: 6 बजे से 9 बजे तक
महत्त्व: आरती, दीपदान, ध्यान, परिवार संग संवाद का समय।

6. षष्ठ प्रहर (प्रथम रात्रि प्रहर)

समय: 9 बजे से 12 बजे तक
महत्त्व: विश्राम का प्रथम चरण, शरीर का पुनःसंतुलन।

7. सप्तम प्रहर (मध्य रात्रि)

समय: 12 बजे से 3 बजे तक
महत्त्व: गहन निद्रा या योगियों हेतु ध्यान का समय।

8. अष्टम प्रहर (ब्रह्ममुहूर्त)

समय: 3 बजे से सूर्योदय तक
महत्त्व: यह प्रहर सर्वोत्तम माना गया है। ध्यान, जप, अध्ययन हेतु सर्वोत्तम।

प्राचीन काल में प्रहरों का उपयोग

  • गुरुकुलों में प्रथम और द्वितीय प्रहर में शिक्षण
  • राजा की सभा द्वितीय और तृतीय प्रहर में
  • धार्मिक अनुष्ठान चतुर्थ व पंचम प्रहर में
  • ऋषि-मुनियों की साधना ब्रह्ममुहूर्त (अष्टम प्रहर) में

निष्कर्ष

प्राचीन भारतीय ‘प्रहर प्रणाली’ केवल समय को बाँटने का माध्यम नहीं, बल्कि एक अनुशासित, स्वास्थ्यपूर्ण और आध्यात्मिक जीवन जीने की व्यवस्था थी। आज भी यदि हम इस प्रणाली को अपनाएँ, तो जीवन अधिक सुव्यवस्थित और ऊर्जा-पूर्ण बन सकता है।