08 May 2025
जलेबी: सिर्फ मिठाई नहीं, एक आयुर्वेदिक औषधि भी है
प्रकाशित तिथि: 08 मई 2025 | AzaadBharat.org
जब हम भारतीय मिठाइयों की बात करते हैं, तो जलेबी का नाम सबसे पहले आता है। सुनते ही मुँह में मिठास घुल जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह केवल एक मिठाई नहीं, बल्कि आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि भी मानी जाती है?
जलेबी का राजशाही और आयुर्वेदिक महत्व
जलेबी को भारतीय संस्कृति में एक राजसी पकवान माना गया है। पारंपरिक रूप से इसे दूध, दही या रबड़ी के साथ खाया जाता है। यह स्वाद और पोषण दोनों के लिए मशहूर है। आयुर्वेद के अनुसार, इसका सेवन कई शारीरिक समस्याओं में लाभकारी होता है।
आयुर्वेद में जलेबी के प्रयोग
- जलोदर रोग में लाभकारी: जलेबी का उपयोग जलोदर (Ascites) जैसी बीमारी में किया जाता था।
- डायबिटीज में संतुलन: शुगर के रोगियों के लिए दही के साथ जलेबी खाने से रक्त शर्करा को संतुलित करने में सहायता मिलती थी।
- वजन और लंबाई बढ़ाना: खाली पेट दूध के साथ जलेबी खाने से बच्चों और किशोरों की वृद्धि में मदद मिलती थी।
- माइग्रेन में राहत: सूर्योदय से पहले दूध-जलेबी का सेवन सिरदर्द में लाभदायक माना गया है।
- बवासीर का इलाज: जलेबी को मूली के रस में रातभर भिगोकर सुबह सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- देवी भोग में जलेबी: आदि शंकराचार्य की पूजा विधि में भगवती को जलेबी का भोग लगाया जाता है।
- शनिदेव और इमरती: शनिदेव के दोष से मुक्ति के लिए उड़द की इमरती चढ़ाने की परंपरा है।
शास्त्रों में जलेबी का वर्णन
- पुराणों में: “रस कुंडलिका” के रूप में उल्लेख।
- भोज कुतूहल: “जल वल्लीका” नाम से जाना गया।
- गुण्यगुणबोधिनी: ग्रंथ में जलेबी की विधि का वर्णन मिलता है।
पाचन और कब्ज से संबंध
जलेबी का कुंडली जैसा आकार आंतों का प्रतीक माना गया है। यह पाचन क्रिया सुधारने और कब्ज दूर करने में सहायक है।
निष्कर्ष
जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, आयुर्वेदिक ज्ञान और धार्मिक आस्था का अनमोल प्रतीक है। अगली बार जब आप इसे खाएं, तो इसके स्वाद के साथ-साथ इसके औषधीय गुणों को भी याद रखें।
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