पंचमुखी हनुमानजी का रहस्य

26 April 2025

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हनुमानजी को पंचमुखी क्यों कहते हैं? — एक आध्यात्मिक रहस्य

प्रकाशित तिथि: 26 अप्रैल 2025 | स्रोत: AzaadBharat.org

हनुमानजी को हम बल, भक्ति और बुद्धि का प्रतीक मानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि उन्हें “पंचमुखी हनुमान” क्यों कहा जाता है? क्या यह केवल एक रूप है, या इसके पीछे कोई गूढ़ रहस्य छिपा है?

आइए वेदों, पुराणों और तांत्रिक ग्रंथों के माध्यम से इस रहस्य को समझते हैं।

पंचमुखी हनुमान का पहला उल्लेख कहाँ मिलता है?

पंचमुखी हनुमान का वर्णन स्कंद पुराण, हनुमान तंत्र, महावीर संहिता और रामायण के कुछ प्रसंगों में मिलता है। यह रूप उस समय प्रकट हुआ जब अहिरावण ने लक्ष्मण को पाताल लोक में बंदी बना लिया था।

पंचमुखी हनुमान अवतार की कथा: अहिरावण-वध

  • पूर्व मुख – हनुमान: बल, भक्ति, रामकार्य में तत्पर।
  • दक्षिण मुख – नरसिंह: अधर्म व अहंकार का विनाश।
  • पश्चिम मुख – गरुड़: विष, काले जादू और नागों से रक्षा।
  • उत्तर मुख – वराह: अंधकार और अज्ञान का नाश।
  • ऊर्ध्वमुख – हयग्रीव: ज्ञान और तांत्रिक बाधाओं का नाश।

पंचमुखी हनुमान का प्रतीकात्मक अर्थ

यह रूप केवल भौतिक नहीं, बल्कि तांत्रिक और आध्यात्मिक संकेत है:

  • हनुमान मुख – कर्म और भक्ति
  • नरसिंह मुख – शौर्य और रक्षा
  • गरुड़ मुख – ऊर्जाओं की शुद्धि
  • वराह मुख – तमस का नाश
  • हयग्रीव मुख – ब्रह्मज्ञान और विवेक

वेदों में संकेत

ऋग्वेद में “मारुतः पवमानो देवता” जैसे शब्द हनुमानजी के तत्वस्वरूप की ओर संकेत करते हैं।

पंचमुखी हनुमान की पूजा क्यों की जाती है?

  • रोगों और दोषों से मुक्ति
  • काला जादू व भूत-प्रेत बाधाओं से सुरक्षा
  • ज्ञान, ध्यान और साधना में सफलता
  • जीवन के संकटों से रक्षा

निष्कर्ष

पंचमुखी हनुमानजी केवल एक रूप नहीं, बल्कि पाँच दिशाओं, पाँच तत्वों, और पाँच दिव्य शक्तियों का नियंत्रण करने वाली चेतना हैं। यह हमें सिखाते हैं कि संकट के समय हमें भी अपने भीतर की शक्तियों को जाग्रत करना चाहिए।