18 अप्रैल 2025
परिवार का आकार और देश की तरक्की – एक सोचने लायक विषय
आजकल हम सभी चाहते हैं कि हमारा देश तेज़ी से तरक्की करे। इसके लिए सरकारें कई योजनाएं बनाती हैं
जैसे नई फैक्ट्रियां, अच्छी सड़कें, शिक्षा, और रोज़गार के मौके। लेकिन एक बात जिस पर कम चर्चा होती है.
वह है – परिवार में बच्चों की संख्या।
कुछ लोग मानते हैं कि अगर परिवारों में ज़्यादा बच्चे होंगे, तो देश को आगे चलकर एक बड़ा और युवा कामकाजी वर्ग मिलेग.
जो देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देगा।
क्या यह सच में इतना आसान है? चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
ज्यादा बच्चे, ज्यादा काम करने वाले लोग?
जब किसी देश में काम करने वाले लोग ज़्यादा होते हैं, तो वहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले, दुकानों में व्यापार करने वाले, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान और अन्य लोग भी ज़्यादा होते हैं।
इससे उत्पादन बढ़ता है, बाज़ार में रौनक रहती है और देश की आमदनी बढ़ती है।
इसलिए कुछ लोग मानते हैं कि अगर परिवारों में ज़्यादा बच्चे होंगे, तो भविष्य में देश के पास एक मज़बूत और युवा कार्यबल होगा
लेकिन क्या इतना आसान है यह?
इस सोच में कुछ सच्चाई जरूर है, लेकिन साथ ही इसमें कई चुनौतियां भी हैं
सभी बच्चों को अच्छी परवरिश मिलना ज़रूरी है
अगर ज़्यादा बच्चे हैं, लेकिन उनके पास अच्छा खाना, पढ़ाई, और इलाज नहीं है.
तो वे देश के लिए बोझ बन सकते हैं
रोज़गार की कमी
अगर नौकरियां कम हों और पढ़े-लिखे युवा ज़्यादा, तो बेरोजगारी बढ़ती है।
इससे समाज में निराशा और तनाव भी बढ़ता है।
गरीबी का असर
अगर गरीब परिवारों में बच्चे ज़्यादा होते हैं, तो उन्हें पूरा पालना मुश्किल हो जाता है।
इससे आने वाली पीढ़ी भी गरीबी में फंसी रह सकती है।
प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ
पानी, खाना, बिजली और ज़मीन – ये सब सीमित हैं। जब आबादी बहुत बढ़ जाती है.
तो इन चीजों की कमी होने लगती है।
क्या दुनिया के और देशों में ऐसा हो रहा है?
कुछ देशों में आबादी बहुत कम हो गई है
जिससे वहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है और काम करने वाले लोग क
म हैं। वहां अब सरकारें लोगों को ज़्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं,
जहां जनसंख्या बहुत ज़्यादा है, और वहां शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की बड़ी समस्या है।
इसलिए यह साफ है कि ना तो बहुत ज़्यादा जनसंख्या सही है, ना ही बहुत कम। ज़रूरी है – संतुलन।
समझदारी क्या है?
हर परिवार को अपने हालात को देखकर तय करना चाहिए कि उनके लिए कितने बच्चे सही हैं।
सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे हर बच्चे को पढ़ाई, सेहत और अच्छा जीवन मिले।
महिलाओं को पढ़ाई और निर्णय लेने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए।
हमें यह भी सोचना होगा कि गुणवत्ता ज़रूरी है, केवल संख्या नहीं।
निष्कर्ष
देश की तरक्की केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती कि कितने लोग हैं.
इस पर निर्भर करती है कि वे लोग कितने योग्य, स्वस्थ और आत्मनिर्भर हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि हम परिवार बढ़ाने से पहले यह सोचें .
क्या हम हर बच्चे को सही तरीके से पाल सकते हैं? क्या हम उन्हें अच्छा भविष्य दे सकते हैं?
अगर हां, तो वही बच्चे कल देश की ताकत बनेंगे।
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