Elite Class की चालबाज़ी: एक सुनियोजित साज़िश जो हमें हमारी जड़ों से काट रही है!

Elite Class की चालबाज़ी: एक सुनियोजित साज़िश जो हमें हमारी जड़ों से काट रही है!

प्रस्तावना

आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ सूचनाओं की बाढ़ आई हुई है — टीवी, सोशल मीडिया, अख़बार, वेब सीरीज़… लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपको जो दिखाया जा रहा है, उसे तय कौन कर रहा है?

क्या ये सच्चाई है… या एक ऐसी साज़िश जो हमारी सोच, संस्कृति और भविष्य को अपनी मुठ्ठी में कर रही है?

इसके पीछे एक ताक़तवर मगर अदृश्य वर्ग है — जिसे हम कहते हैं “Elite Class”।

कौन हैं ये Elite Class?

  • अरबपति उद्योगपति
  • अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के संचालक (जैसे WHO, WEF, IMF आदि)
  • ग्लोबल मीडिया हाउस
  • और वो शक्तिशाली लोग जो “दुनिया का एजेंडा” बनाते हैं

इनका असली मकसद है: जनता की सोच पर क़ब्ज़ा जमाना।

कैसे किया जा रहा है गुमराह?

मीडिया: असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की फैक्टरी

  • रोज़ कुछ न कुछ नया शोर: किसी एक्टर की शादी, किसी नेता की बयानबाज़ी या किसी संत पर स्टिंग।

लेकिन:

  • क्या किसानों की हालत पर डिबेट होती है?
  • क्या बेरोज़गारी पर प्राइमटाइम चलता है?
  • क्या संतों की सेवा और समाज सुधार की कवरेज होती है?

जो असली है, वो छुपाया जाता है।
जो नकली है, उसे उछाला जाता है।

संस्कृति और धर्म पर सुनियोजित हमला

Elite Class जानता है कि भारतीय संस्कृति में शक्ति है — सेवा, संयम, योग, ज्ञान, वैराग्य…

इसलिए वे:

  • वेब सीरीज़ के ज़रिए परिवार और मर्यादा का मज़ाक उड़ाते हैं।
  • संतों को ढोंगी बताकर श्रद्धा को खत्म करते हैं।
  • युवाओं को “modern” बनाकर जड़ों से काटते हैं।

सोच को कंट्रोल करना — शिक्षा से लेकर रोल मॉडल तक

  • इतिहास से असली महापुरुषों को मिटा दो।
  • नकली सेलेब्रिटी को आदर्श बना दो।
  • बच्चों को नैतिकता से दूर करो, सिर्फ़ दौड़ लगाओ।
  • संस्कारों को पिछड़ा कहो।

नतीजा — खोखला समाज जो दिखता है तेज़, लेकिन अंदर से कमज़ोर।

इन सबका असली मकसद?

  • जनता को सोचने से रोकना
  • संस्कृति और धर्म से तोड़ना
  • आत्मबल और आत्मगौरव खत्म करना
  • और बनाना एक “consumer society” — जो बस खरीदे, खाए और बोले नहीं!

अब समय है जागने का!

काफ़ी हो गया! अब समय है:

  • सवाल पूछने का
  • सच्चाई जानने का
  • और अपनी जड़ों को फिर से अपनाने का।

हमें क्या करना चाहिए?

  • ✅ सच्चे संतों और ऋषि-मुनियों का सत्संग सुनें
  • ✅ मीडिया पर आँख बंद कर विश्वास करना बंद करें
  • ✅ भारत के असली इतिहास और संस्कृति को जानें और बच्चों को सिखाएँ
  • ✅ जीवन में धर्म, संयम, सेवा और सत्य को अपनाएँ
  • ✅ समाज में जागरूकता फैलाएँ, सही जानकारी साझा करें

जागरूक समाज ही सुरक्षित समाज होता है।

निष्कर्ष

Elite Class ने एक अदृश्य जाल बिछाया है।

अगर हम अब भी न जागे, तो:

  • हम सिर्फ एक संख्या बनकर रह जाएंगे — वोट देने वाले, टैक्स भरने वाले, और ट्रेंड फॉलो करने वाले।

लेकिन अगर हमने अभी से:

  • सोचने की ताक़त लौटाई,
  • संस्कृति से जुड़ गए,
  • और विवेक से निर्णय लेना शुरू किया…

तो इनकी चालें नाकाम हो जाएंगी।

अंतिम संदेश:

“जागो नहीं तो जड़ें खो बैठोगे,
सोचो नहीं तो सोच छिन जाएगी,
बोलो नहीं तो सच्चाई दब जाएगी!”

अब वक्त है —
जानिए,
जागिए,
और समाज को भी जगाइए!

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