12 April 2025
हनुमान जयंती: भक्ति, शक्ति और सेवा का उत्सव
हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो भगवान हनुमानजी के जन्म दिवस के रूप में विशेष महत्व रखती है।
इस दिन लाखों श्रद्धालु व्रत रखते हैं, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करते हैं, और अपने जीवन में निर्भयता, भक्ति और आत्मबल प्राप्त करने के लिए प्रभु हनुमान की उपासना करते हैं।
भगवान हनुमानजी का जीवन परिचय
माता अंजना और वानरराज केसरी के पुत्र तथा पवनदेव के वरदान से जन्में हनुमानजी को पवनपुत्र, अंजनीसुत, रामदूत, बजरंगी आदि नामों से जाना जाता है।
वे अमर, चिरंजीवी, और पराक्रमी भक्त हैं जिन्होंने संपूर्ण जीवन श्रीराम की सेवा और भक्ति में अर्पित कर दिया।
रामायण में वीर हनुमानजी की दिव्य लीलाएं
श्रीराम से पहली बार ऋष्यमूक पर्वत पर भेंट हुई और तभी से जीवनभर उनके भक्त और सेवक बन गए।
समुद्र पार करके माता सीता की खोज करना और उन्हें श्रीराम की अंगूठी देना।
लंका दहन कर रावण को चेतावनी देना और पूरी लंका को हिला देना।
लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाना और उन्हें जीवनदान देना।
राम रावण युद्ध में रामसेना का संचालन करना।
हनुमानजी को प्राप्त दिव्य वरदान
माता सीता द्वारा दिया गया वरदान: अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ
अष्ट सिद्धियाँ (शारीरिक और आत्मिक अलौकिक शक्तियाँ):
1. अणिमा – सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप धारण करना
2. महिमा – विशाल रूप बना लेना
3. गरिमा – भारी बनकर शत्रु को दबोच लेना
4. लघिमा – अत्यंत हल्का हो जाना
5. प्राप्ति – जो चाहो वह पा लेना
6. प्राकाम्य – इच्छित कार्य सिद्ध करना
7. ईशित्व – स्वेच्छा से सृष्टि पर नियंत्रण रखना
8. वशित्व – दूसरों को वश में करना
9.
नव निधियाँ (धन-सम्पत्ति की दिव्य शक्तियाँ):
1. पद्म – ऐश्वर्य का भंडार
2. महापद्म – विस्तृत और गुप्त निधि
3. शंख – शांति और सौभाग्य की निधि
4. मकर – समुद्री सम्पदा
5. कच्छप – स्थायित्व और धैर्य की निधि
6. मुकुंद – मोक्ष प्रदान करने वाली निधि
7. कुंद – सौंदर्य और शीतलता
8. नील – अमूल्य रत्नों की निधि
9. खर्व – रहस्यमयी अलौकिक निधि
इन वरदानों को पाकर हनुमानजी सम्पूर्ण सिद्धियों के स्वामी बन गए।
शनिदेव और हनुमानजी की कथा
रावण ने युद्ध से पूर्व शनिदेव को बंदी बना लिया था।
जब हनुमानजी लंका दहन के लिए पहुंचे, तो उन्होंने शनिदेव को मुक्त कराया।
शनिदेव ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया:
“जो भी शनिवार को श्रद्धा से हनुमानजी की पूजा करेगा, उस पर मेरी कुदृष्टि नहीं पड़ेगी।”
इसलिए हनुमानजी की उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, राहु-केतु और अन्य ग्रह दोष दूर होते हैं।
हनुमान जयंती पर विशेष पूजा विधि
सुबह स्नान कर लाल वस्त्र पहनें और हनुमानजी की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठें।
उन्हें चमेली का तेल, लाल सिंदूर, गुड़ और चने अर्पित करें।
हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण, रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
दीपक, अगरबत्ती जलाकर ध्यानपूर्वक प्रार्थना करें।
प्रसाद बाँटे और ज़रूरतमंदों की सेवा करें।
हनुमानजी से सीखने योग्य जीवन मूल्य
भक्ति: ईश्वर के प्रति अखंड समर्पण।
शक्ति: कठिन परिस्थितियों का वीरता से सामना।
सेवा: बिना अहंकार के परोपकार।
बुद्धि: सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता।
विनम्रता: अपार शक्तियों के बावजूद विनयपूर्ण व्यवहार।
हनुमानजी की अमरता: चिरंजीवी देवता
हनुमानजी को चिरंजीवी कहा गया है, यानी वे आज भी धरती पर भक्तों के कल्याण हेतु उपस्थित हैं।
सच्चे हृदय से की गई उनकी पूजा अवश्य फलदायी होती है।
उपसंहार
हनुमान जयंती एक दिव्य अवसर है, जब हम भक्ति, पराक्रम और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेते हैं।
बजरंगबली न केवल संकटमोचक हैं, बल्कि हमारे जीवन के मार्गदर्शक और आत्मबल के स्रोत भी हैं।
इस पावन अवसर पर आइए, उन्हें नमन करें और उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाएं।
Follow on
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
http://youtube.com/AzaadBharatOrg
Pinterest: https://goo.gl/o4z4