20 February 2025
वसंत ऋतु: प्रकृति का मधुर उत्सव
भारत की छह प्रमुख ऋतुओं में से वसंत ऋतु को सबसे सुहावनी और मनमोहक माना जाता है। यह ऋतु न केवल मौसम में परिवर्तन लाती है, बल्कि प्रकृति, पशु-पक्षियों और मानव जीवन में भी नई ऊर्जा और उमंग भर देती है। वसंत ऋतु का आगमन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से माना जाता है, जिसे वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह ऋतु फाल्गुन और चैत्र मास में आती है और लगभग फरवरी से अप्रैल तक रहती है।
प्रकृति का सौंदर्य और वसंत ऋतु
वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है, क्योंकि इस समय प्रकृति अपनी पूर्ण सुंदरता को प्रकट करती है। वृक्षों में नई कोपलें और फूल खिलने लगते हैं, आम के वृक्षों पर मंजरियाँ आने लगती हैं, और चारों ओर हरियाली छा जाती है। सरसों के पीले फूल खेतों में सुनहरी चादर बिछा देते हैं। गुलाब, पलाश, कदंब, और चंपा जैसे फूल अपनी सुगंध से वातावरण को महकाने लगते हैं।
नदियाँ स्वच्छ और निर्मल जल से भर जाती हैं, और वन्यजीवन भी सक्रिय हो जाता है। कोयल की मधुर कूक, भौरों की गुंजन, और मोरों का नृत्य इस ऋतु की शोभा को और बढ़ा देते हैं।
त्योहार और वसंत ऋतु
वसंत ऋतु को उल्लास और उमंग की ऋतु भी कहा जाता है क्योंकि इस समय कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। वसंत पंचमी से इसकी शुरुआत होती है, जो ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती की उपासना का दिन होता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग के व्यंजन खाना शुभ माना जाता है।
इसके अलावा, होली – रंगों का त्योहार भी वसंत ऋतु में ही आता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली होली, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव लोगों के मन में प्रेम और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है।
स्वास्थ्य और खान-पान पर वसंत ऋतु का प्रभाव
आयुर्वेद के अनुसार, वसंत ऋतु शरीर के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है। इस समय मौसम संतुलित होता है और न अधिक ठंड होती है, न अधिक गर्मी। यह ऋतु शरीर में जमी हुई कफ को बाहर निकालने का प्राकृतिक समय होता है, इसलिए इस दौरान हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए।
वसंत ऋतु में शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए हरी सब्जियाँ, ताजे फल, मूंग दाल, छाछ, शहद और गुनगुना पानी विशेष रूप से लाभकारी होते हैं। साथ ही, तली-भुनी और भारी भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इस मौसम में पेय पदार्थों में बेल का शरबत, गन्ने का रस और ताजे फलों के जूस शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
इस मौसम में योग और व्यायाम करने से शरीर अधिक ऊर्जावान रहता है और मानसिक रूप से प्रसन्नता बनी रहती है। ताजे फूलों और हरियाली के कारण मन में सकारात्मकता बनी रहती है।
काव्य और साहित्य में वसंत
संस्कृत और हिंदी साहित्य में वसंत ऋतु को विशेष स्थान दिया गया है। कालिदास ने अपनी प्रसिद्ध कृति ऋतुसंहार में वसंत ऋतु का मनोहारी वर्णन किया है। जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जैसे कवियों ने अपनी कविताओं में वसंत की सुंदरता और उसकी ऊर्जा को शब्दों में ढाला है।
आई वसंत बहार
इस पंक्ति के माध्यम से कवियों ने वसंत के आगमन की खुशी को व्यक्त किया है।
निष्कर्ष
वसंत ऋतु केवल एक मौसम नहीं, बल्कि प्रकृति का उत्सव है। यह नई ऊर्जा, उत्साह, प्रेम और उमंग का संदेश लाती है। यह ऋतु हमें प्रकृति के करीब ले जाती है और जीवन के प्रति एक नई आशा और सकारात्मकता भर देती है। त्योहारों की रंगीनता, फूलों की खुशबू, और कोयल की कूक वसंत ऋतु को एक स्वर्गिक अनुभव बना देती है।
आइए, इस वसंत ऋतु में हम भी प्रकृति के इस अनुपम उपहार का आनंद लें और अपने जीवन में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करें!
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