01 Feburary 2025
वसंत पंचमी का हिंदू शास्त्रों में महत्व
️पुराणों में वसंत पंचमी
स्कंद पुराण और मदन रत्न ग्रंथों में वसंत पंचमी को ऋतुओं का उत्सव कहा गया है। इस दिन को “श्री पंचमी” और “सरस्वती जयंती” भी कहा जाता है।
स्कंद पुराण में कहा गया है:
“वाग्देवी च सदा पूज्या ब्राह्मणैः शुभकर्मसु।
विशेषेणैव पूज्यन्ते वसन्ते शुक्लपञ्चम्याम्॥”
अर्थात, वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह दिन विद्या और वाणी की सिद्धि का शुभ अवसर है।
️ सरस्वती पूजन का वेदों में उल्लेख
ऋग्वेद में माँ सरस्वती को ज्ञान, वाणी और बुद्धि की देवी बताया गया है:
“या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥”
माँ सरस्वती के स्वरूप का यह वर्णन वेदों और उपनिषदों में भी मिलता है, जिससे इस पर्व की पवित्रता सिद्ध होती है।
️भगवद्गीता में ज्ञान और सरस्वती का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता (अध्याय 10, श्लोक 34) में कहा है:
“बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः॥”
इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को ऋतुओं में वसंत बताया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वसंत पंचमी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि ऋतु परिवर्तन और प्रकृति के नवजीवन का भी प्रतीक है।
️सरस्वती स्तोत्र (पद्म पुराण)
सरस्वती पूजा के महत्व को दर्शाने वाले पद्म पुराण में कहा गया है:
“सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥”
अर्थात, विद्यारंभ करने से पहले माँ सरस्वती की उपासना करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। इसीलिए इस दिन छोटे बच्चों को “अक्षरारंभ” करवाया जाता है।
️देवी भागवत महापुराण में सरस्वती की महिमा
देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण के लिए माँ सरस्वती को उत्पन्न किया। यह भी कहा गया है कि सरस्वती साधना करने से वाणी, ज्ञान, संगीत और विद्या में सिद्धि प्राप्त होती है।
️ याज्ञवल्क्य स्मृति में ज्ञान और सरस्वती
इस ग्रंथ में बताया गया है कि जो व्यक्ति सरस्वती मंत्र जप करता है, उसके जीवन में विद्या, वाणी और बुद्धि की दिव्यता आती है।
️सारस्वत्य मंत्र जप का हिंदू शास्त्रों में महत्व
वसंत पंचमी के दिन “सारस्वत्य मंत्र” का जप अत्यंत लाभकारी माना गया है।
सारस्वत्य मंत्र (ऋग्वेद)
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नमः”
हिंदू शास्त्रों में इस मंत्र के लाभ
रचनात्मकता में वृद्धि – कलाकारों और संगीतकारों के लिए यह मंत्र विशेष लाभकारी है।
देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करने से व्यक्ति की वाणी और बुद्धि में दिव्यता आती है।
प्राकृतिक परिवर्तन और वसंत पंचमी
वसंत पंचमी केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक है।
हिंदू शास्त्रों में वसंत ऋतु का वर्णन
रामायण में लिखा है:
“कुसुमितवनराजिः शोभिताः पुण्यगन्धैः।
नवजलधरश्यामाः प्रकीर्णाश्च मरुद्गणाः॥”
अर्थात, वसंत ऋतु में वृक्ष फूलों से भर जाते हैं, वातावरण सुगंधित हो जाता है, और प्राकृतिक सुषमा बढ़ जाती है।
कैसे करें सरस्वती पूजन?
सरस्वती पूजा विधि (हिंदू शास्त्रानुसार)
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर हैं। यह पर्व हमें विद्या, वाणी, ज्ञान और प्रकृति से जुड़ने का संदेश देता है।
हिंदू शास्त्रों में इस दिन का अत्यधिक महत्व बताया गया है और इसे ऋतु परिवर्तन, विद्या और साधना का पर्व माना गया है।
यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ सरस्वती पूजन और सारस्वत्य मंत्र का जप किया जाए, तो जीवन में न केवल विद्या और बुद्धि की वृद्धि होती है, बल्कि वाणी में प्रभाव और मन में स्थिरता आती है।
इसलिए, आइए इस पावन वसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की आराधना करें और ज्ञान, कला और साधना के इस पर्व को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएँ।
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