16 December 2024
पीपल: धरती पर ईश्वर का अनमोल वरदान
पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे धरती पर ईश्वर का वरदान माना गया है। न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी यह वृक्ष अद्वितीय है।
पीपल का पर्यावरणीय महत्व
पीपल का पेड़ 100% कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, जबकि बरगद 80% और नीम 75% तक इस प्रक्रिया में योगदान करते हैं।
आज की समस्या –
पिछले 68 वर्षों में पीपल, बरगद, और नीम जैसे जीवनदायी पेड़ों का रोपण सरकारी स्तर पर लगभग बंद हो गया है। इसके स्थान पर विदेशी यूकेलिप्टस और अन्य सजावटी पेड़ों को प्राथमिकता दी जा रही है।
यूकेलिप्टस: पर्यावरण के लिए खतरा
यूकेलिप्टस की जड़ें जमीन का सारा पानी सोख लेती हैं, जिससे भूमि जल-विहीन हो जाती है। वहीं, सजावटी पेड़ जैसे गुलमोहर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में कोई योगदान नहीं देते।
गर्मी और प्रदूषण के खतरे
वायुमंडल में जब पीपल जैसे रिफ्रेशर पेड़ नहीं होंगे, तो गर्मी बढ़ना स्वाभाविक है। गर्मी बढ़ने से पानी का वाष्पीकरण तेजी से होगा, जिससे जल संकट भी गहराएगा।
पीपल का अद्वितीय गुण
पीपल के पत्तों का फलक बड़ा और डंठल पतला होता है। यही कारण है कि हल्की हवा में भी इसके पत्ते हिलते रहते हैं और शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इसे वृक्षों का राजा भी कहा जाता है।
धार्मिक महत्व
शास्त्रों में भी पीपल की महिमा का वर्णन किया गया है:
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रे का सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।।
अब क्या करें?
1.हर 500 मीटर पर एक पीपल का पेड़ लगाएं।
2.जीवनदायी वृक्षों के प्रति समाज को जागरूक करें।
3.बगीचों और खेतों में फालतू सजावटी पेड़ों की जगह पीपल, बरगद, और नीम जैसे पेड़ों को प्राथमिकता दें।
बरगद एक लगाइए, पीपल रोपें पाँच।
घर-घर नीम लगाइए, यही पुरातन साँच।
यही पुरातन साँच, आज सब मान रहे हैं।
भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं।
विश्वताप मिट जाए, होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं, नीम, पीपल और बरगद।
निष्कर्ष
पीपल, बरगद, और नीम जैसे वृक्ष केवल पर्यावरण को स्वच्छ और संतुलित ही नहीं करते, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर भी हैं। विदेशी और सजावटी पेड़ों के प्रति आकर्षित होकर हमने इन जीवनदायी वृक्षों को अनदेखा कर दिया है।
अब समय आ गया है कि हम इनके महत्व को पहचानें और इनका संरक्षण करें। अगर हर व्यक्ति अपने आसपास ऐसे पेड़ों को लगाने का संकल्प ले, तो आने वाला भारत प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण के प्रति जागरूक होगा।
आइए, मिलकर प्रयास करें और प्रकृति को उसका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाएं।
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