बच्चों को सुसंस्कार कैसे दें: एक संपूर्ण मार्गदर्शन

 17 November 2024

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17 नवम्बर

बच्चों को सुसंस्कार कैसे दें: एक संपूर्ण मार्गदर्शन

बच्चों को सुसंस्कार देना हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। संस्कार केवल शब्दों से नहीं, बल्कि दैनिक जीवन की छोटी-छोटी गतिविधियों से दिए जाते हैं। बच्चों में अच्छे संस्कार डालने से उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही दिशा में होता है और वे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

बच्चों को सुसंस्कार देने के सरल तरीके

स्वयं आदर्श बनें:-

बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता से ही सीखते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अच्छे संस्कार सीखें, तो सबसे पहले खुद को उन संस्कारों का पालन करते हुए दिखाएं। जैसे सत्य बोलना, ईमानदारी से काम करना और दूसरों के साथ दया और सम्मान से पेश आना।

धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा :-

बच्चों को धर्म, संस्कृति और परंपराओं का महत्व समझाना बहुत जरूरी है। भगवद्गीता, रामायण और महाभारत जैसी धार्मिक किताबों की कहानियाँ बच्चों के जीवन में नैतिकता, साहस और सच्चाई का बीज बोती हैं। संत श्री आशारामजी बापू का मानना है कि बच्चों को इन ग्रंथों की शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, जिससे उनमें मजबूत आस्थाएँ और जीवन के मूलभूत सिद्धांत विकसित हों।

नैतिक कहानियों का प्रभाव :-

बच्चों को प्रेरणादायक और नैतिक कहानियाँ सुनाना, उनकी सोच और व्यवहार को सकारात्मक दिशा में बदलता है। ये कहानियाँ बच्चों को समझाती हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और ईमानदारी से काम कैसे किया जाता है।

समय की कीमत समझाएँ :-

समय का महत्व बच्चों को सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें बताएं कि समय एक बार गुजर जाने के बाद वापस नहीं आता। बच्चों को अनुशासन में रहने की आदत डालें और यह समझाएँ कि किसी भी कार्य को समय पर और सही तरीके से करना जरूरी है।

सम्मान और विनम्रता का भाव :-

बच्चों को यह सिखाएं कि दूसरों का सम्मान और उनसे  विनम्रता से पेश आना कितना महत्वपूर्ण है। माता-पिता और गुरु का सम्मान बच्चों में अच्छे संस्कारों का विकास करता है। जब बच्चे यह समझते हैं कि आदर और नम्रता से ही वे समाज में आदर्श बन सकते हैं, तो वे जीवन में इन गुणों का पालन करते हैं।

सेवा और करुणा का भाव :-

बच्चों को दूसरों की मदद करना और जरूरतमंदों के साथ दया का व्यवहार करना सिखाएं। सेवा भाव से बच्चों में सहानुभूति और करुणा का विकास होता है। आप बच्चों को वृद्धाश्रम, अनाथालय या अन्य समाज सेवा कार्यों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

प्रत्येक दिन प्रार्थना और ध्यान :-

बच्चों को रोजाना भगवान का नाम जपने और ध्यान करने की आदत डालें। यह उनके मन को शांत करता है और उन्हें मानसिक शांति मिलती है। संत श्री आशारामजी बापू का कहना है कि प्रार्थना और ध्यान से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह बच्चों के मानसिक विकास में सहायक होता है।

सच्चाई और ईमानदारी का महत्व :-

बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि हमेशा सत्य बोलना और ईमानदारी से काम करना चाहिए। उन्हें समझाएं कि किसी भी परिस्थिति में सच्चाई से मुंह न मोड़ें और हमेशा सही रास्ते पर चलें।

स्वयं के कार्य खुद करना सिखाएँ :-

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। उन्हें अपनी चीज़ों को संभालने, किताबों और खिलौनों को ठीक से रखना और अपना काम खुद करना सिखाएं। यह उन्हें जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनाता है।

माता-पिता, बड़ों और परिवार का सम्मान :-

बच्चों को यह सिखाएं कि परिवार सबसे अहम है और उसे हमेशा सम्मान देना चाहिए। जब बच्चे अपने परिवार के प्रति सम्मान और प्यार का भाव रखते हैं, तो वे जीवन में हर रिश्ते को भी अच्छे से निभा पाते हैं।

दिनचर्या के सुझाव :- बच्चों को अनुशासन में रखें

ब्रह्ममुहुर्त में उठना (सुबह 4 बजे):-

दिन की शुरुआत ब्रह्ममुहुर्त में उठकर करें, इससे शरीर और मन दोनों को फायदा होता है।

नित्य क्रिया और योग:-

नित्य क्रियाओं के बाद योग करें, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

स्नान और पूजा पाठ:-

स्नान के बाद विधिवत पूजा करें और भगवान का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।

प्रसाद ग्रहण करना और बांटना :-

पूजा के बाद प्रसाद लें और इसे परिवार के साथ साझा करें, यह बच्चों में परोपकार और दया का भाव बढ़ाता है।

स्कूल के बाद गीता या रामायण का पाठ :-

बच्चों को रोजाना गीता या रामायण का पाठ करने की आदत डालें। यह उनके जीवन में सही मार्गदर्शन और शक्ति प्रदान करेगा।

हर मंगलवार सुंदरकांड का पाठ :-

हर मंगलवार बच्चों को सुंदरकांड का पाठ करने के लिए प्रेरित करें और उन्हें माइक पर साथ में शामिल करें।

हर रविवार मंदिर जाएं :-

बच्चों को हर रविवार मंदिर जाने की आदत डालें, यह उन्हें धर्म और संस्कृति से जोड़ने का अच्छा तरीका है।

निष्कर्ष

बच्चों को सुसंस्कार देने के लिए माता-पिता का आचरण, उनका व्यवहार और उनके द्वारा की गई छोटी-छोटी गतिविधियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यदि हम बच्चों को सही दिशा में संस्कार देंगे, तो वे समाज में अच्छे नागरिक बनकर अपना योगदान देंगे। बच्चों के जीवन में अच्छे संस्कारों का बीज बोकर हम उन्हें जीवन की सच्चाई और अच्छाई से परिचित करा सकते हैं, और एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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