मार्गशीर्ष मास की महिमा: क्या करें, क्या न करें

15 November 2024

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मार्गशीर्ष मास की महिमा: क्या करें, क्या न करें

 

मार्गशीर्ष मास, जिसे हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ महीनों में से एक माना गया है। यह मास भगवान की भक्ति, आत्म-शुद्धि, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है। संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग के अनुसार, इस मास में किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है, जिससे परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

 

मार्गशीर्ष मास में क्या करें

 

विष्णुसहस्रनाम, भगवद गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ:

इस मास में विष्णुसहस्रनाम, भगवद गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है। दिन में 2-3 बार इनका पाठ करने से मन की शांति, पवित्रता, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, इन ग्रंथों के पाठ से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं और बुद्धि को दिव्यता प्राप्त होती है।

 

श्रीमद्भागवत का आदर:

स्कंद पुराण के अनुसार, इस मास में श्रीमद्भागवत का आदर करना चाहिए। यदि घर में श्रीमद्भागवत ग्रंथ है, तो प्रतिदिन एक बार उसे प्रणाम करें। ऐसा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

 

गुरु और इष्ट को प्रणाम:

इस मास में गुरु और इष्ट को “ॐ दामोदराय नमः” मंत्र के साथ प्रणाम करने की विशेष महिमा है। यह व्यक्ति के अंदर श्रद्धा और भक्ति का संचार करता है। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, गुरु को प्रणाम करने से आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में संतोष आता है।

 

शंख में तीर्थ का जल भरना:

शंख में तीर्थ का जल भरकर पूजा स्थान में भगवान और गुरु की मूर्ति के चारों ओर घुमाएँ, फिर इसे घर की दीवारों पर छिड़कें। यह क्रिया घर को शुद्ध करती है और नकारात्मकता को दूर करती है। बापूजी बताते हैं कि शंख का जल छिड़कने से शांति, सद्भाव और झगड़े व क्लेश समाप्त होते हैं।

 

कर्पूर दीपक जलाना:

इस मास में भगवान को कर्पूर का दीपक अर्पित करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। यह केवल व्यक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि कुल के उद्धार का माध्यम भी बनता है। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, कर्पूर का दीपक जलाने से घर का वातावरण पवित्र होता है और मन को शांति मिलती है।

 

भगवान का नाम-स्मरण और दान-पुण्य:

इस मास में भगवान का नाम जप, ध्यान और साधना विशेष लाभदायी है। इससे मन में शांति और जीवन में स्थिरता आती है। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करना पुण्यदायी माना जाता है।

 

महालक्ष्मी पूजा का महत्व:

मार्गशीर्ष मास में देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस मास में देवी लक्ष्मी की उपासना से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, महालक्ष्मी के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखने से परिवार में आर्थिक उन्नति होती है और धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। विशेष रूप से शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का पूजन करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और परिवार में संपन्नता बनी रहती है।

 

मार्गशीर्ष मास में क्या न करें

 

❌ अनुचित आचरण और हिंसा से बचें:

इस मास में क्रोध, द्वेष और हिंसक विचारों से दूर रहें। यह आत्म-शुद्धि और संयम का समय है। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, किसी के प्रति अनुचित व्यवहार आध्यात्मिक उन्नति में बाधा बनता है।

 

❌मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करें:

इस मास में मांसाहार, मदिरा सेवन, और तामसिक भोजन से दूर रहें। इससे शरीर और मन शुद्ध रहते हैं और व्यक्ति में धार्मिकता का संचार होता है।

 

❌कठोर भाषा का प्रयोग न करें:

किसी के प्रति कठोर या अपमानजनक भाषा का प्रयोग न करें। इस मास में सभी के प्रति प्रेम, दया और करुणा का भाव रखना चाहिए। बापूजी के अनुसार, ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

 

❌ गपशप और वाद-विवाद से बचें:

इस मास में अनावश्यक वाद-विवाद और गपशप में समय न बर्बाद करें। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, यह समय ईश्वर की भक्ति और साधना के लिए समर्पित करना चाहिए।

 

मार्गशीर्ष मास का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

 

भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में मार्गशीर्ष मास को अपना प्रिय मास बताया है। इस मास में की गई साधना और भक्ति का विशेष प्रभाव होता है और व्यक्ति को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। संत श्री आशारामजी बापू के अनुसार, मार्गशीर्ष मास में भगवान दामोदर की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

 

निष्कर्ष

 

मार्गशीर्ष मास आत्म-शुद्धि, भक्ति और धार्मिक अनुष्ठानों का समय है। संत श्री आशारामजी बापू के उपदेशों के अनुसार, इस मास में भगवान और गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए निष्ठा, श्रद्धा, और अनुशासन से इन नियमों का पालन करें।

 

 

 

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