51 शक्तिपीठ : शक्ति आराधना भाग 4 – शक्तिपीठ 31 से 40


28 September 2025
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️ 51 शक्तिपीठ : शक्ति आराधना का वैज्ञानिक और पौराणिक इतिहास
भाग 4 – शक्तिपीठ 31 से 40
भूमिका
जैसा कि पहले तीन भागों में देखा गया, शक्तिपीठ सती के शरीर के विभिन्न अंगों के गिरने से बने।
शिव और विष्णु की कृपा से ये स्थल केवल पूजा का केंद्र नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा केंद्र (Cosmic Energy Centers) बन गए।
वैदिक ग्रंथों में इनकी महिमा, ऊर्जा का प्रवाह और साधना पर प्रभाव बार-बार उल्लेखित है।
शक्तिपीठ 31 से 40
कामगिरि शक्तिपीठ – असम
गिरा अंग : योनि (जननांग)
शास्त्रीय उल्लेख : कालिका पुराण, तंत्रग्रंथ
विशेषता : योनि गिरना सृजन शक्ति और जीवन ऊर्जा का प्रतीक।
वैज्ञानिक तथ्य : ब्रह्मपुत्र नदी और आसपास के जल-स्रोत प्राकृतिक ऊर्जा का केंद्र हैं।
अमरनाथ शक्तिपीठ – जम्मू और कश्मीर
गिरा अंग : कंठ
शास्त्रीय उल्लेख : स्कंदपुराण, तंत्रचूड़ामणि
विशेषता : कंठ गिरना जीवन वाणी और प्राण शक्ति का प्रतीक।
वैज्ञानिक पहलू : अमरनाथ गुफा में हिमालयी ग्लेशियर से उत्पन्न प्राकृतिक ठंडा जल ऊर्जा का स्रोत।
बहुला शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल
गिरा अंग : हाथ
शास्त्रीय उल्लेख : कालिका पुराण
विशेषता : हाथ का गिरना कर्म और साधना की शक्ति का प्रतीक।
वैज्ञानिक तथ्य : नदियों और जंगलों की प्राकृतिक ऊर्जा यहाँ ध्यान को प्रबल बनाती है।
मंगला गौरी मंदिर – गया, बिहार
गिरा अंग : स्तन
शास्त्रीय उल्लेख : देवी भागवत
विशेषता : स्तन गिरना मातृत्व और करुणा का प्रतीक।
वैज्ञानिक पहलू : गंगा और फल्गु नदी के संगम से प्राकृतिक ऊर्जा का संतुलन।
त्रिपुरा सुंदरि – उदयपुर, त्रिपुरा
गिरा अंग : दाहिना पाँव
शास्त्रीय उल्लेख : स्कंदपुराण
विशेषता : पाँव गिरना गति और मार्गदर्शन का प्रतीक।
वैज्ञानिक तथ्य : त्रिपुरा के पठारी क्षेत्र की चुंबकीय और भूगर्भीय ऊर्जा ध्यान साधना को तीव्र बनाती है।
कात्यायनी शक्तिपीठ – वृंदावन, उत्तर प्रदेश
गिरा अंग : पीठ (कंधे)
शास्त्रीय उल्लेख : मार्कंडेय पुराण, देवी भागवत
विशेषता : पीठ गिरना आत्मसुरक्षा और शक्ति का प्रतीक।
वैज्ञानिक पहलू : यमुना के तट पर भूमि और जल ऊर्जा साधना को प्रबल बनाते हैं।
ललिता देवी मंदिर – प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
गिरा अंग : उंगली
शास्त्रीय उल्लेख : देवी भागवत
विशेषता : उंगली गिरना कर्म शक्ति और निर्णय क्षमता का प्रतीक।
वैज्ञानिक तथ्य : संगम स्थल का ऊर्जा संतुलन ध्यान साधना में मददगार।
भद्रकाली – कुरुक्षेत्र, हरियाणा
गिरा अंग : टखना
शास्त्रीय उल्लेख : स्कंदपुराण, तंत्रग्रंथ
विशेषता : टखना गिरना स्थिरता और जीवन पथ में संतुलन का प्रतीक।
वैज्ञानिक पहलू : सिंधु घाटी के नजदीकी भूगर्भीय ऊर्जा स्रोत साधना के लिए उपयुक्त।
मंगला गौरी – गया, बिहार
गिरा अंग : स्तन
शास्त्रीय उल्लेख : देवी भागवत
विशेषता : मातृत्व और करुणा की शक्ति।
वैज्ञानिक तथ्य : गंगा के तट और गहरी नदी ऊर्जा ध्यान को तीव्र बनाती है।
महालक्ष्मी – कोल्हापुर, महाराष्ट्र
गिरा अंग : नेत्र
शास्त्रीय उल्लेख : देवी भागवत, स्कंदपुराण
विशेषता : नेत्र गिरना दृष्टि शक्ति और जागरूकता का प्रतीक।
वैज्ञानिक पहलू : पश्चिम घाट की पर्वतीय ऊर्जा और प्राकृतिक चुंबकीय क्षेत्र साधना को प्रबल बनाते हैं।
✨ निष्कर्ष
भाग 4 में वर्णित शक्तिपीठ 31–40 यह स्पष्ट करते हैं कि हर शक्तिपीठ न केवल धार्मिक स्थल है बल्कि भौगोलिक और ऊर्जा विज्ञान के केंद्र के रूप में कार्य करता है।
ये शक्तिपीठ साधना, ध्यान और मानसिक शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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