चैत्र मास की तृतीया तिथि ( 4 अप्रैल 2022 सोमवार ) शिव-पार्वती की महापूजा गणगौरी तीज के नाम से प्रसिद्ध त्यौहार का नाम गणगौर पर्व
3 अप्रैल 2022
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गणगौर : गणगौर माता पार्वती का गौर अर्थात श्वेत रूप है। उन्हें गौरी और महागौरी भी कहते हैं। अष्टमी के दिन इनकी पूजा होता है, लेकिन चैत्र नवरात्रि की तृतीया को उन्हें इसलिए पूजा जाता है, क्योंकि राजस्थान और मध्यप्रदेश की लोक परंपरा के अनुसार इस दिन माता की अपने मायके के यहां से विदाई हुई थी।
गणगौर राजस्थान और मध्यप्रदेश का मुख्य पर्व है और वहां इसकी काफी मान्यता है,इसे राजस्थान और मध्यप्रदेश में भक्ति-भाव से मनाया जाता है,इस दिन गणगौर की पूजा की जाती है, लड़कियां एवं महिलाएं शंकर जी एवं पार्वती जी की पूजा करती हैं, गणगौर पर्व से भगवान शंकर और माता पार्वती की कहानी जुड़ी हुई है, इसीलिए इस पर्व की हिन्दू धर्म में काफी मान्यता है।
गणगौर व्रत कथा:एक समय की बात है, भगवान शंकर, माता पार्वती एवं नारद जी के साथ पृथ्वी पर भ्रमण हेतु चल दिए। वह चलते-चलते चैत्र शुक्ल तृतीया को एक गांव में पहुंचे।
उनका आना सुनकर ग्राम कि स्त्रियां उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी व अक्षत लेकर पूजन हेतु तुरंत पहुंच गई । पार्वती जी ने उनके पूजा भाव को समझकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटी।
गणगौर पर्व पर शिव-पार्वती के रूप में ईसर जी-गणगौर माता की पूजा की जाती है,उन्हें दूध,खीर, ज्यूस, फल,फ्रूट,मिठाइयों से भोग लगाया जाता है।
चैत्र मास की नवरात्रि की गणगौरी तीज से पंचमी तक 3 दिनों तक ये पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है
गणगौर पर्व की एक झलक वीडियो लिंक में
https://youtu.be/Z94a7I7AQIM
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