100 सूर्यग्रहण के समय में जो जप-तप का पुण्य मिलता है,वो वारुणी योग में 1 बार गंगा स्नान से पुण्य मिल जाता है।
27 मार्च 2022
वारुणी शुभ योग में पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है,साथ ही इस दौरान जप-तप व अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं। यह योग अत्यंत दुर्लभ और लाभदायक होता है।
वारूणी योग के बारे में कहा गया है कि चैत्र कृष्ण त्रयोदशी शततारका नक्षत्रयुता वारूणी संज्ञका स्नानादिना ग्रहणादि पर्वतुल्य फलदा अर्थात्- चैत्र कृष्ण त्रयोदशी के दिन शततारका अर्थात् शतभिषा नक्षत्र की युति हो तो वारूणी नाम का योग बनता है जिसमें स्नान व जप-तपादि करने से सूर्य ग्रहण के समान फल प्राप्त होता है।
शुभ फल पाने के लिए वारुणी योग में किसी पवित्र नदी में स्नान करें और शिव मंदिर में पूजा करें। इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। यदि पवित्र नदियों में स्नान करने का संयोग ना बन पाए तो अपने घर में ही पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करें।
*ल वारुणी योग में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें या किसी योग्य पंडित से करवाएं। इससे आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
वारुणी योग मंत्र जप, अनुष्ठान, यज्ञ, हवन आदि करने का बड़ा महत्व है। ऐसा करने वालों को हजारों यज्ञों का पुण्य मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र के सर्वश्रेष्ठ और शुभ योगों में से एक वारूणी योग चैत्र कृष्ण त्रयोदशी 30 मार्च 2022 को सूर्योदय से सुबह 10:48 बजे तक रहेगा । यह योग अत्यंत दुर्लभ और पुण्यदायी योग कहलाता है। इसमें पवित्र नदियों में स्नान,दान-पुण्य, जप, तप आदि करने का फल सूर्यग्रहण -चंद्र ग्रहण के समय किए गए स्नान-दान के समान प्राप्त होता है। चैत्र माह में बनने वाला यह एक अत्यंत पुण्यप्रद महायोग होता है।
वारुणी योग में गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है। वारुणी योग में हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, उज्जैन, रामेश्वरम, नासिक आदि तीर्थ स्थलों पर नदियों में स्नान करके भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे जीवन में समस्त प्रकार के सुख, ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। वारुणी योग के दिन भगवान शिव की पूजा, अभिषेक से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मंत्र जप, अनुष्ठान, यज्ञ, हवन आदि करने का बड़ा महत्व है। पुराणों का कथन है कि इस दिन किए गए एक यज्ञ का फल हजारों यज्ञों के समान मिलता है। यदि पवित्र नदियों में स्नान करने का संयोग ना बन पाए तो अपने घर में ही पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करें।
वारुणी योग में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं, बेलपत्र की माला अर्पित करें। शिवलिंग पर एक जोड़ा केला चढ़ाएं और वहीं बैठकर शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इससे आशातीत पुण्य होता है।
किसी विशेष मंत्र की सिद्धि करना हो तो इस योग में जरूर जप करें तो मंत्र जल्दी सिद्ध होता है।
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