साधुओं की हत्या रुक नहीं रही है, मंदिर में मिला 3 पुजारियों का खून से लथपथ शव….

12 सितंबर 2020

 
राष्ट्र विरोधी ताकतों ने देखा कि अगर भारतीय संस्कृति को खत्म करना है तो सबसे पहले उनके रक्षक साधु-संतों के प्रति लोगों की श्रद्धा खत्म करो जिसके लिए मीडिया द्वारा बदनाम करो या झूठे केस द्वारा जेल भिजवा दो अथवा हत्या कर दो जिससे आसानी से हिन्दू संस्कृति को खत्म करके धर्मान्तरण कर सकें एवं जिहाद फैला सकें और मंदिर की जगा चर्च या मस्जिद बनाकर उनका धर्म आसानी से फैला सकें ।
 

 

 
आपको बता दें कि कर्नाटक के मांड्या जिले के प्रसिद्ध अरकेश्वर मंदिर के 3 पुजारियों की गुरुवार (सितंबर 10, 2020) को बेरहमी से हत्या कर दी गई। वारदात को अंजाम उस समय दिया गया जब पुजारी मंदिर परिसर में सो रहे थे। पुजारियों को मौत के घाट उतारने के लिए धारदार हथियार के अलावा पत्थर का इस्तेमाल किया गया। बताया जा रहा है कि ये काम चोरी करने वाली गैंग का है।
 
पुलिस का कहना है कि मंड्या शहर के बाहरी इलाके गुट्टलु (Guttalu) में स्थित मंदिर के भीतर खून से लथपथ हालत में गणेश (55), प्रकाश (58) और आनंद (40) का शव मिला। तीनों पुजारियों को बेहरमी से मारा गया था। इनके सिर पत्थर से कुचले गए थे और मंदिर की दान पेटी से सारे रुपए गायब थे। जाँच में केवल दानपेटी से कुछ सिक्के ही मिले हैं। इसके अलावा उपद्रवियों ने कीमती सामान की तलाश में मंदिर के गर्भगृह में तोड़फोड़ भी की।
 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये तीनों पुजारी मंदिर की देखभाल करते थे। शुक्रवार को जब ग्रामीणों ने मंदिर का दरवाजा टूटा हुआ पाया, तब उन्होंने मामला जानने के लिए अंदर जाकर देखा और वहाँ उन्हें खून से लथपथ पुजारियों के शव मिले। इसके बाद उन लोगों ने पुलिस को सूचित किया।
 
मामले की जानकारी होते ही आई.जी. समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे और पड़ताल शुरू की। फोरेंसिक टीम से लेकर स्निफर डॉग्स तक को क्राइम सीन के पास लाया गया।
 
इस घटना की सूचना पाते ही कर्नाटक के मुख्य मंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने पुजारियों के परिजनों को 5 लाख रुपए मुआवजा का ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “ये बेहद परेशान करने वाली बात है कि अरकेश्वर मंदिर के पुजारियों गणेश, प्रकाश और आनंद की हत्या चोरों ने कर दी है। मंदिर में मारे गए पुजारियों परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा और दोषियों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई होगी।”
 
 
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में साधु, संतों और पुजारियों पर हमले की घटनाओं में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। अप्रैल में सबसे पहले पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग का मामला सामने आया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नांदेड़ में लिंगायत समाज के साधु की हत्या हुई थी। कुछ दिनों बाद वृंदावन में साधु तमालदास के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। बिहार में भी कजरा थाना क्षेत्र के श्रृंगी ऋषि धाम के पुजारी नीरज झा की हत्या कर उनके शव को जंगल स्थि‍त हनुमान थान के समीप फेंक दिया गया था। इनके अलावा यूपी के सुल्तानपुर, संभल में भी इसी तरह के हमले देखने को मिले थे।
 
भारतीय संस्कृति महान एवं प्राचीन है लेकिन राक्षसी स्वभाव के लोगों को सनातन संस्कृति कांटे की नाई चुभ रही है इसलिए इसे नष्ट करने के लिए अनेक कुठाराघात किये पर अभी भी सनातन संस्कृति अडिग है क्योंकि इस संस्कृति के रक्षक स्वयं भगवान एवं साधु-संत हैं, जिसकी वजह से ऐसे घोर कलिकाल में भी करोड़ों लोगों की आस्था साधु-संतो के प्रति है और वे सनातन संस्कृति को लोगों के दिल मे प्रगटाते रहते हैं जिसके कारण दुष्ट स्वभाव के लोग सफल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए साधु-संतों की हत्या कर देते है अथवा झूठे केस में जेल भेजवा देते हैं।
 
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