सनातन धर्म और मनुस्मृति में महिलाओं के विषय में क्या बताया गया है?

27 दिसंबर 2021

azaadbharat.org

🚩स्वघोषित लिबरल, नारीवादी और तथाकथित अंबेडकरवादी हमेशा चिल्लाते रहते हैं कि सनातन धर्म में नारी का सम्मान नहीं है। लिबरल इस बात को लेकर भी चिल्लाते हैं कि मनुस्मृति महिलाओं के खिलाफ है लेकिन इन लोगों ने मनुस्मृति पढ़ी ही नहीं है। बस, इनको तो हिंदू धर्मग्रंथों व सनातन धर्म को बदनाम करना होता है इसलिए झूठ फैलाते रहते हैं। आज आपको वास्तविकता बता रहे हैं कि हिंदू धर्म में नारी की महानता कितनी है।

👉यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रऽफलाः क्रियाः।- मनुस्मृति 3/56

अर्थात् जिस समाज या परिवार में स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता अर्थात् दिव्यगुण और सुख़- समृद्धि निवास करते हैं और जहां इनका सम्मान नहीं होता, वहां अनादर करने वालों के सभी काम निष्फल हो जाते हैं।

👉पिता, भाई, पति या देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री या भाभी को हमेशा यथायोग्य मधुर-भाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रखना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार का क्लेश नहीं पहुंचने देना चाहिए।- मनुस्मृति 3/55

👉जिस कुल में स्त्रियां अपने पति के गलत आचरण, अत्याचार या व्यभिचार आदि दोषों से पीड़ित रहती हैं वह कुल शीघ्र नाश को प्राप्त हो जाता है और जिस कुल में स्त्री-जन पुरुषों के उत्तम आचरणों से प्रसन्न रहती हैं, वह कुल सर्वदा बढ़ता रहता है।- मनुस्मृति 3/57

👉जो पुरुष अपनी पत्नी को प्रसन्न नहीं रखता, उसका पूरा परिवार ही अप्रसन्न और शोकग्रस्त रहता है और यदि पत्नी प्रसन्न है तो सारा परिवार प्रसन्न रहता है।- मनुस्मृति 3/62

👉पुरुष और स्त्री एक-दूसरे के बिना अपूर्ण हैं, अत: साधारण से साधारण धर्मकार्य का अनुष्ठान भी पति-पत्नी दोनों को मिलकर करना चाहिए।- मनुस्मृति 9/96

👉ऐश्वर्य की कामना करने वाले मनुष्यों को योग्य है कि सत्कार और उत्सव के समयों में भूषण वस्त्र और भोजनादि से स्त्रियों का नित्यप्रति सत्कार करें।- मनुस्मृति

👉पुत्र-पुत्री एक समान। आजकल यह तथ्य हमें बहुत सुनने को मिलता है। मनु सबसे पहले वह संविधान निर्माता हैं जिन्होंने पुत्र-पुत्री की समानता को घोषित करके उसे वैधानिक रुप दिया है,- ‘‘पुत्रेण दुहिता समा’’ (मनुस्मृति 9/130) अर्थात् पुत्री पुत्र के समान होती है।

👉पुत्र-पुत्री को पैतृक सम्पत्ति में समान अधिकार मनु ने माना है। मनु के अनुसार पुत्री भी पुत्र के समान पैतृक संपत्ति में भागी है। यह प्रकरण मनुस्मृति के 9/130- 9/192 में वर्णित है।

👉आज समाज में बलात्कार, छेड़खानी आदि घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं। मनु नारियों के प्रति किये अपराधों, जैसे- हत्या, अपहरण, बलात्कार आदि के लिए कठोर दंड, मृत्युदंड एवं देश निकाला आदि का प्रावधान करते हैं। सन्दर्भ- मनुस्मृति 8/323, 9/232, 8/342

👉नारियों के जीवन में आनेवाली प्रत्येक छोटी-बडी कठिनाई का ध्यान रखते हुए मनु ने उनके निराकरण हेतु स्पष्ट निर्देश दिये हैं।

पुरुषों को निर्देश है कि वे माता, पत्नी और पुत्री के साथ झगडा न करें (मनुस्मृति 4/180)। इनपर मिथ्या दोषारोपण करनेवालों, इनको निर्दोष होते हुए त्यागनेवालों, पत्नी के प्रति वैवाहिक दायित्व न निभानेवालों के लिए दण्ड का विधान है (मनुस्मृति 8/274, 389, 9/4)।

👉मनु की एक विशेषता और है; वह यह कि वे नारी की असुरक्षित तथा अमर्यादित स्वतन्त्रता के पक्षधर नहीं हैं और न उन बातों का समर्थन करते हैं जो परिणाम में अहितकर हैं। इसीलिए उन्होंने स्त्रियों को चेतावनी देते हुए सचेत किया है कि वे स्वयं को पिता, पति, पुत्र आदि की सुरक्षा से अलग न करें, क्योंकि एकाकी रहने से दो कुलों की निन्दा होने की आशंका रहती है। (मनुस्मृति 5/149, 9/5-6)। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि मनु स्त्रियों की स्वतन्त्रता के विरोधी हैं। इसका निहितार्थ यह है कि नारी की सर्वप्रथम सामाजिक आवश्यकता है- सुरक्षा की। वह सुरक्षा उसे, चाहे शासन-कानून प्रदान करे अथवा कोई पुरुष या स्वयं का सामर्थ्य।

🚩उपर्युक्त विश्‍लेषण से यह स्पष्ट होता है कि मनुस्मृति की व्यवस्थाएं स्त्री विरोधी नहीं हैं। वे न्यायपूर्ण और पक्षपातरहित हैं। मनु ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा जो निन्दा अथवा आपत्ति के योग्य हो।

🚩यजुर्वेद में लिखा है,
– मंहीमू षु मातरं सुव्रतानामृतस्य पत्नीमवसे हुवेम।
तुविक्षत्रामजरन्तीमुरूची सुशर्माणमदितिं सुप्रणीतिम्॥ -यजु० 21/5

हे नारी! तू महाशक्तिमती है। तू सुव्रती पुत्रों की माता है। तू सत्यशील पति की पत्नी है। तू भरपूर क्षात्रबल से युक्त है। तू मुसीबतों के आक्रमण से जीर्ण न होनेवाली अतिशय कर्मशील है। तू शुभ कल्याण करनेवाली है। तू शुभ-प्रकृष्ट नीति का अनुसरण करनेवाली है।

🚩आपको बता दें कि हिंदू धर्म में देवता है तो देवी भी है, साधु है तो साध्वी भी है, तपस्वी है तो तपस्विनी भी है, पुजारी है तो पुजारिन भी हैं।

लेकिन…
मुस्लिम समुदाय में मौलाना हैं लेकिन मौलानी नहीं हैं ईसाइयों में पॉप हैं लेकिन पॉपनी नहीं हैं।

केवल और केवल हिंदू धर्म में ही नारी को बराबर सम्मान मिलता है और उसे पूजनीय माना गया है! इसलिए सनातन धर्म ही सर्वोत्तम धर्म है!

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