श्रावण सोमवार व्रत की महिमा

19 July 2022

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🚩श्रावण सोमवार बच्चों से लेकर बडे-बूढों तक सभी के द्वारा किया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण व्रत हैं।

🚩भगवान शिव श्रावण सोमवार व्रत के उपास्य देवता है।

🚩श्रावण सोमवार व्रत करने वालों की अकाल मृत्यु टलती है,जीवन में आने वाले कष्ट-बाधाओं से मुक्ति मिलती है और सुख-सम्रद्धि की प्राप्ति होती हैं।

🚩श्रावण मास कहते ही व्रतों का स्मरण होता है । उपासना में व्रतों का महत्त्व अनन्यसाधारण है । सामान्य जनों के लिए वेदानुसार आचरण करना कठिन है । इस कठिनाई को दूर करने के लिए पुराणो में व्रतों का विधान बताया गया है । आषाढ एकादशी से लेकर कार्तिक एकादशी तक की कालावधि में चातुर्मास होता है । अधिकांश व्रत चातुर्मास में ही किए जाते हैं । इनमें विशेष व्रत श्रावण मासमें ही आते हैं ।

🚩श्रावण सोमवार की व्रत विधि:इसमें श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिवजी के मंदिर में जाकर उनकी पूजा की जाती है । कुछ शिवभक्त श्रावण के प्रत्येक सोमवार को 108 अथवा विशेष संख्या में बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाते हैं ।

🚩कुछ लोग श्रावण सोमवार को केदारनाथ, वैद्यनाथ धाम, उज्जैन, काशी,नासिक,हरिद्वार ,गोकर्ण जैसे शिवजी के पवित्र स्थानों पर जाकर विविध उपचारों से उनका पूजन करते हैं । इसके साथ ही श्रावण सोमवार को भगवान शिवजी से संबंधित कथा-पुराणों का श्रवण करना, कीर्तन करना, भगवान शिवजी संबंधी स्तोत्र पाठ करना, भगवान शिवजी का ‘ॐ नमः शिवाय ’ या अन्य शिव मंत्र , गुरुमंत्र के नाम जप करना इत्यादि प्रकार से भी दिन भर यथाशक्ति भगवान शिवजी की उपासना की जाती है ।

🚩व्रत के दिन व्रत देवता की इस प्रकार उपासना करना व्रत का ही एक अंग है । श्रावण सोमवार के दिन भगवान शिवजी का नाम जप करना लाभदायी होता है ।

🚩 श्रावण सोमवार व्रत के दिन संभव हो, तो निराहार उपवास रखते हैं । निराहार उपवास अर्थात दिनभर आवश्यकतानुसार केवल जल प्राशन कर किया जाने वाला उपवास । दूसरे दिन भोजन कर यह उपवास तोडा जाता है । कुछ लोग नक्त व्रत रखते हैं । नवतकाल अर्थात सूर्यास्तके उपरांत तीन घटिका अर्थात 72 मिनट, अथवा नक्षत्र दिखने तक का काल । व्रतधारी दिनभर कुछ न सेवन कर इस नक्तकाल में भोजन कर व्रत रखते हैं ।

🚩श्रावण सोमवार को किए जानेवाले कुछ धार्मिक कृत्य:कुछ स्थानों पर शिवभक्त यथाशक्ति किसी एक सोमवार अथवा महीने के प्रत्येक सोमवार को कांवरयात्रा करते हैं , इस यात्रा में शिवभक्त कांवर में गंगा,नर्मदा,गोदावरी,या किसी भी पवित्र नदी का जल लेकर भगवान शिवजी से संबंधित निकट के किसी तीर्थक्षेत्र में जाते हैं तथा कांवर का जल शिवलिंग को चढाते हैं । इस प्रकार किए गए शिवाभिषेक का थोडा जल वापस लाकर शिवभक्त उसका प्रयोग तीर्थ के रूप में करते है। कुछ स्थानों पर श्रावण के तीसरे सोमवार को मेले का आयोजन भी किया जाता है । श्रावण के अंतिम सोमवार को इस व्रत का पारण किया जाता है, कुछ स्थानों पर भंडारे किए जाते हैं तथा कुछ स्थानों पर पूरे श्रावण मास में अन्नछत्र चलाया जाता है । यह व्रत रखने से भगवान शिवजी प्रसन्न होते हैं एवं भक्त को सायुज्य मुक्ति मिलती है तथा ऐसी मान्यता है कि इस विधि द्वारा भगवान शिवजी से एकरूपता प्राप्त होती है ।

🚩 शिवमुष्टि व्रत:विवाह के उपरांत पहले के 5 वर्ष सुहागिन स्त्रियां क्रम से यह व्रत करती हैं । इसमें श्रावण के प्रत्येक सोमवार को एकभुक्त रहकर अर्थात एक ही समय भोजन कर शिवलिंग की पूजा की जाती है । शिवमुष्टि व्रतविधि शिवजी के देवालय में जाकर की जाती है । जिन्हें देवालय में जाकर यह विधि करना संभव न हो, वे घर पर भी संकल्प कर यह पूजाविधि कर सकती हैं । आइए इस व्रतकी विधि समझ लेते हैं, एक दृश्यपट द्वारा ।

🚩 शिवमुष्टि व्रत-विधि: भगवान शिवजीको प्रार्थना कर पूजाविधि आरंभ कीजिए ।

🚩प्रथम आचमन कीजिए ।उसके उपरांत संकल्प कीजिए ।

🚩इसका अर्थ है, मैं, मेरी शिवप्रीति द्वारा सर्व उपद्रवकारी द्रव्यों का विनाश कर, पति पर स्नेह की अभिवृद्धि, सौभाग्यस्थिरता, पुत्र-पौत्र-प्रपौत्र; धन, धान्य इनकी समृद्धि; क्षेम, आयु, सुख, संपत्ति इत्यादि मनोरथों की सिद्धि के लिए यह शिवमुष्टि व्रत करती हूं ।

🚩इस संकल्प में नवविवाहिता की व्यापक कुटुंबभावना दिखाई देती है । इससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन हिंदु धर्म व्यक्ति पर किस प्रकार के जीवनमूल्य अंकित करता है – यही सनातन हिंदु धर्म की महानता है ।

🚩अब देखते हैं शिवमुष्टि व्रत के आगे की पूजा विधि:अब ताम्रपात्र में रखी शिवलिंग पर चंदन चढाइए । अब शिवलिंग पर श्वेत अक्षत चढाइए । अब शिवलिंग पर श्वेत पुष्प चढाइए । इसके उपरांत शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढाइए । बिल्वपत्र को औंधे रख उसके डंठल को शिवलिंग की ओर कर शिवलिंग पर चढाइए ।

🚩अब धुले हुए चावल मुष्टि में (हाथ में) लेकर शिवलिंग पर इस प्रकार चढाइए । शिवमुष्टि चढाने के इसी कृत्यको पांच बार दोहराइए । तदुपरांत धूप दिखाइए एवं उसके उपरांत दीप दिखाइए । अब नैवेद्य निवेदित कीजिए । अब शिवजी को कर्पूर आरती दिखाइए । अंत में पुनः एक बार शिवजी को भावपूर्ण प्रार्थना कीजिए ।

🚩अभी हमने शिवमुष्टि व्रत की विधि देखी । इसी पद्धति से पूजन कर श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर विशिष्ट अनाज चढाना चाहिए ।

🚩 शिवलिंग पर अनाज चढाना:पहले सोमवारको शिवमुष्टि के लिए चावल का उपयोग करते हैं, दूसरे सोमवार को शिवमुष्टि के लिए श्वेत तिल का उपयोग करते हैं । तीसरे सोमवार की शिवमुष्टि है, मूंग का उपयोग करते हैं , चौथे सोमवार को शिवमुष्टि के लिए गेहूं का उपयोग करते हैं ।

🚩 जिस वर्ष श्रावण मास में पांचवां सोमवार आए तो, शिवमुष्टि के लिए यवकी (जौकी) बाली अर्थात वीट विथ हस्क का उपयोग करते हैं ।

🚩सोलह सोमवार व्रत यह भगवान शिवजी से संबंधित एक उत्तम फलदायी व्रत है । इस व्रत का आरंभ श्रावण के सोमवार को किया जाता है । इसमें क्रमशः सोलह सोमवार को उपवास रख, सत्रहवें सोमवार को व्रत की समाप्ति करते हैं । इस व्रत में `सोलह सोमवार व्रतकथा’का पाठ किया जाता है । इस व्रत में निर्जल उपवास रखा जाता है,जिनके लिए ऐसा करना संभव नहीं, उन्हें गेहूं, गुड एवं घी में हलवा अथवा चावल की खीर बनाकर एक बार ग्रहण करने की विधि बताई गई है ।

🚩व्रत की समाप्ति के समय सोलह दंपतियों को बुलाकर भोजन कराया जाता है, तथा उन्हें वस्त्र एवं दक्षिणा आदि यथाशक्ति अनुसार उपहार दिए जाते है । जो यह व्रत करता है, अथवा व्रतकथा का श्रवण करता है, उसके सर्व पापों एवं दुःखोंका नाश होता है तथा उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।

🚩श्रावण महीने के व्रतों के कारण व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर लाभ होते हैं । यह देखकर व्रतों की परिकल्पना करने वाले हमारे ऋषिमुनियों साधु-संतो के चरणों में हमारे सिर श्रद्धासे झुक जाते हैं ।

🚩व्रत करने से हमारे जीवन में दृढ़ता आती है,शक्ति का संचार होता है,शरीर की शुद्धि होती है,कई तरह की बीमारियों से सहज में बचाव हो जाता हैं, व्रत से जीवन में सुख-संपत्ति आती है,इसलिए व्रत सभी तरह से लाभकारी है,इसलिए व्रत रखना चाहिए।

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