विश्वविद्यालयों में अब भगवद्गीता में बताए गए विज्ञान पर होगी पढ़ाई।

23  सितंबर 2020

 
भारत में अपने देश के महान ग्रंथो व वेदों का आदर नही किया लेकिन विदेश के लोग श्रीमद्भगवद्गीता व वेदों से प्रभावित हो रहे हैं और अपने स्कूलों-कॉलेजों में इसकी पढ़ाई भी करवा रहे हैं। अभी कुछ भारतीय भी अपनी प्राचीन संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं क्योंकि जो भारत के वेदों में है वो पाश्चात्य संस्कृति में नही है।
 

 

 
आपको बता दें कि मेरठ की सीसीयू यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद की बैठक में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। 2021 से स्नातक में बहुविषय की सुविधा दी जाएगी मेरठ की सीसीयू यूनिवर्सिटी छात्र – छात्राओं को जल्द ही रामचरित मानस और श्रीमद्भगवत गीता में लिखे हुए विज्ञान की पढ़ाई कराएगी।इसका सिलेबस तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। विवि की अकादमिक परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक ने सोमवार को निर्णय लिया है, कि सीसीयू यूनिवर्सिटी इन दोनों पाठ्यक्रमों में दो वर्षीय डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट देगी।
 
इस बैठक में हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय, रामचरित मानस और श्रीमद्भागवत गीता में ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो वाकई वैज्ञानिक हैं, जिसे आधुनिक विज्ञान भी स्वीकारता है। विवि की कमेटी उसी विज्ञान को लेकर पाठ्यक्रम तैयार करेगी। कमेटी में प्रो .एचपी गौतम, कला के संकायाध्यक्ष प्रो.नवीन चंद्र लोहानी, विज्ञान के संकायाध्यक्ष एमके गुप्ता को रखा गया है, जो सिलेबस तैयार करेंगे, सिलेबस बनने के बाद इसे कार्यपरिषद में रखा जाएगा। उम्मीद है की अगले साल तक पाठयक्रम शुरू हो जाए। एकेडमिक काउंसिल ने नई शिक्षा के अनुसार एमफिल पाठयक्रम को समाप्त करने पर अपनी सहमति दे दी है। इसके अलावा नई शिक्षा नीति को स्वीकार कर लिया गया है। 2021 से विवि में स्नातक स्तर पर बहुविषय पाठयक्रम करने के लिए भी कहा गया है। अगले शैक्षणिक सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष में छात्रों को बहुविषय पढ़ने को मिलेगा। इसमें पाँच से छह विषय हो सकते हैं। स्नातक के तीसरे साल में विषय कम होंगे, स्नातक चौथे साल में एक विषय रह सकता है।
 
आपको बता दें कि अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।
 
रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं।
 
हॉलंड की कुछ पाठशालाओं में 5वी कक्षा से ही जागतिक शिक्षण अनिवार्य करने के उद्देश्य से श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों के समान हिन्दू धर्मग्रंथों का अभ्यास अंतर्भूत किया गया है।
 
रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन संस्थानो ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।
 
केंद्र सरकार को चाहिए कि सभी स्कूलों-कॉलेजों में गीता-रामायण, वेद आदि की शिक्षा को शामिल कर दिया जाए जिससे विद्यार्थियों का चहुमुखी विकास हो पाए।
 
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