विज्ञान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले पर ईश्वर के सामने फेल है

10 अक्टूबर 2021

azaadbharat.org

🚩ईश्वर द्वारा प्रकृति की संरचना ही सर्वश्रेष्ठ संरचना है। हमें ईश्वर ने जो जिस रूप में दिया वही हमारे लिए सर्वोत्तम है। हम भोग-विलास, दिखावे और लालसा में भले ही प्राकृतिक चीजों से दूर चले गए पर आज मानव निर्मित चीजों के दुष्प्रभावों, दुष्परिणामों के कारण मनुष्य को वापिस प्राकृतिक चीजों की तरफ लौटना पड़ रहा है क्योंकि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

🚩जानिए इस विषय में कुछ उदाहरण:

1.) पहले मनुष्य मिट्टी के बर्तन प्रयोग करता था। फिर वहां से भिन्न भिन्न धातुओं और स्टील तथा प्लास्टिक के बर्तनों तक पहुँच गया है। पर इनके प्रयोग से कैंसर होने का खतरा हो गया है इसलिए मनुष्य दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ रहा है।

🚩2.) पहले इंसान अंगूठाछाप था क्योंकि उसे पढ़ना लिखना नहीं आता था। बाद में जब पढ़ना लिखना आया तो दस्तखत (Signature) करने का प्रचलन चला। आज विज्ञान जहां चरमसीमा पर पहुँच चुका है तो इंसान फिर से Thumb Scanning की तकनीक के कारण अंगूठाछाप बन गया है।

🚩3.) पहले मनुष्य फटे होने पर भी सादे कपड़े पहनता था। फिर साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़े पहनने लगा। फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ने लगा। सूती वस्त्रों से टैरीलीन, टैरीकॉट पर पहुँचा इंसान फिर से वापस सूती वस्त्रों पर आ रहा है।

🚩4.) मनुष्य पहले पढ़ता ही नहीं था। जब ज्ञान हुआ तो गुरुकुलों में नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान ही लिया। अब विज्ञान चरमसीमा पर है। लोग MBBS, Engineering, MBA की पढ़ाई कर रहे हैं पर नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान और शांति नहीं है। आत्महत्या जैसा घोर पाप बढ़ कर रहे हैं, अपराध बढ़ गया है। समय वो आ गया है कि नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान, भौतिक ज्ञान से जरूरी हो गया है।

🚩5.) खेती में पहले मनुष्य प्राकृतिक खाद प्रयोग करता था। बाद में यूरिया, कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने लगा। इनके दुष्प्रभावों के कारण मनुष्य अब वापिस आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहा है।

🚩6.) पहले मनुष्य कुदरती फल, खाद्य पदार्थ ही खाता था। उस क़ुदरती भोजन से मनुष्य प्रोसेस्ड फ़ूड (Canned Food & packed juices) की तरफ बढ़ा। इससे तरह तरह की बीमारियां होने लगीं। अब इन बीमारियों से बचने के लिए मनुष्य दोबारा क़ुदरती भोजन की तरफ आ रहा है।

🚩7.) पहले मनुष्य सादी वस्तुएं प्रयोग करता था। फिर पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) चीजें प्रयोग करने लगा। नई चीजों से जी भर गया तो पुरानी चीजें ही Antique Piece कहकर रखने लगा।

🚩8.) पहले मनुष्य आयुर्वेदिक पद्धति से ईलाज करता था। फिर एलोपैथी का प्रचलन हुआ, एंटीबायोटिक का जमाना आया। एलोपैथी और एंटीबायोटिक के दुष्प्रभावों के कारण मनुष्य वापिस आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है।

🚩9.) पहले बच्चे मिट्टी खाते थे। जैसे जैसे सभ्यता का विकास हुआ, मनुष्य बच्चों को इंफेक्शन के डर से मिट्टी में खेलने से रोकने लगा। बच्चों को घर में बंद करके फिसड्डी बना दिया। उसी मनुष्य ने अब Immunity बढ़ाने के नाम पर बच्चों को फिर से मिट्टी में खेलाना शुरू कर दिया है।

🚩10.) पहले मनुष्य जंगल में रहा, गाँवों में रहा। फिर विकास की दौड़ में शहर की तरफ भागा। वहां पर्यावरण को प्रदूषित किया और अब वापिस साफ हवा और स्वास्थ्य लाभ के लिए जंगल, गांव और हिल-स्टेशनों की तरफ जा रहा है।

🚩11.) जंगल, गांव और गौशालाओं में रहने वाला मनुष्य चकाचौंध से प्रभावित होकर शहर भागा, डिस्को पब भागा। अब मनुष्य दोबारा मन की शांति के लिए शहर से जंगल, गाँव व गौशालाओं की ओर आ रहा है।

🚩12) भारतीय (हिंदू) संस्कृति महान थी; उसके अनुसार जीवन जीने से व्यक्ति स्वस्थ, सुखी एवं सम्मानित जीवन जीता था लेकिन टीवी, फिल्मों और मीडिया के दुष्प्रभाव के कारण पाश्चात्य संस्कृति में चला गया लेकिन वहाँ दुःख, चिंता, बीमारियां बढ़ने लगीं तो भारतीय संस्कृति की तरफ लौटना शुरू कर दिया।

🚩इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि तकनीक ने हमें जो दिया, उससे बेहतर तो भगवान ने हमें पहले ही दे रखा था। वास्तव में विज्ञान की बजाय ईश्वर की संरचना ही हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है। इससे सिद्ध होता है कि हमारे लिए ईश्वर से बड़ा कोई हितैषी नहीं है।

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