भारत में कैंसर से भयावह होते हालात, देशवासी तुरंत बदलें ये आदतें तभी सुरक्षित रहेंगे

24 January 2023

azaadbharat.org

🚩केंसर (Cancer) शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है। कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं (Cells) असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन, मोटापा, शरीर में पोषक तत्वों और फिजिकल एक्टिविटी की कमी ओर खराब वातावरण शामिल है। अगर जल्दी पता चल जाए और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाए तो ज्यादातर कैंसर की बीमारियां ठीक हो सकती हैं।

🚩अमेरिका के एक नामी कैंसर रोग विशेषज्ञ ने चेताया है कि आने वाले समय में भारत को कैंसर जैसी घातक बीमारियों की सुनामी झेलनी पड़ सकती है। उन्होंने इसकी वजह ग्लोबलाइजेशन, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बूढ़ी हो रही जनसंख्या और भारतीय आबादी के बीच तेजी से बढ़ रही खराब लाइफस्टाइल बताई है। उन्होंने इस सुनामी को रोकने के लिए मेडिकल तकनीक को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

🚩अमेरिका के ओहियो स्थित क्लीवलैंड क्लिनिक के हेमेटोलॉजी एंड मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जामे अब्राहम ने यह भी कहा कि भारत में जिस तरह से गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं, इसे रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है कि वो इसकी रोकथाम और उपचार पर तेजी से काम शुरू करे।

🚩डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट किए जा रहे नए सालाना कैंसर के केसों की 2020 की रैंकिंग में चीन और अमेरिका के बाद भारत को तीसरे स्थान पर रखा था।

🚩भारत में महिला और पुरुष में ये कैंसर सबसे आम
पिछले कुछ सालों के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पुरुषों में सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आए। वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे। भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई थी।

🚩यशोदा हॉस्पिटल, कौशांबी (गाजियाबाद) के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी में यूनिट हेड और कन्सल्टेंट डॉक्टर अभिषेक यादव कहते हैं, ”भारत में कैंसर के मामलों में पिछले कुछ सालों में काफी तेजी आई है। यहां हर साल कैंसर के 10 से 15 केस सामने आते हैं। जबकि पूरी दुनिया में 1.8 करोड़ लोग हर साल कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले मुंह के कैंसर, फेंफड़ों के कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के हैं।”

🚩उन्होंने आगे कहा, ”ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (GCO), ग्लोबोकॉन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के आंकड़े बताते हैं कि भारत समेत पूरी दुनिया में ही मुंह, फेफड़ों और ब्रेस्ट कैंसर के केस बढ़े हैं।भारत में हर साल करीब तीन लाख केस मुंह के कैंसर के आते हैं। इसके बाद दो लाख केस ब्रेस्ट कैंसर और लगभग एक लाख के करीब मामले फेफड़ों के कैंसर के होते हैं।”

🚩भारत में पुरुष सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर का शिकार होते हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह धूम्रपान और तंबाकू का सेवन है। वहीं, महिलाएं सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होती हैं।

🚩ये हैं कैंसर पैदा करने वाले फैक्टर

🚩डॉक्टर अभिषेक कहते हैं, ”भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस बीमारी के बढ़ने की वजह गलत खानपान, लाइफस्टाइल, स्मोकिंग, ड्रिंकिंग, प्रदूषण, पेस्टिसाइड्स और केमिकल से संक्रमित भोजन का सेवन जैसे फैक्टर्स शामिल हैं.”

🚩उन्होंने बताया, ”कुछ तरह के कैंसर बढ़ने की प्रमुख वजहों में ह्यूमन पेपिलोमावायरस इंफेक्शन (HPV), हेपेटाइटिस बी और सी जैसी संक्रमण वाली बीमारियां शामिल हैं. ये लिवर, ब्रेस्ट और सर्वाइकल और मुंह के कैंसरों की वजह बनती हैं।

🚩हेपेटाइटिस बी और सी लिवर कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है। HPV ओरल और सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।”

🚩उन्होंने इससे बचने के तरीके बताते हुए कहा, ”HPV हेपेटाइटिस बी और सी जैसी वायरल डिसीस से बचने के लिए वैक्सिनेशन जरूरी है। इनकी दो खुराकें ली जाती हैं।

🚩वहीं, ब्रेस्ट और सर्वाइकल जैसे कैंसरों से बचने के लिए साल में एक बार स्क्रीनिंग जरूरी है। 55 से ऊपर के बुर्जुगों को साल में एक बार स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए।

🚩इसके साथ ही हर किसी को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए जिसमें पौष्टिक खानपान और एक्टिव लाइफस्टाइल शामिल है। धूम्रपान, तंबाकू और शराब से बचना चाहिए।”

🚩भारत में भयावह होते हालात

🚩केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने बताया था कि देश में 2020 से 2022 के बीच अनुमानित कैंसर के मामले और इससे होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।

🚩इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कैंसर के अनुमानित मामले 2020 में 13.92 लाख (लगभग 14 लाख) थे जो 2021 में बढ़कर 14.26 लाख हुए और 2022 में बढ़कर 14.61 लाख पर पहुंच गए थे।

🚩2020 में भारत में कैंसर के कारण अनुमानित मृत्यु दर 7.70 लाख (लगभग सात लाख 70 हजार) थी जो 2021 में बढ़कर 7.89 लाख और 2022 में बढ़कर 8.8 लाख हो गई थी।

🚩क्यों इतना भयावह बन जाता है कैंसर

🚩इंसान का शरीर खरबों कोशिकाओं से बना हुआ है। शरीर का छोटे से बड़ा अंग करोड़ों कोशिकाओं से मिलकर बनता है। ये कोशिकाएं शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती हैं। लेकिन जब शरीर की कोशिकाएं जरूरत के बिना अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगें तो यह कैंसर की शुरुआत होती है।

🚩पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं मरने की बजाय जीवित रह जाती हैं और जरूरत नहीं होने के बावजूद भी नई कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है। अनियंत्रित रूप से बढ़ रही यह कोशिकाएं इतनी शक्तिशाली होती हैं कि यह शरीर के स्वस्थ ऊतकों और कोशिकाओं को नष्ट करने लगती हैं।

🚩कैंसर होने के बाद इसका पूरे शरीर में फैलने का खतरा होता है। कैंसर बेहद खतरनाक और भयानक बीमारी है। दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों में दूसरा सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है।

🚩भारत समेत दुनिया भर में कैंसर का सबसे आम प्रकार स्तन, फेफड़े, पेट, गुदा और प्रोस्टेट कैंसर हैं। कैंसर के कारणों में तम्बाकू का उपयोग, मोटापा, शराब का सेवन, कम फल और सब्जियों का सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी शामिल है।

🚩भारत में फेफड़ों का कैंसर एक बड़ी समस्या

🚩तंबाकू कैंसर की बीमारी के लिए जिम्मेदार कारकों में सबसे अहम है। धूम्रपान और तंबाकू की वजह से फेफड़ों का कैंसर होता है। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि 40 फीसदी ऐसे मामले हैं जो टोबैको रिलेटेड कैंसर(टीआरसी) यानी तंबाकू के सेवन की वजह से होते हैं। युवाओं में भी ये बीमारी देखने को मिल रही है।

🚩बचाव और इलाज से कैंसर का बोझ कर सकते हैं कम
यह सभी को पता है कि कैंसर एक खतरनाक बीमारी है लेकिन जीवनशैली में बदलाव और कैंसर बढ़ाने वाले रिस्क फैक्टर को दूर कर इसके 30 से 50 प्रतिशत खतरे से बचा जा सकता है।

🚩जल्दी जांच, सही इलाज और देखभाल के जरिए कैंसर के बोझ को भी कम किया जा सकता है। अगर इस बीमारी का जल्दी पता लगा लिया जाए और सही इलाज मिल जाए तो ज्यादातर प्रकार के कैंसरों को ठीक किया जा सकता है।

🚩कैंसर से बचाव कैसे किया जाए

🚩भारत में सबसे ज्यादा मौतें फेंफड़ों में कैंसर की वजह से होती हैं जिसकी वजह तंबाकू और धूम्रपान का सेवन है। ये बुरी आदतें फेफड़ों के कैंसर का खतरा पांच से 10 गुणा तक बढ़ाती हैं।

🚩हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, कैंसर बढ़ने का कारण मोटापा भी है। शरीर में फैट होने पर कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं।

🚩मोटापा कम से कम 13 अलग-अलग प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है जिनमें रजोनिवृत्ति के बाद का स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, किडनी कैंसर, गालब्लैडर कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, थायरॉयड कैंसर, लिवर, इंटेस्टाइन का मल्टीपल मायलोमा और एडेनोकार्सिनोमा शामिल हैं। इसलिए मौजूद समय में मोटापे से दूर रहना और एक हेल्दी बॉडी वेट बनाकर रखना चाहिए।

🚩फल और सब्जियों में कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज समेत कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं। इसलिए इन्हें हर किसी को अपनी डेली डाइट में शामिल करना चाहिए।

🚩हाल के कई अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनमें कैंसर होने का खतरा फिजिकली एक्टिव ना रहने वाले लोगों की तुलना में कम होता है।

🚩डब्ल्यूएचओ के अनुसार, शराब से कैंसर होने का खतरा पांच गुना अधिक होता है। वहीं, हैवी ड्रिंक करने पर यह खतरा 30 गुना हो जाता है। शराब से 7 तरह के कैंसर हो सकते हैं जिसमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, इसोफेगस कैंसर, लिवर कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर शामिल हैं।

🚩कैंसर से बचने के लिए एचपीवी और हेपेटाइटिस बी का टीका जरूरी

🚩डॉक्टर कई प्रकार के कैंसरों के रिस्क को कम करने के लिए एचपीवी और हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाने की सलाह देते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित लोगों में लिवर कैंसर आम है। यह अमेरिका में लीवर कैंसर का एक प्रमुख कारण है। इसलिए अपने जोखिम को जानना, टीका लगवाना और जांच करवाना लिवर कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है।

🚩अधिकांश एचपीवी संक्रमण कैंसर का कारण नहीं बनते हैं लेकिन उच्च जोखिम वाले एचपीवी संक्रमण जो शरीर में लंबे समय तक बने रहते हैं, वो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

🚩अल्ट्रावायलेट रेडिएशन भी कैंसर का कारण
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन (पराबैंगनी विकिरण) के संपर्क में रहने से भी कैंसर का खतरा बढ़ता है। अल्ट्रावायलेट रेडिएशन जो मुख्य रूप से सूरज की रोशनी और कृत्रिम प्रकाश उपकरणों (आर्टिफिशियल लाइट्स डिवाइसेस) के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप होता है) से बचाव जरूरी है। इसके अलावा कृत्रिम प्रकाश उपकरणों का संपर्क भी कम करना जरूरी है।

🚩प्रदूषण से भी होता है कैंसर

🚩कैंसर की रोकथाम के लिए बाहरी वायु प्रदूषण और इनडोर वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करना भी जरूरी है क्योंकि इसमें रेडॉन होता है। रेडॉन यूरेनियम से उत्पन्न होने वाली एक रेडियोएक्टिव गैस है जो धूल के साथ इमारतों, घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों में जमा हो सकती है।

🚩जब सांस के जरिए यह आपके अंदर जाती है तो इसके रेडियोएक्टिव पार्टिकल (कण) आपके फेंफड़ों में फंस जाते हैं। समय के साथ ये रेडियोएक्टिव पार्टिकल फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। खतने वाली बात यह है कि इससे स्वास्थ्य समस्याओं के सामने आने में सालों लग जाते हैं।

🚩बीमारी का जल्दी पता लगाना है जरूरी
कैंसर का अगर जल्दी पता लग जाए और जल्दी इलाज शुरू हो जाए तो इससे मौत का खतरा काफी कम हो जाता है. ज्यादातर प्रकार के कैंसर शुरुआती चरण में प्रभावी इलाज मिलने पर ठीक हो।

🚩कैंसर जैसे भयंकर रोगों से बचना है तो भारतीय संस्कृति की पद्धति को अपने जीवन में लाना होगा, व्यसन छोड़कर , शाकाहार अपनाना होगा, संतों से मार्गदर्शन लेकर धाय, प्राणायाम, आसान आदि करके अपने जीवन को निरोगी बनाकर सुखी जीवन जीना होगा।

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