भारत के इतिहास में 21वीं सदी का सबसे बड़ा अन्याय इससे बढ़कर नहीं होगा

19 जून 2021

 
इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं, प्रभावित होती हैं- यह मैं पहले भी कह चुका हूँ, आगे भी कहता हूँ, कैमरे पे कहता हूँ; क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं है। खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट, वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है- यह बात किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक ने ये बात कही है।
 

 

 
भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया था कि आशाराम बापू का केस बोगस है, उनकी जमानत लगातार खारिज करना न्यायपालिका की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चूक है।
 
 
आपको बता दें कि हिंदू धर्मगुरु आशाराम बापू 8 साल से जोधपुर जेल में बंद हैं। उनकी उम्र 85 वर्ष की है। जोधपुर जेल में कई कैदी कोरोना संक्रमित हुए थे, इसके कारण वे भी संक्रमित हुए और अस्पताल में भर्ती किये गए, उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है, उन्होंने जीवनभर आयुर्वेद का प्रचार किया और उसीका उपचार लिया है पर आज उनकी उम्र इतनी होते हुए भी एलोपैथी दवाई दी जा रही है, आयुर्वेदिक चिकित्सा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, वे न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं, जोधपुर कोर्ट बोलती है- सुप्रीम कोर्ट जाओ और सुप्रीम कोर्ट बोलती है- हाईकोर्ट जाओ और कोर्ट में गहलोत सरकार विरोध करती है कि इलाज जोधपुर में ही करवाया जाएगा हम दूसरी जगह आयुर्वेदिक इलाज के लिए नहीं भेजेगें।
 
क्या आशारामजी बापू कोई आतंकवादी हैं, जो उनको अपना इलाज करने के लिए भी अनुमति नहीं दी जा रही है? जबकि एक आतंकवादी को बचाने के लिए आधी रात को कोर्ट खोली जाती है, आतंकवादी को उसका मनपसंद भोजन बिरयानी दी जा रही थी लेकिन राष्ट्र व धर्म की सेवा करनेवाले हिंदू संत आशाराम बापू को भारतीय पद्धति से इलाज कराने के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है? वे अपने घर नहीं जाना चाहते हैं, अपने परिवार से नहीं मिलना चाहते हैं, अपने आश्रमों में नहीं जाना चाहते, अपने शिष्यों को नहीं मिलना चाहते, वे सत्संग नहीं करना चाहते, वे केवल बस इतनी उम्र में स्वास्थ्य खराब होने पर केवल अपना आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज कराना चाहते हैं उसमें भी तारीख पर तारीख दी जा रही है। ये कहां तक उचित है? क्या कोर्ट किसीके दबाव में कार्य कर रही है कि उनका हीमोग्लोबिन 3.7 होने पर भी जमानत नहीं दे रही है?
 
आपको बता दें कि जिस लड़की ने आशाराम बापू पर आरोप लगाया है उस लड़की ने ये भी बताया था कि आशाराम बापू के सेवक शिवा ने उसे जोधपुर बुलाया था और प्रकाश सेवक अंदर ले गया था, पर जब कोर्ट का फैसला आता है उसमें साफ लिखा है कि शिवा ने बुलाया ही नहीं था और वो जोधपुर में नहीं था, ट्रेन में था उस समय उसकी टिकट भी मिली थी, दूसरी ओर प्रकाश सेवक को भी बरी कर दिया कि ये लड़की को अंदर कुटिया में लेकर गया ही नहीं था। अब इतना बड़ा सच सामने है फिर भी बापू आशारामजी को सजा देना ये कोई साजिश तो नहीं है?
 
आपको बता देते हैं कि जिस समय लड़की ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय तो वो अपने मित्र से कॉल पर बात कर रही थी और बापू आशारामजी किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे, वहाँ पर 50-60 लोग भी थे, उन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है, लड़की का कॉल डिटेल भी दिया गया है।
 
आपको बता दें कि आरोप लगानेवाली लड़की ने रेप का आरोप नहीं लगाया है, बल्कि लिखाया है कि मेरे साथ छेड़छाड़ हुई है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि लड़की को टच भी नहीं किया गया है। इससे साफ होता है कि लड़की के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।
वीडियो में यह देख सकते हैं।
 
इन सब पुख्ता सबूतों के होते हुए भी उनको आजीवन कारावास की सजा देना और आजतक जमानत नहीं देना- ये हिंदू धर्मगुरु को खत्म करने का कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं है? 
 
बापू आशारामजी की तरफ से निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली गई है। कल को अगर हाईकोर्ट में आशारामजी बापू निर्दोष साबित होते हैं तो सरकार, मीडिया और न्यायालय अपनी गलती मानेंगे?? और मान भी लें तो इंसानियत का तो गला आपने घोंट ही दिया, बाद में माफी मांगने से क्या फायदा? इतना उनका समय, पैसा, इज्जत और स्वास्थ्य गया उसका जिम्मेदार कौन होगा?
 
संत आशाराम बापू ने करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बनाया। लाखों लोगो की घर वापसी करवाई,  आदिवासियों को धर्मांतरित होने से बचाया। विदेशों में भी सनातन धर्म का परचम लहराया।
 
करोड़ों लोगो के व्यसन छुड़वाए, एलोपैथी से देशवासियों को आयुर्वेद पर लेकर आये।
 
वैदिक गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को सनातन संस्कृति के दिव्य संस्कार दिए।
 
कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर गौशालाएं खोल दी।
 
वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन और क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाया।
 
क्या राष्ट्र और सनातन धर्म की सेवा करने का परिणामस्वरूप उनको षड्यंत्र करके जेल भिजवाया? अब हिंदुओं को सोचना होगा कि अगर कोई अन्य धर्म के गुरु होते तो आज देश में आग लग जाती लेकिन हिन्दू सहिष्णुता के नाम पलायनवादी हो गए हैं जिसके कारण आज हिन्दू धर्मगुरु जेल में हैं।
 
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