फ्रांस में इस्लामी कट्टरपंथ पर लगाम लगाने के लिए मस्जिदों पर लगा ताला

30 सितंबर

azaadbharat.org

🚩वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध जिस एकजुटता का दुनिया भर से आह्वान भारत ने लगातार अंतराष्ट्रीय मंचों से किया है, उस पर सकारात्मक रूप से तमाम देशों के साथ फ्रांस ने भी अपने प्रभावी कदम बढ़ा दिए हैं। फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री (गृहमंत्री) के अनुसार अब फ्रांस सीधे आतंकवाद की जड़ों पर वार करेगा।
फ्रांसीसी मंत्री ने ये बयान एक स्थानीय अखबार ले फ़िगारो को दिए हैं, जिसने दुनिया भर में इबादतगाहों को लेकर सतर्कता और सन्देह की नई बहस छेड़ दी है। फ्रांसीसी सरकार की आंतरिक जाँच में मज़हबी चरमपंथ को बढ़ावा देने में वहाँ के इबादतगाहों की प्रमुख भूमिका सामने आ रही है।

आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डार्मैनिन (Gerald Darmanin) के अनुसार अब तक 89 इबादतगाहों में से लगभग एक तिहाई की जाँच की जा चुकी है। इन 89 इबादतगाहों में चरमपंथ को बढ़ावा देने की शिकायत मिली थी। फ्रांस सरकार की खुफिया जाँच रिपोर्ट में इन सभी को कट्टरपंथ का केंद्र मान कर चिन्हित किया गया था, जिनपर जल्द ही कड़ी कार्यवाही संभावित है।

🚩इस मामले में तत्काल ही 6 इबादतगाहों (मस्जिदों) को बंद करने के शासकीय आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसी के साथ फ्रांस की सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां इन चरमपंथी केंद्रों से जुड़े अन्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कट्टरपंथी तत्वों की तलाश कर रही हैं।

🚩कभी वामपंथी शासकों के प्रभाव में लंबे समय तक शासित रहे फ्रांस ने ईराक-ISIS युद्ध के दौरान तमाम सीरियाई व इराकियों को मानवता के आधार पर शरण दी थी परंतु उसके बाद संसार के सबसे सुंदर व पर्यटन योग्य देशों में शामिल रहे फ्रांस में आतंकी हमलों की अंतहीन श्रृंखला शुरू हो गई।

फ्रांस की बहुसंख्यक जनता भी सरकार के कदम के साथ खड़ी होती दिखाई दे रही है। फ्रांस का बड़ा वर्ग शरणार्थियों के नाम पर आतंकी स्वरूप में आ चुके घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ने की भी मुहिम चला रहा है। इसी अभियान के तहत सोशल मीडिया पर No More Refugees कैम्पेन भी चलाया जा रहा है।

🚩भारत सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए

आपको बता दें कि कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के निवर्तमान चेयरमैन वसीम रिज़वी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बताया था, “मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है। यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा।” उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया। कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है। ये देश के लिए भी खतरा है।

🚩आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के निवर्तमान चेयरमैन तथा कद्दावर मुस्लिम नेता सैय्यद वसीम रिजवी ने कहा है कि देश के बाहर से फंडिंग लेने वाले मुल्ला-मौलवियों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ मुस्लिम धर्मगुरु विदेशों की आर्थिक मदद के बूते देश में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। वसीम रिज़वी ने कहा कि ये मुल्ला-मौलवी देश के लिए ख़तरा हैं।

🚩फ़्रांस ने तो समझ लिया कि देश को तोड़ने के लिये विदेशी फण्ड से चलने वाली मस्जिदों में आतंकवादी बनने की ट्रेंनिग दी जाती है और देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं।

देश में हिन्दुओं पर मुस्लिमों के बढ़ते आतंक की हालत देखकर भारत सरकार को फ्रांस से सीख लेनी चाहिए और मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण करना चाहिये।

🚩आज जो लव जिहाद के लिए विदेश से पैसा आता है और आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक-युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है।

🚩मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे हैं तो ऐसे मदरसों पर बैन तो लगना ही चाहिए।

सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना मतलब सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है।

🚩देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नहीं जितना इन कट्टरपंथियों से है; इसलिए सरकार को जांच करवानी चाहिए और विदेशी फंड से जितनी भी मस्जिदें चल रही हैं उनमें अगर देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं तो ऐसे मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए जिससे देश सुरक्षित रहे और सुख शांति बनी रहे!

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