पाकिस्तान के क्रिकेट में भारत से जीतने पर भारत में पटाखे चलाने के मायने

28 अक्टूबर 2021

azaadbharat.org

🚩वर्ल्ड कप में पड़ोसी मुल्क के खिलाफ टीम इंडिया का 29 सालों से चल रहा विजय रथ थम गया। खेल में हार-जीत का सिलसिला लगा रहता है, लेकिन पाकिस्तान की जीत के बाद भारत में कुछ मुसलमानों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। शरारती तत्वों ने हद पार करते हुए खूब पटाखे चलाए।

🚩’मुसलमानों ने मजहब नहीं भारत को चुना’ यह एक मिथक है; यकीन न हो तो सरदार पटेल का 1948 वाले इस भाषण का अंश पढ़िए।

‘मिथक-निर्माण’ किसी भी गणतंत्र की स्थापना की एक आंतरिक विशेषता है। सत्ता पर पकड़ मजबूत करने और अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए हर देश के सत्तारूढ़ संस्थान ऐसे ही कुछ मिथकों को गढ़ते हैं, जो उन्हें उनकी विचारधारा को सही ठहराने में मदद करती है। भारत में नेहरूवादी धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना के साथ भी इसी तरह की घटना देखने को मिली। इस दौरान ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ की विचारधारा का मिथक गढ़ा गया।

‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ की विचारधारा के मूल सिद्धांतों में से एक यह है कि 1947 में भारतीय मुसलमानों ने पाकिस्तान के इस्लामिक गणतंत्र को चुनने की बजाय ‘धर्मनिरपेक्ष भारत’ को चुना था, इसलिए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के सभी दस्तूर जायज हैं। इसने न सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथ पर पर्दा डालने को प्रोत्साहित किया, बल्कि इसका महिमामंडन भी किया।

इस स्पष्ट झूठ ने असदुद्दीन ओवैसी जैसे कट्टरपंथी इस्लामी नेताओं को यह कहने की खुली छूट दे दी है कि उन्होंने पाकिस्तान की बजाय भारत को चुना था। असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी हमेशा हिंसा की बात करते और हिंदुओं को धमकी देते हुए पाए जाते हैं।

🚩सरदार पटेल ने जनवरी 1948 में कोलकाता में अपने भाषण में उन भावनाओं को आवाज़ दी जो हमारे ‘धर्मनिरपेक्ष’ नेताओं को गहरा मानसिक आघात दे सकते हैं। सरदार पटेल ने कहा, “जो मुसलमान अभी भी भारत में हैं, उनमें से कई ने पाकिस्तान के निर्माण में मदद की … क्या उनका राष्ट्र रातोंरात बदल गया है? मुझे समझ नहीं आया कि यह इतना कैसे बदल गया। वे अब कहते हैं कि वे वफादार हैं और पूछते हैं कि उनकी वफादारी पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है। तो मैं जवाब देता हूँ कि आप हमसे क्यों सवाल कर रहे हैं, खुद से पूछिए। यह आपको हमसे नहीं पूछना चाहिए।”

वो आगे कहते हैं, “मैंने एक बात कही, आपने पाकिस्तान बनाया, आपके लिए अच्छा है। उनका कहना है कि पाकिस्तान और भारत को एक साथ आना चाहिए। मैं कहता हूँ कि कृपया ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए। पाकिस्तान को स्वर्ग बनने दो, हम इससे आने वाली ठंडी हवा का आनंद लेंगे।”

इतना कहते ही दर्शक ठहाके लगाने लगते हैं और वो अपनी बात जारी रखते हैं। यह पहली बार नहीं था जब सरदार पटेल ने भारतीय मुसलमानों के पाकिस्तान के प्रति वफादारी की बात की थी।

🚩उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीबी पंत को लिखे अपने पत्र में, 9 जनवरी 1950 को, राम लला और माता सीता की मूर्तियों के बाबरी मस्जिद के भीतर अचानक से प्रकट होने के बाद पटेल ने लिखा था, “प्रधानमंत्री ने अयोध्या के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए आपको पहले ही एक टेलीग्राम भेज दिया है। मैंने आपसे लखनऊ में इसके बारे में बात की थी। मुझे लगता है कि यह विवादित मुद्दा बहुत गलत समय पर उठाया गया है, देश के दृष्टिकोण से भी और अपने स्वयं के प्रांत के दृष्टिकोण से भी। हाल ही में व्यापक सांप्रदायिक मुद्दे केवल विभिन्न समुदायों की आपसी संतुष्टि के लिए हल किए गए हैं। जहाँ तक मुसलमानों का सवाल है, वे अपनी नई वफादारी के लिए सेटल हो रहे हैं।”

हालाँकि, उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने भारत को ‘धर्मनिरपेक्षता’ के आदर्शों के कारण नहीं चुना। उनका कहना था कि मुसलमान अपनी संपत्ति और अन्य कारणों के कारण भारत में ही रह गए।

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