निर्दोष व्यक्ति ने 20 साल जेल में बिताए, अब किया बरी, आप भी रहना सावधान

24 फरवरी 2021
 
नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेज विरोधी कानून की तरह इसका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है । कुछ दिन पहले प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। जिसमें अनुसंधान के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं। न्यायालय में गवाही के दौरान 90 प्रतिशत मामलों में पीडि़ताएं मुकर जाती हैं। जिसमें खेत, सम्पत्ति व रास्ते की रंजिश पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से अथवा अभियुक्त को ब्लेकमेल कर रुपए ऐंठने के लिए झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी ऐसी स्थिति बताती है। पीड़िताएं न्यायालय में स्वयं के द्वारा दी गई रिपोर्ट का भी समर्थन नहीं करती हैं । ऐसी ही एक ताजा मामला आपको यहाँ बता रहे हैं।
 

 

 
● इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया
 
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 20 साल से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद एक शख्स को निर्दोष करार दिया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि गंभीर आरोप न होने पर भी वो 20 साल से जेल में बंद है। राज्य सरकार ने सजा के इतने साल बीतने पर भी उसकी रिहाई के कानून पर विचार नहीं किया। जेल में दाखिल अपील भी 16 सालों तक दोषपूर्ण रही है। वहीं इसकी सुनवाई तब हुई है जब विधिक सेवा समिति के वकील ने 20 साल जेल में कैद रहने के आधार पर सुनवाई की अर्जी दी। अब जस्टिस जे. के. ठाकर और जस्टिस गौतम चौधरी की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए दुष्कर्म का आरोप सिद्ध न होने पर शख्स को तत्काल जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं। 
 
दरअसल, ललितपुर के रहने वाले विष्णु की अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है। विष्णु पर 16 सितंबर 2000 को घर से खेत जा रही अनुसूचित जाति की महिला को झाड़ी में खींचकर दुराचार करने का आरोप था।
कोर्ट ने देखा कि रेप का आरोप साबित ही नहीं हुआ। मेडिकल रिपोर्ट में जबरदस्ती करने के कोई साक्ष्य नहीं थे। पीड़िता 5 माह से गर्भवती थी। ऐसे कोई निशान नहीं थे जिससे यह कहा जाये कि जबरदस्ती की गई। रिपोर्ट भी पति व ससुर ने घटना के तीन दिन बाद लिखायी थी।
 
जिला कोर्ट ने दुराचार के आरोप में 10 साल और एससी/एसटी एक्ट के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और वो वर्ष 2000 से जेल में था।
 
जिस हिसाब से ऐसे फर्जी छेड़खानी, घरेलू हिंसा , दहेज उत्पीड़न, वैवाहिक बलात्कार जैसे केसों का धड़ल्ले से दुरूपयोग हो रहा है इससे साफ स्पष्ट है कि आने वाले कुछ ही दिनों मे भारत से पुरुष नामक प्रजाति विलुप्त के कगार पर पहुँच जायेगी।  आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महिलावाद एक धंधा बन चुका है जिसका सालाना टर्न ओवर “कई हजार करोड़” के ऊपर जा रहा है।
 
पुट्टपर्थी सत्य साईं बाबा पर नाबालिग लड़की के साथ यौन शोषण का झूठा आरोप एक  प्रसिद्ध  पत्रिका द्वारा लगाया गया l यौन शोषण के मामलों में जगत गुरु कृपालुजी  महाराज, स्वामी केशवानंद, स्वामी नित्यानंद कई वर्षो तक जेल में रहे बाद में वे निर्दोष बरी हुए l स्वामी नित्यानंद को प्रचार तंत्र ने राक्षस बना दिया था कई वर्षो बाद उनके  मामले में ईसाई धर्मान्तरण के षड्यंत्रकारियों का स्पष्ट खुलासा हुआ था l शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ,साध्वी प्रज्ञा को कई वर्षों बाद जेल से निर्दोष बरी किया गया l जिनका स्वास्थ्य हमेशा के लिए ख़राब हो गया l धर्मांतरण पर रोक लगाने व समाज, देश, राष्ट्र की 50 साल से सेवा करने वाले हिंदु संत आशारामजी बापू को भी 7+ साल से कारावास में रखा गया है केवल एक लड़की के कहने पर बाकी करोड़ो महिला चीख चीख के बोल रही हैं कि वे निर्दोष हैं और उनको षडयंत्र के तहत फँसाने के कई प्रमाण भी हैं फिर भी एक दिन की जमानत भी नहीं मिल पा रही है। और सरकार ने दोषियों को षड्यंत्रकारियो को आज तक दण्डित नहीं किया l
 
गरीब व्यक्ति, आम नागरिक और भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ साधू संतो महापुरुषों को शिकार बनाया जा रहा है l कानून का दुरूपयोग करके फँसायें गए हिन्दू संतो के मामलों  में उनकी बदनामी होने से उनके लाखों करोड़ों अनुयायी जिसमे महिलाएँ भी शामिल हैं, उनको परिवार और समाज में प्रताड़ित और तिरस्कृत होना पड़ रहा है l 
 
आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के लिए आगे आने वाले  के खिलाफ बलात्कार कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है।
इसमे जो खामियां है उसको दूर करना चाहिए ।
 
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