नासा ने स्वीकार किया : संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है – केंद्रीय मंत्री

19 अगस्त 2019
संस्कृत भाषा की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुए इसका अध्ययन आरंभ कराया है और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है । अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए ।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को यह टास्क आईआईटी और एनआईटी के निदेशकों और चेयरमैन को दिया कि; वे साबित करें कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है !
नई देहली : देश के प्रमुख संस्थान आईआईटी और एनआईटी के सामने अब एक नया टास्क है . . उन्हें साबित करना है कि, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है ! केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को यह टास्क आईआईटी और एनआईटी के निदेशकों और चेयरमैन को दिया कि, वे साबित करें कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है !
इग्नू में आयोजित ज्ञानोत्सव 2076 समारोह में मंत्री ने कहा, ‘हम संस्कृत की काबिलियत सिद्ध नहीं कर पाए, इसीलिए हम पर सवाल उठाए जाते हैं ! मैं आईआईटी और एनआईटी के कुलपतियों और कुलाधिपतियों से आग्रह करता हूं कि, हमें इसे साबित करना चाहिए !’  उन्होंने आलोचकों को चुनौती देते हुए कहा कि; वे उन्हें बताएं कि, संस्कृत से ज्यादा वैज्ञानिक भाषा कौन सी है ?
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
उन्होंने कहा, ‘नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं। अगर बोलनेवाले कंप्यूटर की बात करें तो संस्कृत उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगी ! अगर नासा संस्कृत को ज्यादा वैज्ञानिक भाषा मान सकती है तो आपको क्या दिक्कत है ?’
उन्होंने कहा कि, संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है ! अगर आप संस्कृत से पुरानी किसी भाषा के बारे में जानते हैं तो हमें बताएं। उन्होंने दावा किया कि, हिंदू ग्रंथों में गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा इसाक न्यूटन से हजारों वर्ष पहले की गई है !
मंत्री ने दावा किया कि, ऋषि प्रणव ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल का आविष्कार किया। रोचक बात यह है कि, मंत्री ने आईआईटी-मुंबई में दावा किया था कि, चरक ऋषि ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल की खोज की थी ! स्त्रोत : झी न्यूज
आपको बता दे कि देववाणी संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है । यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है । संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा और वैज्ञानिक भाषा भी है । इसके सकारात्मक तरंगों के कारण ही ज्यादातर श्लोक संस्कृत में हैं । आज दुनिया मे जितनी भाषाएँ है संस्कृत से ही उनका उद्गम हुआ है ।
बता दें कि देववाणी संस्कृत मनुष्य की आत्मचेतना को जागृत करने वाली, सात्विकता में वृद्धि , बुद्धि व आत्मबलप्रदान करने वाली सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है । अन्य सभी भाषाओ में त्रुटि होती है पर इस भाषा में कोई त्रुटि नहीं है । इसके उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि सहस्त्र वर्षों से लेकर आज तक वैदिक मन्त्रों की ध्वनियों व मात्राओं में कोई पाठभेद नहीं हुआ और ऐसा सिर्फ हम ही नहीं कह रहे बल्कि विश्व के आधुनिक विद्वानों और भाषाविदों ने भी एक स्वर में संस्कृत को पूर्णवैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ माना है । 
संस्कृत भाषा ही एक मात्र साधन हैं, जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं ।  इसका अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है । वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है । संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है । संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भी है ।
केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति का विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने ।
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