देशवासियों ने 25 दिसंबर को कैसे मनाया?

26 दिसंबर 2021

azaadbharat.org

🚩अंग्रेजों ने भारत में आकर बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए हिन्दू संस्कृति को हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही। गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक होने लगी है, धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है।

🚩 यूरोप आदि देशों में पहले 25 दिसंबर को सूर्यपूजा होती थी लेकिन सूर्यपूजा को खत्म करने और ईसाईयत को बढ़ावा देने के लिए क्रिसमस-डे शुरू किया लेकिन अब भारत के विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस मनाया जाने लगा है।

🚩आपको बता दें कि केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुबई, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल आदि में भी तुलसी पूजन दिवस मनाया गया और सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया।

बता दें कि कुछ भारतीय नेताओं, एक्टरों ने तुलसी पूजन दिवस की बधाई दी लेकिन कुछ तथाकथित सेक्युलर नेता, एक्टरों आदि ने हमारी भारतीय संस्कृति के त्यौहार तुलसी पूजन दिवस की बधाई नहीं दी जबकि पाश्चात्य संस्कृति के त्यौहार क्रिसमस की बधाई दी और जनता लिख रही थी कि यही लोग भारतीय संस्कृति को खत्म करते जा रहे हैं।

🚩बता दें कि केवल जमीनी स्तर पर ही नहीं बल्कि ट्वीटर, फेसबुक, यूट्यूब आदि सोशल साइट्स पर भी तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है।

🚩गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन हिंदू संत आसाराम बापू ने शुरू करवाया था और उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया। उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया। विकिपीडिया पर भी इसकी जानकरी अबतक थी लेकिन राष्ट्रविरोधी लोगों ने इसको भी 25 दिसंबर को विकिपीडिया से इस आर्टिकल को निकलवा दिया लेकिन यह जन जन तक पहुँच गया है।

🚩संत आसारामजी आश्रम द्वारा बताया गया कि उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा विश्वभर में विद्यालयों में और सार्वजनिक जगहों पर एवं घर-घर जाकर तुलसी पूजन त्यौहार मनाया।

🚩नीचे दी गई लिंक पर आप देख सकते हैं कि किस प्रकार देश-विदेश के अनगिनत लोग तुलसी पूजन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं।
https://ashram.org/seva

🚩ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर तुलसी पूजन दिवस निमित्त देशभर के स्कूल, कॉलेज, गांवों, शहरों में हुए तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज़ अपलोड हुए हैं।

🚩मंगलवार को ट्वीटर पर हैशटैग- #तुलसी_पूजन_दिवस ट्रेंड करता दिखाई दिया।

🚩आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकारों आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया है।

🚩 आपको बता दें कि बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे तुलसी पूजन का त्यौहार!!

🚩आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघलजी, सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके और कई बड़ी हस्तियां आसारामजी बापू से जेल में मिलकर आये थे और उन्होंने बताया कि बापूजी ने देशहित के अतुलनीय कार्य किये हैं और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाई है, इसलिए उनको षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है।

🚩आज तक देखने में आया है कि बापू आसारामजी के अनुयायियों ने अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति का समर्थन किया है।

🚩आज भले बापू आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित सेवाकार्यों की सुवास समाज में देखने को मिलती है, जैसे- 14 फरवरी को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस, गौ-पूजन, दीपावली पर गरीबों में भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, यात्रायें आदि आदि।
पर मीडिया का कैमरा कभी उस सच्चाई तक नहीं गया, कभी उन सेवाकार्यों तक नहीं गया जिससे मानवमात्र लाभान्वित हो रहा है। अगर आप गौर करेंगे तो मीडिया ने जब भी बापू आशाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा समाज में उनकी छवि धूमिल करने का ही प्रयास किया। उनकी क्या हर हिन्दू संत, हर हिन्दू कार्यकर्ता की छवि को धूमिल करने का प्रयास मीडिया द्वारा होता ही आया है।

🚩मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि मीडिया विदेशी फंड से चलती है इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है; इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं। ऐसी मीडिया पर आप कब तक भरोसा करेंगे???

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