जोर शोर से उठ रही है 14 फरवरी की आवाज, कवि ने लिखी कविता

06 फरवरी 2021

 
14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसने के कारण विदेशी कंपनियों के ग्रीटिंग कार्ड, फूल आदि मैं पैसे की बर्बादी होती है और ओज-तेज दिन दहाड़े नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ करने से काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता के दलदल से ऊपर उठकर उज्जवल भविष्य, सच्चरिता, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा और पैसे की बर्बादी नहीं होगी और मां-बाप प्रसन्न होंगे।
 

 

 
इस पर एक कवि ने कविता भी लिखी है…
 
💫धन्यवाद आशाराम बापूजी का जो, जीना हमें सिखाया है।✨
 
💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨
 
💫वैलेंटाइन डे से युवाओं का, नैतिक पत्तन हो रहा था।✨
 
💫नशे की ओर आकर्षित हो, अपने संस्कार खो रहा था।।✨
 
💫पथप्रदर्शक बन बापूजी ने, सुसंस्कारों का सृजन कराया है।।✨
 
💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨
 
💫बूढ़े लाचार मां-बाप से युवा, अपना नाता तोड़ रहे थे।✨
 
💫घर से निकालकर उनको, वृद्धाश्रम में छोड़ रहे थे।।✨
 
💫बताकर माता-पिता का महत्व, ईश्वर के स्थान पर बिठाया है।✨
 
💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨
 
💫बापूजी ने बताया माता-पिता ही, सच्चा प्यार करते हैं।✨
 
💫बापू ने समझाया माता-पिता ही, अच्छे संस्कार भरते हैं।।✨
 
💫मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: का, सर्वत्र उदघोष कराया है।✨
 
💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨
 
💫धन्यवाद आशाराम बापूजी का जो जीना हमें सिखाया है।✨
 
💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨ -कवि सुरेन्द्र भाई
 
माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध-ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं ? इस विषय पर शोध करते हुए उऩ्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं तथा उज्जवल भविष्य-निर्माण के लिए गम्भीरता से श्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए अध्ययन करते हैं। भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।
 
जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डेʹ मनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे।
 
माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए।
 
गौरतलब है कि संत आशारामजी बापू ने 2006 से 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू किया था उनका कहना था कि सभी लोग अपने माता पिता का सत्कार करें। भारत में और विश्व में ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हूँ। इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का आदर-पूजन करें और प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।
 
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