जानिए नवरात्रि में गरबा खेलने का इतिहास, रखनी चाहिए दो सावधानियाँ

5 अक्टूबर 2021

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🚩नवरात्रि में विभिन्न प्रांतों में किए जानेवाले धार्मिक कार्यक्रमों की एक महत्त्वपूर्ण विधि है- गरबा। नवरात्रों में गुजरात में मातृशक्ति के प्रतीक अनेक छिद्रों वाले मिट्टी के कलश में रखे दीपक का पूजन करते हैं। यह `दीपगर्भ’ स्त्री की सृजनशक्ति का प्रतीक है। इस मान्यता से नौ दिन `दीपगर्भ’ पूजा जाता है। `दीपगर्भ’ से `दीप’ शब्द का लोप होकर गर्भ-गरभो-गरबो अथवा गरबा शब्द प्रचलित हुआ।

🚩‘गरबा खेलने’ का क्या अर्थ है?

‘गरबा खेलने’ को ही हिंदू धर्म में तालियों के लयबद्ध स्वर में देवी का भक्तिरस पूर्ण गुणगानात्मक भजन कहते हैं। गरबा खेलना अर्थात तालियों की नादात्मक सगुण उपासना से श्री दुर्गादेवी को ध्यान से जाग्रत कर, उन्हें ब्रह्मांड के लिए कार्य करने हेतु मारक रूप धारण करने का आवाहन करना।

🚩नवरात्रि में अनुचित कृत्यों को रोकें:

पूर्वकाल में ‘गरबा’ नृत्य के समय देवी, कृष्णलीला एवं संत रचित गीत ही गाए जाते थे। वर्तमान काल में भगवान के इस सामूहिक नृत्य की उपासना में विकृतियां आ गई हैं। ‘रिमिक्स’, पश्चिमी संगीत अथवा चलचित्रों के गीतों की ताल पर अश्लील हावभाव में मनोरंजन के लिए गरबे के स्थान पर ‘डिस्को-डांडिया’ खेला जाता है। गरबे को निमित्त बनाकर व्यभिचार आदि भी किया जाता है। पूजास्थल पर तंबाकू सेवन, मद्यपान, ध्वनि प्रदूषण आदि अनुचित कृत्य भी किए जाते हैं। मूलत: एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम को व्यावसायिक रूप प्राप्त हुआ है। ये धर्म एवं संस्कृति की हानि करना है। इसे रोकने हेतु उचित कृत्य करना अर्थात कालानुसार आवश्यक धर्मपालन करना ही है।

🚩क्या अनुचित रूप से गरबा खेलने से मां की कृपा होगी?

अनुचित रूप से गरबा खेलते समय बढ़े रज-तम के कारण उस स्थान पर कष्टदायक तरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट होती हैं। अनिष्ट शक्तियां काली शक्ति प्रक्षेपित करती हैं। इस काली शक्ति का वहां उपस्थित व्यक्तियों पर न्यूनाधिक मात्रा में परिणाम होता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति बहिर्मुख और विषयों के आधीन होता है।

🚩देवी की उपासनास्वरूप परंपरागत गरबा:-

जब हम उत्कट भाव से देवताओं का आदर-सम्मान करेंगे, तभी उनकी कृपा प्राप्त कर पाएंगे। गरबा नृत्य में होने वाले अनाचार जैसे कृत्यों से नहीं, भावपूर्ण पूजन से भक्त पर देवी मां की पूर्ण कृपा होती है। इसलिए गरबा खेलने को हिंदू धर्म में देवी की उपासना मानते हैं। इसमें देवी का भक्तिरसपूर्ण गुणगान करते हैं।

इस समय देवी के समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्य के साथ तालियों एवं छोटे-छोटे डंडों से लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं। मूल पारंपरिक गरबा नृत्य में तीन तालियां बजाई जाती हैं। पहली ताली नीचे झुककर, दूसरी ताली खड़े होकर और तीसरी ताली हाथ ऊपर उठाकर बजाई जाती है।

🚩इस समय देवी के समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्य किया जाता है। नृत्य में प्रत्येक स्तर पर तीन तालियां बजायी जाती हैं एवं छोटे छोटे डंडों से लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं। गरबा खेलते समय गोल घेरा बनाते हैं साथ ही देवी के गीत अथवा भजन गाते हैं।

इस प्रकार तालियां बजाकर भजन एवं नृत्य करना एक प्रकार से सगुण उपासना ही है। इस उपासना पद्धति में तालियों के नाद से श्री दुर्गादेवी को जागृत करते हैं। और ब्रह्मांड में कार्य करने के लिए मारक रूप धारण करने के लिए आवाहन करते हैं।

🚩सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।

नवरात्रि महिषासुरमर्दिनी मां श्री दुर्गादेवी का त्यौहार है। देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि उसका वध किया। उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है। जग में जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर सात्त्विक, उदारात्मक एवं धर्मनिष्ठ सज्जनों को छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः-पुनः अवतार धारण करती हैं। उनके निमित्त यह नवरात्रि का व्रत है।
संदर्भ– सनातन का ग्रंथ, ‘देवीपूजन से संबंधित कृत्यों का शास्त्र‘ एवं अन्य ग्रंथ

🚩ऐसे पवित्र त्यौहार में व्यभिचार करना, मद्यपान करना, लड़के-लकड़ियों के प्रति बुरी नजर रखना, अश्लील कपड़े पहनना- ये सब अनुचित है, इससे मां प्रसन्न नहीं होतीं, इससे तो और नाराज होती हैं; इसलिए नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखें।

नवरात्रि में लव जिहाद के किस्से भी बढ़ जाते हैं। हिन्दू युवतियों को ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई जिहादी हिन्दू बनकर आपको प्रेम जाल में फंसा तो नहीं रहा है न? नहीं तो, आपको लव जिहाद में फंसाकर आपकी और आपके परिवार की जिंदगी बर्बाद कर देगा।

🚩देवी मां का अनादर रोकना:-

आजकल चित्र, नाटक, विज्ञापन इत्यादि द्वारा देवी-देवताओं का अनादर किया जा रहा है। इससे धर्महानि होती है।

🚩देवी के संदर्भ में अवमानना का उदाहरण:-

हिन्दूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसैन ने हिन्दुओं के देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाकर उनकी सार्वजनिक बिक्री के लिए रखा; व्याख्यान, पुस्तक आदि के माध्यम से देवताओं की आलोचना की जाती है; व्यापारी वर्ग अपने उत्पादों के विज्ञापनों में देवताओं का मॉडेल के रूप में प्रयोग करते हैं; देवताओं की वेशभूषा पहनकर भीख मांगी जाती है।

ग्रीस अर्थात यूनान की ‘सदर्न कम्फर्ट विस्की’ नामक कंपनी ने एक विज्ञापन में श्रीदुर्गादेवी के आठों हाथों में विस्की की बोतल दर्शायी। हिंदू जनजागृति समिति ने भारत में ग्रीस के राजदूत को निषेध पत्र भेजा। इस विरोध के कारण यह चित्र कंपनी द्वारा हटाया गया।

‘बायर’ नामक कंपनी के ‘सॅन्क्य् श्यूर् सॅन्क्य्’ नामक मच्छर भगाने की औषधि के विज्ञापन में पहले चित्र में काली मां के दस हाथों में शस्त्र दिखाया। दूसरे चित्र में देवी के दो हाथ ही शस्त्ररहित दिखाए गए हैं, क्योंकि उनके पास बायर कंपनी की मच्छर मारनेवाली दवाई है, इस अपमान की जानकारी मिलते ही हिंदू जनजागृति समिति ने कंपनी को निषेध पत्र भेजकर रोष व्यक्त किया। निषेध की ओर तत्काल ध्यान देकर कंपनी ने क्षमायाचना की। कंपनी ने समिति को भेजे अपने पत्र में कहा: हमारे कारण आपको हुई असुविधा एवं कष्ट के लिए हम आपसे क्षमा मांगते हैं। हम हिंदू धर्म का आदर करते हैं। आपका विश्वसनीय– मार्क क्लाफेन।

🚩सभी को नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए और कोई देवी माँ का अपमान करता है तो उसको करारा जवाब देना चाहिए।

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