गीता का जिसने भी अनुवाद अपनी भाषा में किया उसने अपना लिया हिन्दुधर्म

27 नवंबर 2020

 
जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ अदभुत है। विश्व की 578 से अधिक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है। हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों और भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी। क्योंकि इस ग्रन्थ में सब देशों, जातियों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है।
 

 

 
आपको यहाँ कुछ विद्वानों के नाम बता रहे हैं जिन्होंने गीता का अनुवाद किया बाद में उन्होंने सनातन हिंदू धर्म अपना लिया।
 
★ जिस व्यक्ति ने श्रीमदभगवद गीता का पहला उर्दू अनुवाद किया वो था मोहम्मद मेहरुल्लाह! बाद में उसने सनातन धर्म अपना लिया!
 
★पहला व्यक्ति जिसने श्री गीताजी का अरबी अनुवाद किया वो एक फिलिस्तीनी था अल फतेह कमांडो नाम का! जिसने बाद में जर्मनी में इस्कॉन जॉइन किया और अब हिंदु धर्म अपना लिया हैं।
 
★पहला व्यक्ति जिसने इंग्लिश अनुवाद किया उसका नाम चार्ल्स विलिक्नोस था! उसने भी बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया उसका तो ये तक कहना था कि दुनिया में केवल हिंदुत्व बचेगा!
 
★हिब्रू में अनुवाद करने वाला व्यक्ति Bezashition le fanah नाम का इज़रायली था जिसने बाद में भारत मर आकर हिंदुत्व अपना लिया था ।
 
★पहला व्यक्ति जिसने रूसी भाषा मे गीता का अनुवाद किया उसका नाम था नोविकोव जो बाद में भगवान कृष्ण का भक्त बन गया था!
 
★आज तक 283 से अधिक बुद्धिमानों ने 578 से अधिक भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद किया हैं। जिनमें से 58 बंगाली, 44 अंग्रेजी, 12 जर्मन, 4 रूसी, 4 फ्रेंच, 13 स्पेनिश, 5 अरबी, 3 उर्दू और अन्य कई भाषाएं थी ओर इन सब में दिलचस्प बात यह है कि इन सभी ने बाद मैं हिन्दू धर्म को अपना लिया था।
 
★जिस व्यक्ति ने कुरान को बंगाली में अनुवाद किया उसका नाम गिरीश चंद्र सेन था! लेकिन वो इस्लाम मे नहीं गया शायद इसलिए कि वो इस अनुवाद करने से पहले श्रीमद भागवद गीता को भी पढ़ चुके थे !
 
इंग्लैंड के विद्वान एफ.एच.मोलेम ने लिखा की बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है। उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है। मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है। उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरूपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं। वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है।
 
श्रीमद्भगवद्गीता की इतनी महिमा है फिर भी हिंदू लोग नही पढ़ते है जिसके कारण हिंदू जिनती अपनी उन्नति करना है उतना  नही कर पाते है, गीता में अपने जीवनशैली का पूरा ज्ञान है उससे हर व्यक्ति स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जी सकता है, मदरसों में अगर कुरान पढ़ाई जाती है, मिशनरियों स्कूलों में बाइबल पढ़ाई जाती है तो फिर विधायलयों में गीता क्यो नही पढ़ाई जाती है इसमे तो सभी मनुष्यों के लिए उपयोगी बाते लिखी है अतः सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
 
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