क्या सोनाक्षी सिन्हा ही धर्म के बारे में नहीं जानती हैं ?

22 अप्रैल 2019 

कौन बनेगा करोड़पति में प्रश्न पूछा गया कि हनुमानजी संजीवनी बूटी किसके लिए लेकर आये थे इस प्रश्न का सहीं उत्तर सोनाक्षी सिन्हा नहीं दे पाईं, उसके बाद सोशल मीडिया पर उसका खूब मजाक उड़ाया गया और आलोचना की गई ।मजाक और आलोचना इसलिए किया गया कि धर्म और शास्त्र के बारे में सोनाक्षी को जानकारी नहीं थी।


सोनाक्षी सिन्हा की आलोचना की गई यह सहीं है पर क्या आज यह स्थिति हमारे घर में नहीं है ? हमारे बच्चे क्या धर्म के बारे में सबकुछ जानते हैं ? सोनाक्षी सिन्हा के इस अज्ञान में, आज के भारत की नई पीढ़ी का अक्स देखा जा सकता है!*

सोनाक्षी पर तो हँस लिया पर अपने ही बच्चे कान्वेंट स्कूल में जा रहे हैं हमारी संतानें भी सोनाक्षी ही बन रही हैं।*

जरा अपनी संतानों से पूछ लो, जटायु कौन हैं, मंदोदरी कौन हैं,  अगस्त्य कौन हैं, शिखण्डी कौन हैं, अम्बा कौन हैं, शकुंतला कौन हैं, विश्वामित्र कौन हैं, तारा, अहिल्या कौन हैं, मामा शल्य किसके मामा थे, पाण्डवों ने कौन से पाँच गाँव माँगे थे अगर इसका तीस प्रतिशत भी सहीं जवाब मिलता है तो आपके बच्चे सहीं दिशा में हैं, पचास से ऊपर मतलब धर्म की शिक्षा अच्छी चल रही है, 80 से ऊपर मतलब बच्चे का खुद का भी झुकाव हैं इन बातों में (और ये झुकाव आपका ही बनाया होता है, वो वही दुनिया देखेंगे जो आप दिखायेंगे)*

जैसे ही बच्चा रोना शुरू किया, ले बेटे मोबाईल देख करके अपने पालक होने के कर्त्तव्य से पीछा छुड़ाने वाले भी सोनाक्षी तरह हँसने लायक हो गये हैं।*

ले बेटे मोबाईल देख करने के बजाये उसको बोलो कि इधर आजा बच्चे आज प्रह्लाद की कहानी सुनाऊँगा, आज गुरुभक्त आरुणि की, आज रानी दुर्गावती, रानी चेन्नम्मा, वीर शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, श्री रामजी, श्री कृष्ण के अद्भुत लीला, साहस और बलिदान की कहानी सुनेंगे।*

यदि ऐसा नहीं करते हो तो सोनाक्षी पर हँसने के बजाये अपने भविष्य पर रो लेना क्योंकि आपसे पैदा हुई सन्तान आपकी नहीं रहेगी, किसी और सभ्यता की गुलाम हो जाएगी।*

आज का एक बड़ा तबका, राम एवं रामकथा से कोसों दूर है!*
*कितने परिवारों में माता पिता या अभिभावक बच्चों को हमारे पूर्वजों की कथाएँ सुनाते हैं? राम एवं कृष्ण की कथाएँ कहना सुनना सुनाना जिस शिक्षित समाज में आज भी पुरातनपंथी और पिछड़ेपन का द्योतक हो, वहां सोनाक्षी सिन्हा जैसा उत्तर ही मिलेगा!*

भारत में आज भी ऐसे पढ़े लिखे युवाओं की कमी नही, जो अयोध्या का नाम आते ही, विवाद में न पड़ते हुए कहते हैं*
*”अयोध्या में मंदिर नहीं, अस्पताल बनना चाहिए” फिर, हमारी पीढ़ी की अपने पुरखों के प्रति उदासीनता, अपने धर्म प्रतीकों के प्रति उपहास भाव से सींची नई पीढ़ी से ऐसे उत्तरों को सुनने में अचरज क्यों?*

अपने बच्चों को मशीन की तरह एक प्रोडक्ट के रूप में निर्मित कर रही पीढ़ी को समझना होगा कि, विद्यालयों के शैक्षणिक कोर्स का ज्ञान हममें संस्कार संस्कृति नही गढ़ते!*

आज धर्म के संस्कार नही मिलने के कारण ही बच्चें बड़े होकर मां-बाप को वृद्धाश्रम भेज देते है, लव जिहाद में फस जाते है, धर्म परिवर्तन कर लेते हैं, आत्महत्या कर लेते है, बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, प्राचीन समय मे बच्चें गुरुकुलों में पढ़ते थे तो उनका बौद्धिक, मानसिक और शारिरिक का अदभुत विकास होता था जिससे वे हर क्षेत्र में आगे रहते थे लेकिन आज बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भजेते है, पाठ्यक्रम में मुग़ल अंग्रेजो को पढ़ाया जाता है, सिनेमा, सीरियलो ओर मीडिया द्वारा हिन्दू धर्म के खिलाफ बताया जा रहा है फिर अपने बच्चे कैसे आगे प्रगति करेगे? सोनाक्षी सिन्हा की राह पर ही तो चल रहे है।*

इसलिए अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा दीजिये जिससे समाज और देश सुदृढ़ बने।*


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