कश्मीर, कैराना के बाद अब मेरठ से हिंदू पलायन, सोचिए आगे क्या होगा….?

28 जून 2019
🚩दुनिया में किसी भी देश मे हिंदू चाहे उसदेश में अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, उसपर अत्याचारों की बोसर लगाई जाती है, आज बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में हिंदू नहीं के बराबर होते जा रहे हैं क्योंकि वहाँ उनको धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी जा रही है, बहु-बेटियों को उठाकर ले जाते हैं, संपति हड़प लेते हैं, घर, मंदिर, दुकानें जला देते हैं या तोड़ देते हैं, वहाँ उनकी न सरकार सुनती है न न्यायालय, बस अत्याचार सहन करते रहते हैं ।

कुछ हिंदू भारत में भी आ रहे हैं पर भारत में भी कुछ हिन्दू पलायन कर रहे हैं ।

🚩आज से 71 वर्ष पहले जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ तब हिंदू मुस्लिम के नाम पर हुआ था, धर्म के नाम पर हुआ था पर आज भी भारत में करोड़ों मुसलमान रह रहे हैं, जिस इलाके में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, उस जगह से हिन्दू पलायन कर रहे हैं । भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय लाखों हिंदुओं की हत्या कर दी गयी । फिर 1990 में सैकड़ों पंडितों की हत्या की, हिंदू बहु-बेटियों का बलात्कार किया, मासूम बच्चों को मारा गया, उसके बाद खबर आई कि उत्तर प्रदेश के कैराना में हिंदू पलायन हुए और अब मेरठ से पलायन कर रहे हैं ।

🚩बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि देश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो भारत में आ रहे हैं पर भारत में भी 8 राज्यो में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, बाकी बंगाल, केरला आदि में हिंदुओं की हत्या जारी है और उत्तरप्रदेश में भी हिन्दू पलायन कर रहे हैं फिर अब हिन्दू कहा जाएंगे ? केंद्र और राज्य में हिंदूवादी सरकार होते हुए भी हिंदूओ को पलायन करना पड़ रहा है तो सोच लीजिये हिंदुओं का आगे क्या होगा?

🚩मेरठ से भी हिंदू पलायन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हिंदू बहु-बेटियों की सरेआम मुसलमान लड़के इज्जत लूट रहे हैं, मारपीट कर रहे हैं । हिंदु बहु-बेटियां अकेली बाहर नहीं निकल सकती हैं उन्हें धमकियां दी जाती है।
पुलिस एवं जिलाधिकारी को बताया पर वे सुनते नही हैं।
🚩हिन्दुओं का पलायन क्यों आरम्भ हुआ?
🚩1947 में देश का विभाजन हुआ।  उसका मुख्य कारण भी हिन्दू बनाम मुस्लिम था। विभाजन के समय गाँधी और नेहरू की जिद के चलते अनेक मुसलमान इस देश में रुक गए। न यह देश हिन्दू देश घोषित हुआ।  न बहुसंख्यक  हिन्दुओं को उनके अधिकार प्राप्त हुए। उल्टे मुसलमानों को अल्पसंख्यक के नाम पर विशेष अधिकार देने की परम्परा चलाई गई। यह हिन्दुओं के साथ छल नहीं तो क्या है ? संसार के किसी भी मुस्लिम देश में गैर मुसलमानों को अल्पसंख्यक के नाम पर कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं। फिर भी अनेक भारतीय मुसलमानों की मनोवृति इस्लाम सदा खतरे में। यह मुल्ला-मौलवियों की देन हैं। हमारे देश के चिंतक वर्ग ने इस्लाम के विस्तारवादी स्वरुप को कभी समझा ही नहीं। अन्यथा वह ऐसी गंभीर गलतियां कभी न करते। आज भी समय है। जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद के नाम पर विभाजित होकर नेताओं के हाथ की कठपुतली बनने के स्थान पर अपने और अपनी संतानों के भविष्य को लेकर चिंतन करने की आवश्यकता हैं। अन्यथा इतनी देर न हो जाये कि आप कुछ करने लायक भी न बचो। इस लेख में जनसंख्या समीकरण और पलायन क्यों होता हैं। इस विषय पर गंभीरता से चर्चा की गई हैं।

🚩2005 में समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है। जो तथ्य निकल कर आए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं।
उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते। जैसे अमरीका में वे (0.6 प्रतिशत) हैं, आस्ट्रेलिया में 1.5, कनाडा में 1.9, चीन में 1.8, इटली में 1.5 और नॉर्वे में मुसलमानों की संख्या 1.8 प्रतिशत है। इसलिए यहां मुसलमानों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।

🚩जब मुसलमानों की जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। जैसा कि डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में जहां क्रमश: 2, 3.7, 2.7, 4 और 4.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।
जब मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश या क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं।
🚩इस तरह अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है, जिन देशों में ऐसा हो चुका है, वे फ्रांस, फिलीपींस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं। इन देशों में मुसलमानों की संख्या क्रमश: 5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले।
🚩जब मुस्लिम जनसंख्या किसी देश में 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं, शिकायतें करना शुरू कर देते हैं, उनकी ‘आॢथक परिस्थिति’ का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़-फोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ्रांस के दंगे हों डेनमार्क का कार्टून विवाद हो या फिर एम्सटर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है। ऐसा गुयाना (मुसलमान 10 प्रतिशत), इसराईल (16 प्रतिशत), केन्या (11 प्रतिशत), रूस (15 प्रतिशत) में हो चुका है।
जब किसी क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, जैसा इथियोपिया (मुसलमान 32.8 प्रतिशत) और भारत (मुसलमान 22 प्रतिशत) में अक्सर देखा जाता है। मुसलमानों की जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्रवाइयां आदि चलने लगती हैं। जैसा बोस्निया (मुसलमान 40 प्रतिशत), चाड (मुसलमान 54.2 प्रतिशत) और लेबनान (मुसलमान 59 प्रतिशत) में देखा गया है। शोधकत्र्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बताते हैं कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है। जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है।
🚩किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी का 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है। जैसे बंगलादेश (मुसलमान 83 प्रतिशत), मिस्र (90 प्रतिशत), गाजापट्टी (98 प्रतिशत), ईरान (98 प्रतिशत), ईराक (97 प्रतिशत), जोर्डन (93 प्रतिशत), मोरक्को (98 प्रतिशत), पाकिस्तान (97 प्रतिशत), सीरिया (90 प्रतिशत) व संयुक्त अरब अमीरात (96 प्रतिशत) में देखा जा रहा है।
🚩पलायन का कारण आपको समझ आ गया होगा। कभी कैराना,कभी कश्मीर, कभी केरल, कभी बंगाल, कभी असम से पलायन होता आया है और अब मेरठ भी इस सूची में जुड़ गया हैं ।
🚩अभी अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया है जबतक जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाता है तब तक हिंदुओं ने ज्यादा बच्चे पैदा नहीं किये तो देशभर मे ऐसे ही हालात बनते जायेंगे।
🚩एक तरफ ईसाई मिशनरियां जोर-शोर से हिंदुओं का धर्मांतरण करवा रही हैं दूसरी तरफ मुस्लिम जनसंख्या बढ़ा रहे हैं और लव जिहाद अभियान चला रहे हैं, तीसरी तरफ हिंदू सेक्युलर बनते जा रहे हैं, आपस में ही जात-पात में बंट रहे हैं, हिन्दू धर्मगुरुओं को झूठे केस में जेल भेजा जा रहा है और हिन्दू ही उनका मजाक उड़ाते हैं, फिर धर्म का ज्ञान कौन देगा ? इसलिए एक हो जाओ, संगठित होकर धर्मगुरुओं पर हो रहे षडयंत्र का विरोध करें।
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