आदिवासी घर-वापसी करके ईसाइयों के चंगुल से हो रहे हैं मुक्त

7 फरवरी 2022

azaadbharat.org

🚩डॉ. एनी बेसेन्ट ने कहा था कि उन्होंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बडे धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।

🚩शिक्षा से अबतक दूर आदिवासियों में जैसे-जैसे शिक्षा की रौशनी फैल रही है, वे अपने समाज के प्रति होने वाले षड्यंत्रों को पहचानने लगे हैं। उन्हें अहसास होने लगा है कि उन्हें सुविधाओं और धन का लालच सिर्फ उनके धर्म को परिवर्तित कराने के उद्देश्य से दिया जा रहा है। जैसे-जैसे धर्मांतरित आदिवासी समाज में जागृति आ रही है, वे अपनी जड़ों की ओर लौटने लगे हैं।

🚩झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में धर्मांतरण का खेल पूरी गंभीरता के साथ खेला जा रहा है। धर्मांतरण कराने वाले इन गिरोहों के चक्कर में भोले-भाले आदिवासी फँस जाते हैं। राज्य के मझगाँव में भी तीन साल पहले कुछ परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया था। अब ये परिवार पूरे रीति-रिवाज के साथ अपने धर्म में वापस आ गए हैं।

सरना समाज के इन परिवारों को धर्मांतरण के बाद से ही घरवापसी कराने के प्रयास किए जा रहे थे। आदिवासी समाज युवा महासभा इन परिवारों को सरना धर्म में वापसी कराने का लगातार प्रयास कर रही थी। महासभा का कहना है कि यह बदलाव लोगों में अपने धर्म के प्रति प्रेम और चेतना के कारण हो रहा है।

🚩नवभारत टाइम्स के अनुसार, पश्चिमी सिंहभूम जिले के मझगाँव थाना क्षेत्र के तेतरिया पंचायत के सिरासाई मंगापाट गाँव के 3 परिवारों के 14 सदस्य ईसाईयत में धर्मांतरित हो गए थे। इनमें से 9 लोगों ने घरवापसी कर ली है, जबकि 5 लोग अभी ईसाई धर्म को मान रहे हैं।

🚩सरना धर्म में वापस आने वाले श्रीकांत बांकिरा, उनकी पत्नी, दो बेटी और एक बेटा शामिल हैं। वहीं, दूसरे परिवार के जामुन सिंह कुलडीह, उनकी पत्नी और एक बेटे ने घरवापसी की। तीसरे परिवार से सिर्फ 55 साल के घनश्याम कुलडीह ने घरवापसी की है, जबकि उनकी पत्नी, बेटा एवं बहू और दो पोतियों ने अभी घरवापसी नहीं की है।

🚩आदिवासी समाज युवा महासभा दिउरी (प्रमुख) नरेश पिंगुवा, सह उप-प्रमुख गोवर्धन पिंगुवा ने गाँव के देशाउली का शुद्धिकरण किया। कमेटी का कहना है कि अपने धर्म को छोड़कर अन्‍य धर्मों में गए लागों का स्‍वागत है। उन्‍होंने कहा कि जिस तरीके से उनके पूर्वज रहे, वही उनकी भी जीवनचर्या है।

🚩अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक
श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था,
‘‘भारत में ईसाई पादरियों का धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है। हिन्दुओं का तो यह धार्मिक कर्तव्य है कि वे ईसाइयों के षड्यंत्र से आत्मरक्षा में अपने तन-मन-धन को लगा दें और आज जो हिन्दुओं को लपेटती हुई ईसाइयत की लपट परोक्ष रूप से उनकी ओर बढ़ रही है, उसे यहीं पर बुझा दें । ऐसा करने से ही भारत में धर्म-निरपेक्षता, धार्मिक बंधुत्व तथा सच्चे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी अन्यथा आजादी को पुनः खतरे की सम्भावना हो सकती है।’’

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