27 November 2022
azaadbharat.org
🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है, जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।
🚩वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है। ध्यान दीजिये ईसाईयों की वृद्धि दर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं हैं। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना भी हैं।
🚩उत्तराखंड में सरकार सख्त
🚩मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। जिसमें धर्मांतरण कानून को और सख्त बनाने का निर्णय लिया गया।
🚩उत्तराखंड में बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। जिसमें धर्मांतरण कानून को और सख्त बनाने का निर्णय लिया गया। सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2022 पर मुहर लगा दी है। ये संशोधित विधेयक तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया। सरकार का मानना है कि प्रलोभन,जबरन या विवाह आदि के उद्देश्य से विश्वास में लेकर धर्म परिवर्तन कराने वाले षडयंत्रकारियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की व्यवस्था से धर्मांतरण पर अंकुश लग सकेगा।
🚩बता दें कि उत्तर प्रदेश देश में पहला ऐसा राज्य है जिसने धर्मांतरण कानून को लागू किया। यूपी में जबरन धर्मांतरण कराने पर 1 से 5 साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना है, जबकि उत्तराखंड में ऐसा करने पर 2 से 7 साल की सजा होगी और 25 हजार जुर्माना होगा। प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब 3 से 10 साल तक की सजा होगी। पहले अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान था। साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से 5 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति भी मिल सकेगी। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय और गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा। पहले यह असंज्ञेय अपराध था। अब सरकार इसे विधानसभा पटल पर रखेगी।उत्तराखंड की तरह हर राज्य में धर्मान्तरण पर कड़े क़ानून बनने चाहिए।
🚩ईसाई धर्मान्तरण के विरुद्ध सबसे अधिक मुखर स्वर हमारे ही देश के गणमान्य व्यक्तियों ने उठाया हैं। महात्मा गाँधी, स्वामी दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, स्वामी विवेकानंद, लाला लाजपत राय, डॉ अम्बेडकर, वीर सावरकर आदि ने चर्च द्वारा किये जाने वाले धर्मान्तरण के विरुद्ध अपना व्यक्तव्य दिया था। उनका मानना था कि धर्मांतरण से आस्थाएं बदल जाती है, पूर्वजों के प्रति भाव बदल जाता है। जो पूर्वज पहले पूज्य होते थे, धर्मांतरण के बाद वही घृणा के पात्र बन जाते हैं। खान पान बदल जाता है, पहनावा बदल जाता है। नाम बदल जाते हैं, विदेशी नाम, जिसका अर्थ स्वयं उन्हें ही मालूम नहीं हो ऐसे नाम धर्मांतरण के बाद रखे जाते हैं। इसलिए धर्मांतरण का वास्तविक अर्थ राष्टांतरण है।
🚩महात्मा गांधी जी का स्पष्ट मानना था कि ईसाई मिशनरियों का मूल लक्ष्य उद्देश्य भारत की संस्कृति को समाप्त कर भारत का यूरोपीयकरण करना है। उनका कहना था कि भारत में आम तौर पर ईसाइयत का अर्थ है भारतीयों को राष्ट्रीयता से रहित बनाना और उसका यूरोपीयकरण करना।
🚩इसलिए पूरे भारत में धर्मांतरण पर रोक लगनी चाहिए, यही भारतीयों की मांग हैं।
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