25 मार्च 2020
*कोरोना वायरस के कारण भारत को 21 दिन तक लॉकडाउन किया गया इसके कारण कुछ देशवासी भयभीत भी हो रहे हैं। और कुछ सोच रहे हैं कि कहीं 21 दिन के बाद आगे भी कुछ ऐसी परिस्थिति तो नहीं बनी रहेगी?*
*लेकिन कितनी भी विकट परिस्थिति आ जाये उससे भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को याद करना चाहिए। जब अर्जुन भयभीत हो रहा था तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि सबकुछ छोड़कर मेरे शरण आ जा और तब अर्जुन भगवान की शरण गया तो विशाल कौरव सेना को हरा दिया, द्रोपदी का चिर हरण किया जा रहा था तब वहाँ कोई उनकी इज्जत नहीं बचा पा रहा था । आर्तभाव से भगवान को पुकारा और भगवान प्रकट होकर द्रोपदी की इज्जत बचा ली। ऐसे ही हमारे लिए कितनी भी विकट परिस्थिति आये, हमें ईश्वर शरण जाना चाहिए वे हमें मार्गदर्शन देंगे और विकट परिस्थिति को शीघ्र दूर करेंगे।*
*सिंध समाज पर भी एक ऐसी विकट आपदा आ पड़ी थी और प्रार्थना से दूर हो गई..।*
*आपको बता दें कि सिंध स्थित हिन्दुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाने हेतु वहाँ के नवाब मरखशाह ने फरमान जारी किया । उसका जवाब देने के लिए हिन्दुओं ने आठ दिन की मोहलत माँगी । अपने धर्म की रक्षा हेतु हिन्दुओं ने सृष्टिकर्त्ता भगवान की शरण ग्रहण की तथा ‘कार्यं साधयामि वा देहं पातयामि…’ अर्थात् ‘या तो अपना कार्य सिद्ध करेंगे अथवा मर जायेंगे’ के निश्चय के साथ हिन्दुओं का अपार जनसमूह सागर तट पर उमड़ पड़ा । सब तीन दिन तक भूख-प्यास सहते हुए प्रार्थना करते रहे तब अथाह सागर में से प्रकाशपुंज प्रगट हुआ । उस प्रकाशपुंज में निराकार परमात्मा अपना साकार रूप प्रगट करते हुए बोले : ‘‘हिन्दू भक्तजनों ! तुम सभी अब अपने घर लौट जाओ । तुम्हारा संकट दूर हो इसके लिए मैं शीघ्र ही नसरपुर में अवतरित हो रहा हूँ । फिर मैं सभी को धर्म की सच्ची राह दिखाऊँगा ।’’*
*सप्ताह भर के अंदर ही संवत् 1117 के चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितिया को नसरपुर में ठक्कर रत्नराय के यहाँ माता देवकी के गर्भ से भगवान झूलेलाल ने अवतार लिया और हिन्दू जनता को दुष्ट मरख के आतंक से मुक्त किया । उन्हीं भगवान झूलेलाल का अवतरण दिवस ‘चेटीचंड’ के रूप में मनाया जाता है ।*
*प्रार्थना से सबकुछ संभव है। सिंधी भाइयों की सामुहिक पुकार पर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए झूलेलाल जी का अवतरण, मद्रास के भीषण अकाल में श्री राजगोपालाचार्य द्वारा करायी गयी सामूहिक प्रार्थना के फलस्वरूप मूसलधार वर्षा होना आदि प्रसंग हम सबने सत्संग में सुने ही हैं, जिनसे सामूहिक प्रार्थना महिमा सुस्पष्ट हो जाती है ।*
*किसी ने कहा है…. ” जब और सहारे छिन जाते, न किनारा मिलता है । तूफान में टूटी किस्ती का, भगवान सहारा होता है ।”*
*सच्चे हृदय की पुकार को वह हृदयस्थ परमेश्वर जरूर सुनता है, फिर पुकार चाहें किसी मानव ने की हो या किसी प्राणी ने । गज की पुकार को सुन कर स्वयं प्रभु ही ग्राह से उसकी रक्षा करने के लिए वैकुण्ठ से दौड़ पड़े थे, यह तो सभी जानते हैं ।*
*■ पुराणों में कथा आती है -*
*एक पपीहा पेड़ पर बैठा था । वहां उसे बैठा देखकर एक शिकारी ने धनुष पर बाण चढाया । आकाश से भी एक बाण उस पपीहे को ताक रहा था । इधर शिकारी ताक में था और उधर बाज । पपीहा क्या करता? कोई और चारा न देखकर पपीहे ने प्रभु से प्रार्थना की हे प्रभु! तू सर्व समर्थ है । इधर शिकारी है, उधर बाज है । अब तेरे सिवा मेरा कोई नहीं । हे प्रभु! तू ही रक्षा कर…..*
*पपीहा प्रार्थना में तल्लीन हो गया । वृक्ष के पास बिल में से एक साँप निकला । उसने शिकारी को डंक मारा । शिकारी का निशाना हिल गया । हाथ में से बाण छूटा और आकाश में जो बाज मँडरा रहा था उसे जाकर लगा । शिकारी के बाण से बाज मर गया और साँप के काटने से शिकारी मर गया । पपीहा बच गया ।*
*इस सृष्टि का कोई मालिक नहीं है ऐसी बात नहीं है । यह सृष्टि समर्थ संचालक की सत्ता से चलती है ।*
*सृष्टि में चाहे किनी भी उथल-पुथल मच जाये लेकिन जब अदृश्य सत्ता किसी की रक्षा करना चाहती है तो वातावरण में कैसी भी व्यवस्था करके उसकी रक्षा कर देती है । ऐसे तो कई उदाहरण हैं ।*
*अतः आज से हमें सुबह-शाम हर रोज भगवान को प्रार्थना करेंगे कि हे ईश्वर ! इस विकट परिस्थिति को आप ही सही कर सकते हैं। इस तरह के प्रार्थना करें तो भगवान इस महामारी से शीघ्र छुटकारा दिलवायेंगे।*
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