06 June 2025
8 गोल्ड और कुल 24 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा भारत
एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 भारत के लिए एक गौरवशाली और ऐतिहासिक प्रतियोगिता बन गई है। इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारतीय एथलीटों ने दमदार प्रदर्शन करते हुए कुल 24 पदक अपने नाम किए, जिनमें 8 स्वर्ण, 9 रजत और 7 कांस्य पदक शामिल हैं। इस प्रदर्शन की बदौलत भारत कुल पदक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा, जो अब तक का एक बेहतरीन परिणाम माना जा रहा है।
भारत के सितारे चमके मैदान पर
इस प्रतियोगिता में भारत के कई एथलीटों ने न केवल पदक जीते, बल्कि अपने प्रदर्शन से लाखों दिल भी जीते। पुरुषों और महिलाओं दोनों वर्गों में भारत का प्रदर्शन सराहनीय रहा।
नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर भाला फेंक स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी बादशाहत कायम रखी।
हिमा दास ने 400 मीटर दौड़ में जबरदस्त वापसी करते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया और सभी को चौंका दिया।
अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में नया एशियन रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाला।
टीम स्पिरिट और मेहनत का नतीजा
भारत के इस सफल प्रदर्शन के पीछे न केवल खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत थी, बल्कि कोचिंग, फिटनेस, और साइंटिफिक ट्रेनिंग का भी बड़ा योगदान रहा। भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन ने इस बार तैयारी के स्तर को नई ऊँचाई पर पहुँचाया, जिसका नतीजा साफ तौर पर पदक तालिका में दिखा।
एशिया की शीर्ष शक्तियों को दी कड़ी टक्कर
भारत ने चीन, जापान और बहरीन जैसी पारंपरिक रूप से मजबूत टीमों को टक्कर दी। इस बार भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया, जो यह दर्शाता है कि भारत अब एशियन स्तर पर एक प्रमुख एथलेटिक ताकत बनकर उभर रहा है।
युवाओं ने दिखाया दम
भारत की झोली में कई पदक युवा खिलाड़ियों ने भी डाले। 20 साल से कम उम्र के कई एथलीटों ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में ही साहसिक प्रदर्शन किया, जो आने वाले समय के लिए भारतीय एथलेटिक्स को मजबूत आधार देता है।
आगे की राह
एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में मिली यह सफलता अब भारत की ओलंपिक 2028 की तैयारियों को और गति देगी। उम्मीद की जा रही है कि ये प्रदर्शन भारतीय एथलीटों के मनोबल को और ऊँचा करेगा, और वे विश्व मंच पर भी देश का परचम लहराएँगे।
निष्कर्ष:
भारत का यह प्रदर्शन केवल पदकों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की एथलेटिक्स में बढ़ती शक्ति, टीम वर्क, और समर्पण का प्रतीक है। यदि यही उत्साह और समर्थन जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में भारत एशिया ही नहीं, बल्कि दुनिया की एथलेटिक महाशक्तियों में शामिल हो सकता है।
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