8 September 2024
ऋषि पंचमी व्रत:
जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत, महिलाओं के लिए विशेष
ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से सप्तऋषियों को समर्पित माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व महिलाओं के लिए है और इसे पवित्रता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। ऋषि पंचमी का पालन करने से व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पा सकता है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह व्रत रजस्वला दोषों से मुक्ति का मार्ग भी बताता है। इसके साथ ही यह व्रत ब्रह्मचर्य और संयम का भी पालन करता है।
व्रत का महत्व
ब्रह्म पुराण के अनुसार,भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा करने का विधान है। इस व्रत को करने से साधक को न केवल आत्मिक शांति मिलती है बल्कि शरीर और मन की शुद्धि भी होती है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है लेकिन पुरुषों के लिए भी इसका महात्म्य है। इस व्रत का उद्देश्य है जीवन में सदाचार, स्वच्छता और आंतरिक शुद्धि को बढ़ावा देना।
ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि
1. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. घर और पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें।
3. लाल या पीले रंग का वस्त्र चौकी पर बिछाएं और सप्तऋषियों की तस्वीर रखें।
4. कलश में गंगाजल भरकर रखें और उससे सप्तऋषियों को अर्घ्य दें।
5. धूप-दीप जलाकर पूजा प्रारंभ करें।
6. फल-फूल, नैवेद्य, और पंचामृत अर्पित करें।
7. अपनी अनजानी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
8. आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
9. व्रत कथा सुनें और परिवारजनों को भी सुनाएं।
10. पूजा समाप्ति के बाद भोजन में बिना बोए हुए शाक का सेवन करें।
व्रत के नियम और ध्यान रखने योग्य बातें
– इस दिन मांस, मछली, अंडे और अन्य तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
– मन में शुद्ध और सकारात्मक विचार रखें।
– झूठ बोलने से बचें और सदाचार का पालन करें।
ऋषि पंचमी का विशेष महात्म्य
इस व्रत को सात वर्षों तक करने का विधान है और आठवें वर्ष में सप्तऋषियों की स्वर्ण मूर्तियां बनवाकर उनका पूजन करना चाहिए। इसके बाद, सात ब्राह्मणों को भोजन और दान देना चाहिए। साथ ही गंगा स्नान करने से इस दिन के पुण्य में कई गुना वृद्धि होती है। माना जाता है कि सप्तऋषियों की पूजा करने से जीवन के सभी दोष दूर होते है और साधक को पवित्रता प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
ऋषि पंचमी व्रत, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो पवित्रता,आत्मशुद्धि और दोषों से मुक्ति का प्रतीक है। इस व्रत को करने से व्यक्ति न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी अग्रसर होता है। महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें धार्मिक अनुशासन, शुद्धता और सदाचार के पालन का अवसर प्रदान करता है। सप्तऋषियों की कृपा से साधक जीवन के पापों और दोषों से मुक्त होकर, मोक्ष और आत्मिक शांति की प्राप्ति कर सकता है।
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